मूडीज अरुण जेटली और घटी ब्याज दर

arun jaitelyप्रसंग: मूडीज ने सुधारी भारत की रेटिंग – 

एक ट्वीट आया जिससे देश का आर्थिक मूड सुधरता दिखा! वह ट्वीट किया था देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने!! अरुण जेटली ने अपने ट्वीट मूडीज द्वारा देश की क्रेडिट रेटिंग बढाए जानें का उल्लेख किया और कहा कि परिदृश्य में सुधार है किन्तु हमें अभी बहुत कुछ करनें की आवश्यकता है!!!
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पहली मौद्रिक व कर्ज नीति की घोषणा के साथ ही दो वर्षों के कार्यकाल के आसपास पहुँच रही नरेंद्र मोदी सरकार अंततः अपनें दीर्घकालीन लक्ष्यों को प्राप्त करती दिख रही है! आर्थिक क्षेत्र में सतत संघर्ष करनें के बाद और धेर्य से किन्तु सधे कदमों से चल रहा अरुण जेटली का वित्त मंत्रालय अब मुस्कुरा पाने और देशवासियों के चेहरे पर मुस्कराहट ला पाने की स्थिति में आता दिख रहा है. नमो सरकार द्वारा एक अच्छे, लोकप्रिय, विकास आधारित व जनकेंद्रित बजट को पेश करनें के बाद पिछले दिनों भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में बहुप्रतीक्षित कटौती की घोषणा कर दी. इसके तुरंत बाद अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट एजेंसी मूडीज ने भारत के संदर्भ में सकारात्मक पूर्वानुमान लगाना प्रारम्भ कर दिए. सुखद समाचार एक और यह भी है कि आरबीआई ने मुद्रस्फीति नियंत्रण के में रहनें की स्थिति में देश की मौद्रिक नीति के उदार बनें रहनें का विश्वास व्यक्त किया है. मानसून अच्छा रहनें पर और ब्याज दरें कम होंगी यह आशा भी रखी जा रही है. यद्दपि सातवें वेतन आयोग की अनुसंशायें प्रभावी होने पर 1 से 1.5% मुद्रास्फीति का आना अवश्यम्भावी प्रतीत हो रहा है. वर्ष 2011 के बाद पहली बार आरबीआई ने रेपो रेट को 6.5% के सबसे नीचे के स्तर पर लाया है, इसे और अधिक प्रभावी बनानें हेतु भारत सरकार ने रेपो रेट व रिवर्स रेपोरेट में अंतर को .5% पर सीमित रखनें का निर्णय भी लिया है. जिससे बैंक अब आरबीआई के समक्ष अधिक लाभ कमा पानें की स्थिति में आ जायेंगे.
पहले सुखद समाचार आया भारतीय रिजर्वबैंक की ओर से जब गवर्नर रघुराम राजन ने ब्याज दरों में .25% की कटौती की घोषणा की और आनें वाले दिनों में ब्याज दर में और कमी लानें का आश्वासन भी दिया. वित्त मंत्रालय द्वारा ब्याज दरों में कटौती को ही उपलब्धि नहीं माना चाहिए बल्कि ब्याज निर्धारण के सीमान्त लागत आधारित नए तरीके (1 अप्रेल 16 से प्रभावी) से भी उपभोक्ताओं को बहुत लाभ मिलनें वाला है. इस संदर्भ में आरबीआई गवर्नर ने चर्चा करते हुए कहा कि ब्याज दरों में कटौती को इस नए तरीके के साथ समग्र दृष्टि से देखनें पर पता चलता है कि यह कटौती .50% तक प्रभावकारी हो गई है. देश के कुल ऋण वितरण में 80% का योगदान देनें वाले 26 बैंको नें संक्षिप्त अवधि के ऋण पर .50% तक कमी की तथा दीर्घ अवधि के ऋणों पर .25% की कमी कर चुके हैं. यहां यह तथ्य चिंतनीय व ध्यान रखने योग्य है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके पूर्व एकाधिक बार में ब्याज के रेपो रेट में कटौतियां की हैं जिसका प्रभाव बाजार में पास आन नहीं हो पाया है. बैंको ने आरबीआई से सस्ते दर से कर्ज तो लिया किन्तु अपनें ग्राहकों से अधिकाँश बैंकों ने ऊंची ब्याज दरें ही वसूलना जारी रखा हुआ है. इस बार भी आरबीआई की रेपो रेट कटौती का असर अब तक किसी बैंक की ब्याज दर पर पड़ता हुआ नहीं दिख रख रहा है. यद्दपि बैंको ने ब्याज दर में कटौती की घोषणा पिछले वर्ष नहीं की है तथापि अब ऐसा लगता है कि वित्त मंत्रालय के माध्यम से भारत सरकार बैंकों पर इस बात के लिए दबाव बना सकती है जो कि आवश्यक भी है और अपेक्षित भी.
दुसरा शुभ समाचार आया अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की तरफ से. नमो सरकार की आर्थिक नीतियों व कामकाज के तरीकों में विश्वास व्यक्त करते हुए मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को सकारात्मक करार दिया और वहीँ फिच ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के तीव्र होनें का अनुमान व्यक्त किया है. फिच ने भारत की सावरेन रेटिंग के भी अतिशीघ्र उन्नयन के संकेत दिए हैं. मूडीज ने भारत की क्रेडिट रेटिंग को पूर्व में “स्थिर” श्रेणी में डाल रखा था जो कि अब “सकारात्मक” श्रेणी में आ गई है. मूडीज ने रेटिंग परिवर्तन करते हुए कहा कि भारत पिछले एक दशक की तुलना में व अपनी श्रेणी के अन्य देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से आर्थिक विकास की ओर बढ़ रहा है. यदि यह प्रवृत्ति जारी रही तो आनें वाले वर्षो में भारत के समक्ष विश्व स्तर पर अधिक तेजी से उभरने के अवसर बहुतायत से उपलब्ध होंगे. इस विश्लेषण की पृष्ठभूमि में भारत की जीडीपी के अनुमान के आंकड़े बढ़ जानें का प्रमुख आधार है. रिजर्व बैंक द्वारा व्यक्त 7.8% की जीडीपी को फिच द्वारा 8% कर दिया गया है. यह स्थिति विस्मयकारक इसलिए लगती है क्योंकि गत फरवरी में ही मूडीज ने भारतीय जीडीपी के 7.5% रहनें का अनुमान व्यक्त किया था! मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि रेटिंग में सुधार से यह साबित हुआ है कि सरकार सही दिशा में आगे बढ़ रही है. यह राजकोषीय अनुशासन पर सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम है. मूडीज ने बैंको की बेलेंस शीट के भारी भरकम कारपोरेट कर्जों के प्रति भी चिंता व्यक्त की है और बताया है कि देश का आर्थिक वातावरण इससे प्रभावित है. चाइना मेल्टिंग डाऊन से प्रभावित हो रहे विश्व के अन्य देशों की भांति भारत चीन से प्रभावित नहीं हो रहा है यह भी भारत की क्रेडिट रेटिंग सुधरनें का एक बड़ा कारण है. और यह सब यहां कि घरेलू अर्थव्यवस्था व छोटी बचत की प्रवृत्तियों के कारण ही हो रहा है. अन्तराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां भारत से इसलिए भी प्रसन्न है कि भारत का आर्थिक दृष्टिकोण मुख्यतः घरेलु तत्वों से व कारणों से ही प्रमुखतः प्रभावित हो रहा है; विदेशी कारणों से नहीं.

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