मुख्यमंत्री

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संत बद्रीनाथ कश्यप के लाखों अनुयायी थे। अपने अनुयायियों के लिए वो भगवान सदृश थे। उनके राज्य में वही राजनीतिक पार्टी विजयी होती थी, जिसके पक्ष में वो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से होते थे। उनकी कृपा से ही राजेश्वर सिंह विगत दस वर्षों से मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे।
कुछ दिनों के बाद विधानसभा चुनाव होने वाला था। सभी राजनेता भली-भाँति जानते थे कि संत बद्रीनाथ कश्यप के अनुयायी उसी पार्टी अथवा उम्मीदवार को अपना वोट देंगे जिसे वो देने को कहेंगे। इसलिए सभी राजनीतिक पार्टियाँ अपने-अपने तरीकों से उन्हें लुभाने में लगी हुई थीं। किसी और को संत बद्रीनाथ कश्यप की कृपा ना प्राप्त हो जाए, यह सोच कर राजेश्वर सिंह उनसे मिलने उनके आश्रम पहुँच गए।

“बाबाजी की जय हो। अपने भक्त का प्रणाम स्वीकार करें प्रभु।” राजेश्वर सिंह ने संत बद्रीनाथ कश्यप के पैर छूते हुए कहा।

“अरे राजेश्वर, इस बार आने में देर कर दी तुमने। अब तक सात उम्मीदवार मुझसे मिलकर जा चुके हैं। कहीं तुम्हें ऐसा तो नहीं लगने लगा कि तुम मेरी कृपा के बग़ैर भी चुनाव जीत सकते हो।” संत बद्रीनाथ कश्यप ने कहा।

“बिल्कुल नहीं बाबाजी। विलंब के लिए माफ़ी चाहता हूँ।” राजेश्वर सिंह ने कहा।

“चलो माफ किया। लेकिन एक बात हमेशा याद रखना कि जब तक मेरा हाथ तुम्हारे सिर पर है, तुम तभी तक मुख्यमंत्री हो।” संत बद्रीनाथ कश्यप ने कहा।

“आप बिल्कुल सत्य कह रहे हैं बाबाजी और इस बार भी अपना हाथ मेरे सिर पर बनाए रखिएगा।” राजेश्वर सिंह ने कहा।

“जाओ राजेश्वर, अपने राजतिलक की तैयारी करवाओ।” संत बद्रीनाथ कश्यप ने कहा।

“बाबाजी की जय हो।” कहते हुए राजेश्वर सिंह संत बद्रीनाथ कश्यप के चरणों में लोट गया।

विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद चुनाव परिणाम आया। राजेश्वर सिंह की पार्टी विजयी घोषित हुई और एक बार फिर राजेश्वर सिंह मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हुए।

एक महीने पश्चात संत बद्रीनाथ कश्यप पर दो लड़कियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया। पुलिस जब संत बद्रीनाथ कश्यप को गिरफ़्तार करने उनके आश्रम पर गई तो पुलिस को उनके अनुयायियों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। इसी बीच संत बद्रीनाथ कश्यप ने मुख्यमंत्री राजेश्वर सिंह को फोन किया और क्रोधित होते हुए कहा – “यह सब क्या चल रहा है राजेश्वर ?”

“किसी भी राज्य में वही चलता है बाबाजी, जो उस राज्य का मुख्यमंत्री चाहता है। आप बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी के शिकार हो गए थे। आपके बग़ैर भी मैं मुख्यमंत्री ही रहूँगा।” राजेश्वर सिंह ने जवाब दिया।

काफ़ी मशक़्क़त के बाद पुलिस संत बद्रीनाथ कश्यप को गिरफ़्तार करने में सफल हो गई। जो मीडिया कल तक उन्हें धर्मगुरु कहकर शीश नवाता था, आज बलात्कारी बाबा कहकर शोर मचा रहा था।

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