हमको तो ऐतबार ने मारा !
जिसको निशाने पर रखा था –
उसके ही पलटवार ने मारा !
दुश्मन के जब गले लगे हम –
फिर तो हमको प्यार ने मारा !
पहले दिल था मान जाता था –
अब उसकी ही पुकार ने मारा !
कांच से नाज़ुक रिश्तो को तो –
रिश्तो की ही कटार ने मारा !
बिना आहट के दर खोला था –
वक्त की हम को मार ने मारा !
तुम भी वही हो मैं भी वही हूँ –
हम को तो तक़रार ने मारा !
तुम रातो को कुतरते रहे और –
हमको उनकी तीमार ने मारा !
कुछ दिन और संग रह लेते –
आँगन की इस दीवार ने मारा !