राष्ट्र निर्माण की चिकीर्षा

स्वतंत्र भारत के इतिहास में सत्ता में बैठे शासकों ने सम्भवतः प्रथम बार राजनीति को राष्ट्रनीति में परिवर्तन करने का संकल्प दिखाया है। तीन मूर्ति मोदी-शाह-डोभाल ने “राष्ट्र निर्माण की चिकिर्षा” का अद्भुत परिचय दिया है। देश के साथ विश्वासघात करके अनुच्छेद 35 A व 370 को संविधानिक बना कर विभाजनकारी नीतियों को अभी तक यथावत बनायें रखने में किसे लाभ हो रहा था ? यह नेहरू, शेख अब्दुल्ला व लार्ड माउंटबेटन की भारत के विकास में रोड़ा बनाये रखने की कुत्सित मानसिकता थी।
इन विवादित अनुच्छेदों के कारण भी पाकिस्तान व पाकपरस्त इस्लामिक जिहादी कश्मीर को “गेटवे आफ आतंकवाद” बना कर भारत में इस्लामीकरण का बीजारोपण करने का दुःसाहस करते आ रहे है। भारत का मुकुट कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर पर आतंकवादियों, अलगाववादियों व भ्रष्टाचारियों के अनगिनत प्रहारों से दशकों से बहता हुआ लहू भारत की अस्मिता को ललकार रहा था। वह चीख चीख कर पुकार रहा था कि जब तक चोटिल व घायल माथे की चिकित्सा नहीं होगी तब तक कोई कैसे स्वस्थ रह सकोगे? फिर भी “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है” व “कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है” आदि की पिछले 72 वर्षों में हज़ारों बार नारे लगाने वाले राजनेताओं ने एक बार भी यह नहीं सोचा कि जब तक संविधान के अनुच्छेद 35 ए व 370 को निष्प्रभावी नहीं किया जाएगा तब तक यह लुभावने नारे देशवासियों के साथ विश्वासघात है।
इन अनुच्छेदों के दुष्परिणामों को अनेक विशेषज्ञों व लेखकों ने बार बार विस्तार से लिख कर 72 वर्षों से देशवासियों को जागरूक करने में बहुत बड़ी भूमिका निभायी है। भारतीय जनसंघ से बनी भारतीय जनता पार्टी  ने भी इस विभाजनकारी व्यवस्था को निरस्त करके अपने अटूट एजेंडे को मूर्तरूप देकर करोड़ों देशवासियों के ह्रदयों में भारतभक्ति का भाव भरकर वर्षों पुराने घाव को भरने का कार्य किया है।
स्वतंत्र भारत के इतिहास में 5 अगस्त 2019 का दिन भी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1947 के पूरक के रूप में माना जाय तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। क्योंकि सन् 1947 में पश्चिम पाकिस्तान से आये हजारों हिन्दू शरणार्थियों के परिवारों की चार पीढ़ियां जिनकी संख्या अब लाखों में है,भारतीय नागरिक होकर भी सामान्य नागरिक अधिकारों से वंचित हो रही थी। अब उनको भी स्वाभिमान के साथ एक सामान्य जीवन जीने का शेष भारतीयों के समान स्वतंत्र अधिकार मिलेंगे। इसके अतिरिक्त उन लाखों विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं को नारकीय जीवन जीने से मुक्ति मिलेगी और वे छोटे-छोटे सहायता शिविरों में रहने के कारण हो रही वंश वृद्धि की समस्याओं से भी मुक्त हो सकेंगे।अधिक विस्तार में न जाकर मुख्यतः यह माना जाय कि जम्मू-कश्मीर और लद्धाख को वास्तविक स्वतंत्रता अब मिली है तो कदापि अनुचित न होगा।
देश को आहत करने वाली ऐसी भयंकर गलतियों को दूर करना हमारे सत्ताधारियों का परम ध्येय होना ही चाहिये। वर्तमान शासकों की कार्य प्रणाली से इतिहास की राष्ट्रघाती भूलों को सुधारने की दृढ़ इच्छाशक्ति का आभास हो रहा है। राष्ट्रीय एकता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली जम्मू-कश्मीर सम्बंधित ऐसी व्यवस्था को निष्प्रभावी करके भारत वासियों में मोदी सरकार ने राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संचार किया है। मोदी सरकार ने इन विवादित अनुच्छेदों को  निरस्त करके जम्मू-कश्मीर व लद्धाख को केंद्र शासित राज्य व क्षेत्र घोषित करके भारत के नव निर्माण में एक नये संकल्प का परिचय दिया है।
यहां हमें 29 सितंबर 2016 को पुनः स्मरण करना होगा जब उरी में हुए आतंकवादी हमलों के विरोध में “सर्जिकल स्ट्राइक” की गुप्त योजना द्वारा आतंकवादियों के गढ़ (पाक अधिकृत कश्मीर) में जाकर उनके अनेक शिविरों को तहस-नहस कर दिया था। साथ ही 14 फरवरी को पुलवामा के बाद  26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के आतंकी गढ़ बालाकोट में हुई भयानक एयर स्ट्राइक हर भारतवासी को अभी भी गौरवान्वित कर रही है। यह नीतियुद्ध आज भारत सरकार की प्रशासकीय कुशलता का सफल उदाहरण बन चुका है। ध्यान रहे सेनाएं सक्षम होती है परन्तु उनका उत्साहवर्धन करने के लिए राजनैतिक संरक्षण व मार्गदर्शन भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत सरकार ने दशकों पश्चात आतंकवादियों द्वारा चलाये जा रहे ऐसे अघोषित युद्धों पर आक्रामक निर्णय लेकर सेनाओं की सामर्थ्य का जो सदुपयोग किया गया उससे समस्त विश्व में भारत के सशक्त होने का स्पष्ट संदेश गया। भारतवासियों सहित सारा जगत अचानक स्तब्ध रह गया कि अब “सोया भारत चेत रहा है”।
ऐसा होना भी स्वाभाविक था क्योंकि अब भारत में श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपार बहुमत से निर्वाचित एक सशक्त राष्ट्रवादी शासन कार्यरत है। राष्ट्र निर्माण की यह चिकीर्षा और स्वाभिमान की रक्षार्थ समर्पित मोदी सरकार के अचंभित करने वाले ऐसे ही अनेक निर्णयों ने भारत के नागरिकों को अप्रैल-मई 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा के अतिरिक्त कोई अन्य का विकल्प ही नहीं छोड़ा। फिर भी यह सच है कि कुछ ऐसी परिस्थितियां बन गई थी जिनके कारण कुछ रुष्ट राष्ट्रभक्तों को समझा कर भाजपा के पक्ष में लाना मेरे लिए भी कठिन हो रहा था। अनेक किंतु-परन्तुओं सहित नोटा का प्रचार करने वाले वे भ्रमित राष्ट्रवादी आज अवश्य यह सोच रहे होंगे कि “उनकी हार में भी जीत हुई है”। क्योंकि कम से कम उनको यह तो मानना ही पड़ता था कि सोनियानीत शासन में राष्ट्रभक्तों का स्वाभिमान नष्ट हो रहा था।
हमको 2004 से 2014 तक के एक दशक के इटेलियन सोनिया के एकछत्र शासन में जिस आत्मग्लानि का सामना करना पड़ा उसका विवरण विस्तार से देने की यहां आवश्यकता नहीं। लेकिन यह काल भारतभक्तों को सदैव शर्मसार करते हुए उनके स्वाभिमान को आहत करता रहेगा। जब राजनीति अपने अलग-अलग मठ बनाने में विश्वास करने लगे तो उसे राष्ट्र के हित-अहित की चिंता कैसे हो सकती है। यह कोई अतिश्योक्ति नहीं कि सोनिया काल स्वतंत्र भारत के इतिहास में काले अध्याय का हिस्सा होगा।
देश की सत्ता का सार्वधिक भोग करने वाले कांग्रेसियों ने भारत की न्यायायिक व्यवस्था को अपने अपराध कर्मों का सरंक्षक समझ लिया था। निर्धन देशवासियों को लूटकर अपने आप मालामाल होने वालों के मुँह से “मेरा भारत महान”  के पवित्र कथन को भी इन विश्वासघातियों ने कलंकित कर दिया। साथ ही सोनिया गांधी ने जिस प्रकार धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को तिलांजलि देकर अल्पसंख्यवाद को बढ़ावा दिया था उससे राष्ट्रीय चरित्र का हनन ही हुआ। बहुसंख्यक व अल्पसंख्यक में विभाजित भारतीयों में परस्पर वैमनस्य बढ़ने से मुख्य धारा के कार्य सदा प्रभावित होते रहे।
वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देने वाली भारतीय संस्कृति का अत्यधिक पतन अपनी ही भूमि पर होता रहा और कौन धर्मनिरपेक्ष है और कौन नहीं में ही उलझते रहे। जिससे भारतविरोधियों का दुःसाहस बढ़ता रहा। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि सम्पूर्ण जगत में भारत व भारतवासियों को अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ा। निःसंदेह स्वतंत्र होना जितना कठिन था उससे अधिक कठिन है उसे बनाये रखना। क्योंकि राजनैतिक स्वार्थों के कारण मानवीय अधिकारों का हनन हुआ है जिससे सामान्य नागरिकों की स्वतंत्रता भी बाधित हुई है। ऐसे में डॉ भीमराव अम्बेडकर के कुछ मर्मस्पर्शी शब्द बहुत कुछ कहते है… “भारत एक स्वतंत्र देश होगा। उसकी स्वाधीनता का क्या परिणाम होगा? क्या वह अपनी स्वाधीनता की रक्षा कर सकेगा या उसको फिर खो देगा?”  
इन्हीं निराशाजनक परिस्थितियों में जब 2014 में भाजपानीत राजग सरकार का केंद्र में गठन हुआ तो चारों ओर एक सकारात्मक वायुमंडल बनने लगा। श्री नरेंद्र मोदी की आक्रामक शैली व निर्णायक क्षमता से जन समुदाय प्रभावित हुए बिना न रह सका। निःसंदेह मोदी जी की कार्यकुशलता से आज भारत अपने लुप्त हो रहे स्वाभिमान को पुनः स्थापित करने की ओर अग्रसर हो रहा है। उसी राष्ट्र निर्माण की चिकीर्षा से अभिभूत भारतीय नागरिकों ने श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भरपूर आस्था का परिचय देते हुए 2019 में भाजपानीत राजग को भारत पर शासन करने का पुनः अवसर प्रदान करा। वर्तमान अनुकूल स्थितियों में विवादित राष्ट्रतोडक संविधानिक प्रावधानों पर प्रहार करके जिसप्रकार जम्मू-कश्मीर को भारत के अभिन्न अंग होने का  स्थायित्व दिया है वह अपने आप में एक सशक्त शासकीय व प्रशासकीय कार्य है। इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए अब अवैध रूप से युद्ध काल में पाकिस्तान व चीन द्वारा कब्जाये गए जम्मू-कश्मीर की हज़ारों वर्ग किलोमीटर भूमि को भी मुक्त कराना भारत सरकार का एक मुख्य राष्ट्रीय दायित्व होना चाहिये। 
विश्व का प्राचीनतम राष्ट्र “भारत” आज अपने आप में गौरवान्वित हो रहा है। आज वह अपने मुकुट से पुनः सुशोभित हो रहा है। एक सुखद अनुभूति की आहट हो रही है। वर्षों से विनाशकारी और अत्याचारी षडयंत्रकारियों के आघातों से घायल “देव भूमि कश्मीर” आज पुनः अंधकार से बाहर निकल कर अपने ज्ञानरूपी प्रकाश से मानवता को लाभान्वित करने को आतुर है। हमारा आग्नेय मंत्र  “वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहितः”  राष्ट्र निर्माण की चिकीर्षा को इसी प्रकार हमें व हमारे राजनेताओं को सशक्त करता रहे तो एक दिन भारत विश्व गुरु बन कर मानवता की रक्षार्थ विश्व में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

विनोद कुमार सर्वोदय
(राष्ट्रवादी चिंतक व लेखक)
गाज़ियाबाद (201001)

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,682 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress