समय की आवश्यकता है-शहरों के नामों का भारतीयकरण

राकेश कुमार आर्य


विश्व में भारतवर्ष एक ऐसा देश है, जिसके धर्म, संस्कृति और इतिहास सर्वाधिक प्राचीन हैं। इस दृष्टिकोण से भारतवर्ष का धर्म वैश्विक धर्म है, भारत की संस्कृति वैश्विक संस्कृति है और भारत का इतिहास (यदि वास्तव में खोजकर तथ्यपूर्ण ढंग से लिखा जाए तो) विश्व का इतिहास है। विश्व के ऐतिहासिक नगरों, देशों की राजधानियां और तथाकथित धर्मकेन्द्रों का यदि सच खोज लिया जाए तो पता चलेगा कि सर्वत्र वैदिक संस्कृति का डंका बज रहा है और इन सब ऐतिहासिक नगरों, देशों की राजधानियों और तथाकथित धर्मकेन्द्रों के वास्तविक नाम भी मूलरूप में संस्कृत भाषा के ही रहे हैं। यह अलग बात है कि कभी इन्हें जानबूझकर तो कभी मानव की भूलों या अज्ञानता के कारण इनके नाम परिवर्तित हो गये।

जहां तक भारत की बात है तो यहां के अधिकतर नगरों, कस्बों, प्रदेशों की राजधानियों अर्थात रियासतों के नाम मुस्लिमकाल में परिवर्तित किये गये हैं। इस पर हम कभी विस्तार से अलग से लिखने का प्रयास करेंगे, जिससे कि एक-एक ऐतिहासिक नगर के नाम परिवर्तन के इतिहास को लोगों के सामने लाया जा सके।

आप थोड़ा विचार करें कि हमारे कितने शहरों, कस्बों या नगरों के नाम इनके मूल नाम से हटाकर परिवर्तित कर दिये गये और ये शहर, कस्बे और नगर आज हमारी ओर इस आशाभरी दृष्टि से देख रहे हैं कि आप हमें हमारा मौलिक स्वरूप और गौरवपूर्ण अतीत लौटा दो, हमें अपने उन हिंदू नरेशों, सम्राटों, राजाओं, रानियों, राजकुमारों, राजकुमारियों और उनके अनेकों दरबारियों के उन बलिदानों या गौरवपूर्ण कृत्यों की उस गौरवपूर्ण गाथा को गाने दो जिसके कारण हमारा अतीत गौरवपूर्ण रहा और जिसे आपके सामने बखान करने में हमें वर्णनातीत प्रसन्नता होती है।
हिन्दुस्तान, इंडिया या भारत का वास्तविक नाम-आर्याव्रत था। आर्याव्रत नाम हमें गौरवबोध कराता है। हमारे इतिहास की इन जटिलताओं को हमारे सामने सहज रूप में प्रस्तुत करने की क्षमता रखता है जो आज हमारे चारों ओर आर्य और द्रविड़ की काल्पनिक लड़ाईयों के नामों से खड़ी कर दी गयी हैं।

अब हम कुछ नगरों के नामों पर विचार करते हैं, जो अपने मौलिक स्वरूप में शुद्घत: हिंदू वैदिक संस्कृति का हमें बोध कराते हैं, और यही कारण रहा कि इनके नाम समय आने पर केवल इसलिए बदल दिये गये कि इनके नामों से हिंदू वैदिक संस्कृति का कोई बोध न होने पाये। आज हमें इतिहास के इस घातक षडय़ंत्र पर विचार करना चाहिए, समय की आवश्यकता को समझा जाए और अपने इतिहास के वास्तविक सच को सामने लाने में तनिक भी देरी नहीं करनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर का वास्तविक नाम-लक्ष्मीपुर था,
इसी प्रकार कानपुर का वास्तविक नाम-कान्हापुर,
देश की राजधानी दिल्ली का वास्तविक नाम – इन्द्रप्रस्थ,
आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद का वास्तविक नाम – भाग्यनगर,
प्रसिद्घ ऐतिहासिक तीर्थस्थल इलाहाबाद का वास्तविक नाम – प्रयाग,
औरंगाबाद का वास्तविक नाम – संभाजी नगर,
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का वास्तविक नाम – भोजपाल,
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का वास्तविक नाम – लक्ष्मणपुरी,
अहमदाबाद का वास्तविक नाम-कर्णावती,
फैजाबाद का वास्तविक नाम-अवध,
अलीगढ़ का वास्तविक नाम-हरिगढ़,
मिराज का वास्तविक नाम- शिव प्रदेश,
मुजफ्फरनगर का वास्तविक नाम-लक्ष्मीनगर,
शामली का वास्तविक नाम – श्यामली,
रोहतक का वास्तविक नाम -रोहितश्वपुर,
पोरबंदर का वास्तविक नाम – सुदामापुरी,
पटना का वास्तविक नाम – पाटलीपुत्र,
नांदेड का वास्तविक नाम – नंदीग्राम,
आजमगढ का वास्तविक नाम – आर्यगढ़,
अजमेर का वास्तविक नाम – अजयमेरु,
उज्जैन का वास्तविक नाम – अवंतिका,
जमशेदपुर का वास्तविक नाम काली माटी,
विशाखापट्टनम का वास्तविक नाम – विजात्रापश्यम्,
सुल्तानपुर (सु+लतान्+पुर) का वास्तविक नाम – कुशभवनपुर,
सुल्तानगंज का वास्तविक नाम – चम्पानगरी,
बुरहानपुर का वास्तविक नाम – ब्रह्मपुर,
इंदौर का वास्तविक नाम – इंदुर,
नशरुलागंज का वास्तविक नाम – भीरुंदा,
सोनीपत का वास्तविक नाम – स्वर्णप्रस्थ,
पानीपत का वास्तविक नाम – पर्णप्रस्थ,
बागपत का वास्तविक नाम – बागप्रस्थ,
उसमानाबाद का वास्तविक नाम – धाराशिव (महाराष्ट्र में),
देवरिया का वास्तविक नाम – देवपुरी ! (उत्तर प्रदेश में),
मेरठ का वास्तविक नाम मयराष्ट्र है।

पाठकवृन्द! हमने ऊपर जिन शहरों, कस्बों या नगरों के मूल नामों का उल्लेख किया है, यह तो केवल एक बानगी है। हमारे देश के छह लाख गांवों में से भी बड़ी संख्या में ऐसे गांव आपको मिल जाएंगे जिनके मौलिक नाम हिंदू वैदिक संस्कृति को प्रकट करने वाले रहे हैं, परंतु विदेशी आक्रांता शासकों ने उन गांवों के नाम भी ऐसे किसी अत्याचारी, अनाचारी और दुराचारी व्यक्ति के नाम पर रख दिये हैं जिसने उस गांव के मूल निवासियों को मिटाने या उनका धर्म परिवर्तन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यदि हम अपने शहरों, कस्बों, नगरों के मौलिक नामों से जुड़ेंगे तो हमें अपने पूर्वजों के बलिदानों और उन पर किये गये अत्याचारों की अपने आप जानकारी मिलने लगेगी। जिससे हमें ऊर्जा मिलेगी और साथ ही वर्तमान भारत की समस्याओं से निपटने में सहायता मिलेगी।

3 COMMENTS

  1. शहरों के नामों का भारतीयकरण अपने में एक बहुत अच्छा विचार है और इस दिशा में बढ़ते स्वयं देश के नाम इंडिया को बदल कर भारत अथवा भारतवर्ष करने मात्र से भारतीयों द्वारा अपने राष्ट्र के प्रति सोचने व उनके चरित्र पर “भारत” अथवा “भारतवर्ष” नाम का प्रभाव अवश्य ही उनमें गर्व का आभास उत्पन्न कर सकता है|

    • भारत का पुराना नाम आर्यावर्त है। आर्याव्रत नहीं !- डॉ. गोपाल शर्मा ।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here