निज़ाम-ए मुस्तफा

0
483

आचार्य चाणक्य ने ठीक ही कहा था ” सांप को कितना ही दूध पिला लो …. बनेगा तो विष ही ……
गांधीवादियों ने उनकी विचारधारा के अनुसार जिन शिक्षा संस्थओं को खड़ा किया , आज वहां देशद्रोही तत्व सरकारी दूध पी पी कर ज़हर उगल रहे हैं …. इन में प्रमुख हैं जे एन यू ,डी यु ,रामजस ,जामिया आदि आदि …… जहाँ पाक की शैह पर आतंकी और देशद्रोही विचारधारा को पोषित किया जाता है। …. भारत के टुकड़े टुकड़े करने का प्रलाप किया जाता है।
इस विचार धारा के जनक थे हमारे ‘बापू ‘ और इसको परवान चढ़ाया उनके प्रिय नेहरु ने ………
बंटवारे के साथ ही पाक अपनी नापाकीयत शुरू कर दी ….. कश्मीर के विशाल क्षेत्र पर धोके से कब्ज़ा जमा लिया ….. भारतीय सेना यह क्षेत्र वापिस लेने के लिए आगे बढ़ रहीं थी ….. यका यक १ जनवरी १९४७ को युद्ध विराम की घोषणा कर दी …. और यु एन ओ पहुँच गए। १३ जनवरी की कैबीनेट बैठक में निर्णय लिया गया की पाक को देय ५५ रोक लिए जाएं जब तक हथियाया गया कश्मीर वापिस नहीं ले लिया जाता ….. बापू बुरा मान गए….. जा बैठे कोप भवन में केबिनेट ने सुबह का फैसला शाम को बदल दिया और बापू के पाक को ५५करोड़ की जो अकूत राशि दे दी। …. उस वक्त भारत का रक्षा बजट महज़ ८३ करोड़ था …… बापू और नेहरू की कृपा से पाक ने इस धनराशि से हथियार खरीद हमें धौंस दिखानी शुरू कर दी.
यहीं बस नहीं ३ फरवरी को बापू पाक जा रहे थे … अपने प्रिय कायदेआज़म मि जीना की जिद पूरी करने …… जिद थी लाहौर से ढाका तक भारत के बीच से एक कॉरिडोर जो १० मील चौड़ी होगी। कारण पूर्वी और पश्चिमी पाक का रास्ता समुद्र के रास्ते लंका के ऊपर से था। और कॉरिडोर के दोनों और मुस्लिम बस्तियां बसाई जाएँगी। ……… भारत के टुकड़े टुकड़े तो इस योजना में ही निहित थे …… भला हो हुतात्मा नाथू राम जी गोडसे का जिसने ३० जनवरी १९४८ को बापू का वध कर दिया और खंडित भारत को और खंड खंड होने से बचा लिया ,.
बापू की एक और इच्छा थी ,,,,वे कहते थे जब मेरा काम यहाँ पूरा हो जायेगा मैं पाक चला जाऊंगा। बापू की अधूरी इच्छा को पूरा करना अब गाँधी भक्त कांग्रेसियो और अफ़ज़ल गैंग के आज़ादी परस्त छात्रों और उनको उकसाने वाले बुद्धिजीवी अवार्डवापसी गैंग का है पाक जाएं और

अपने आकाओं की बिरियानी का हक़ अदा करें और निज़ाम-ए मुस्तफा कायम करने में अपना योगदान दें !!!!

Previous articleनासा के पृथ्वी लोक
Next articleसामाजिक सरोकार और स्टारडम
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

13,739 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress