धर्म चाहे जो मानो अपनी संस्कृति को कभी ना तिलांजलि दो

—विनय कुमार विनायक
भारतीय धर्म दर्शन को जान लो
समस्त समस्याओं का समाधान लो!

पढ़ो वेद उपनिषद गीता आरण्यक
रामायण महाभारत आगम निगम
त्रिपिटक जातक कथाएं स्मृति पुराण
गुरुग्रंथ साहिब सत्यार्थ प्रकाश को!

जीवन मृत्यु का ज्ञान मिलेगा संशय मिटेगा
मानव का जन्म मिला तो अगर मगर ना कर
अंधकार से प्रकाश में विचरण कर बनो निडर!

ज्ञान की कोई जाति नहीं होती
ज्ञान प्राप्ति का कोई एक स्रोत नहीं होता
किसी एक धर्म मजहब के धर्मग्रंथ किताब में
मानवता का संपूर्ण ज्ञान उपलब्ध नहीं होता
ज्ञान किसी से भेदभाव फिरकापरस्ती नहीं करता!

मगर कोई ज्ञान ईश्वरीय नहीं
ज्ञान सब जीवों के हिय की दशा
हृदय में उपजता हर ज्ञानी का ज्ञान
जो संशयग्रस्त और तात्कालिक होता

ज्ञान के संसय और तात्कालिकता को परित्याग कर
पराए ज्ञान का अपने अनुकूल अंश भाग ग्रहण कर!

समग्र ज्ञान का अधिकारी त्रिपुण्ड दाढ़ी क्रास चिह्न पर
गुरूर करनेवाला मगरूर कोई पंडित मुल्ला पादरी नहीं होता
बल्कि जिसने राजमुकुट व देह का वस्त्र तक त्याग दिया
बंदीगृह में जन्मा, आग में जला,सबके हिस्से का जहर पिया!

राम को पढ़ लो रिश्ते में मर्यादा का भान मिलेगा
कृष्ण की गीता से कर्म पथ आत्मसम्मान मिलेगा!

राम में मानवीय रिश्तों के प्रति कर्तव्य का निर्वहण
दुराचारियों की लंका दहन का रामायण एक उदाहरण
रिश्ते की मर्यादा टूटना ही महाभारत रण का कारण!

बुद्ध को पढ़ लो युद्ध का खतरा टल जाएगा
जन्म जीवन दुःख और मृत्यु से निर्वाण मिलेगा!

त्रिपिटकों में एक विनय पिटक पढ़के जीवन को गढ़ लो
सुत्तपिटक अभिधमपिटक पढ़कर निर्वाण मार्ग पकड़ लो!

तीर्थंकर महावीर को पढ़ लो कैवल्य ज्ञान मिलेगा
जीव जन्तु की हत्या पशु बलि से परित्राण मिलेगा!

पढ़ो गुरुग्रंथ साहिब व दस गुरुओं के दास्तान को
कैसे देश धर्म के खातिर शहीद कर दिए प्राण को?

गुरुग्रंथ साहिब में सभी धर्म मजहब का सार
हिन्दू-मुस्लिम संतों की अमृत वाणी और विचार!

दस गुरुवर मानवतावादी और भाईचारे की मिसाल
दस गुरुओं से किसी पंथिक मसीहा का दिल नहीं विशाल!

सत्यार्थ प्रकाश के पढ़ने से जातिवाद से निजात मिलेगा
सबके दिव्य ज्ञान वेदों की ओर लौटने का मार्ग खुलेगा!

वेदों को चरवाहों का गीत नहीं समझो
आर्यों को विदेशी आक्रांता नहीं मीत मान लो
उपनिषद में तर्क वितर्क वार्तालाप से
आत्मा परमात्मा ब्रह्मज्ञान का रहस्य जान लो!

बुद्ध और महावीर कोई नास्तिक नहीं थे
वे सभी उपनिषदों व नास्तिकवाद के अध्येता थे
बुद्ध ने सांख्य निरीश्वरवादी आलार कालाम से
उपनिषदों व ब्रह्मविद्या और उद्रक रामपुत्र से
‘नैवसंज्ञा नासंज्ञायतन’ योग की शिक्षा पाई थी!

बुद्ध ने ही पहली बार कहा था किसी के कथन को
तर्क-वितर्क से तौल लो, तर्कसंगत हो तभी मानो
किसी अज्ञ का अंधभक्त ना बनो विज्ञ के प्रवचन को
अपने हिय की तराजू में तौलो, मन में मनन कर लो!

महावीर ने आत्मा को एक समय और स्थान में
सक्रिय उपस्थिति दर्ज कराने वाली चेतन जीव कहा
कर्ता धर्ता संहारक ईश्वर में उन्हें नहीं थी आस्था
बुद्ध ने आत्म चेतना को दीपक की लौ कहा
एक दूजे को प्रकाशित करता मगर आप्पदीपो होता!

भारतीय धर्म दर्शन का ज्ञान नहीं सिर्फ भारतीय
धर्मावलम्बियों या विश्व के मत पंथियों के लिए जरूरी
बल्कि उन भारत पुत्रों के लिए भी जरूरी खुशखबरी
जिनके पूर्वजों को विदेशी मजहब मानने की थी मजबूरी!

विदेशी मजहब मानने वाले भारतीयों का पूर्वज या वल्दियत
ना कोई हिटलर ना कोई डायर ना कोई बाबर नहीं कोई तैमूर
बल्कि गजनबी गोरी खिलजी बाबर तैमूर डायर जैसे क्रूर के सताए
राम कृष्ण वंशज बुद्ध महावीर दस गुरुओं का अनुयाई मजबूर
उन पूर्वजों की भटकती आत्मा को भटकने से मुक्ति हेतु जलांजलि दो
धर्म मजहब चाहे जो मानो अपनी संस्कृति को कभी ना तिलांजलि दो!
—विनय कुमार विनायक

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