वर्ष 2019 के नोबेल पुरस्कार

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नोबेल पुरस्कार वितरण समारोह (10 दिसम्बर) पर विशेष

योगेश कुमार गोयल

      स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की पुण्य स्मृति में नोबेल फाउंडेशन द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला दुनिया का सर्वोच्च सम्मान ‘नोबेल पुरस्कार’ शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा विज्ञान तथा अर्थशास्त्र के क्षेत्र में प्रदान किया जाता है और नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा हर साल अक्तूबर माह में ही कर दी जाती है। इन सभी विजेताओं को स्टॉकहोम में आयोजित बहुत भव्य समारोह में 10 दिसम्बर को विश्व का यह सर्वोच्च पुरस्कार दिया जाता है। इस वर्ष दुनिया की जिन महान् हस्तियों को नोबेल पुरस्कार प्रदान किए जाने हैं, उनमें भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी तथा उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो भी शामिल हैं, जिन्हें अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। आइए देखते हैं, इस वर्ष किस विशिष्ट क्षेत्र के लिए किस व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा।

शांति

      शांति के क्षेत्र में इस बार 100वां नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। इस क्षेत्र में पुरस्कार पाने के लिए 223 शख्सियतों तथा 78 संस्थाओं सहित 301 उम्मीदवार थे, जिनमें से इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद अली को इस प्रतिष्ठित और सर्वाधिक महत्ता वाले पुरस्कार के लिए चुना गया। 43 साल के अबी अहमद को ‘इथोपिया का नेल्सन मंडेला’ भी कहा जाता है और वे इथोपिया के पहले ऐसे शख्स हैं, जिनका इस पुरस्कार के लिए चयन किया गया। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय शांति तथा सहयोग में उनके प्रयासों और शत्रु देश इरीट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने की निर्णायक पहल करते हुए शांति स्थापित करने के लिए इस पुरस्कार के लिए चुना गया। उन्होंने 2018 में प्रधानमंत्री बनने के बाद अपने देश में बड़े पैमाने पर उदारीकरण की शुरूआत की थी और हजारों विपक्षी कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा करते हुए निर्वासित असंतुष्टों को देश में वापस लौटने की इजाजत भी दी थी।

साहित्य

      इस बार साहित्य के क्षेत्र में वर्ष 2019 के साथ-साथ 2018 के लिए भी नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। दरअसल पिछले साल ‘मी टू’ अभियान के कारण साहित्य का नोबेल नहीं दिया गया था। गत वर्ष नोबेल संस्थान की एक पूर्व सदस्या के पति फ्रांसीसी फोटोग्राफर ज्यां क्लाउड अर्नाल्ट पर यौन शोषण के आरोप लगे थे, जिसके चलते स्वीडिश अकादमी को काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। उसी कारण अकादमी ने गत वर्ष साहित्य का नोबेल पुरस्कार नहीं देने की घोषणा की थी। वर्ष 2019 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार आस्ट्रियाई मूल के उपन्यासकार, नाटककार और अनुवादक 76 वर्षीय पीटर हैंडके को इनोवेटिव लेखन तथा भाषा में नवीनतम प्रयोगों के लिए दिया जाएगा। उन्होंने कभी अपनी मां की खुदकुशी से प्रभावित होकर ‘द सॉरो बियांड ड्रीम्स’ नामक पुस्तक की रचना की थी। वह एक फिल्म लेखक भी रहे हैं और उनकी एक फिल्म को 1978 के कान फेस्टिवल तथा 1980 के गोल्ड अवार्ड के लिए भी नामित किया गया था। वर्ष 2018 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार लेखिका के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका निभाने वाली 57 वर्षीया पोलिश लेखका ओल्गा टोकारजुक को मानवीय अनुभवों की विशेषता और जीवन की परिधियों से परे कथात्मक परिकल्पना करने के लिए दिया जाएगा। उन्हें गत वर्ष उनके उपन्यास ‘फ्लाइट्स’ (जेनिफर क्राफ्ट द्वारा अनुवादित) के लिए मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार भी दिया गया था। उनके इसी उपन्यास ने वर्ष 2008 में पोलैंड का शीर्ष साहित्यिक पुरस्कार ‘नाइकी’ भी जीता। ओल्गा वर्तमान पीढ़ी के व्यावसायिक रूप से सफल लेखकों में से एक हैं और वह पोलैंड की पहली ऐसी लेखिका हैं, जिन्हें अपने कार्य के लिए नोबेल तथा बुकर दोनों ही पुरस्कार मिल चुके हैं।

अर्थशास्त्र

      अर्थशास्त्र के क्षेत्र में इस बार कुल तीन अर्थशास्त्रियों को इस सम्मान के लिए चुना गया है, जिनमें भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी तथा उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो के अलावा माइकल क्रेमर भी शामिल हैं। तीनों को यह पुरस्कार ‘वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग’ के उनके शोध के लिए दिया जा रहा है। दरअसल दुनियाभर में गरीबों की आबादी 70 करोड़ के आसपास मानी जाती है और अभिजीत बनर्जी के एक अध्ययन के आधार पर ही भारत में विकलांग बच्चों की स्कूली शिक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाया गया था, जिससे करीब 50 लाख बच्चों को फायदा पहुंचा है। 58 वर्षीय अभिजीत बनर्जी मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इकनॉमिक्स के प्रोफेसर हैं तथा ‘अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब’ के को-फाउंडर भी हैं। अभिजीत ने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी करने के बाद 1983 में दिल्ली स्थित जेएनयू से एमए और फिर 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की थी। अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो एक फ्रांसीसी-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं, जो मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में गरीबी उन्मूलन एवं विकास अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं तथा ‘अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी एक्शन लैब’ की सह-संस्थापक व सह-निदेशक हैं। 47 वर्षीया एस्थर डुफ्लो अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार की अब तक की सबसे कम उम्र की नोबेल विजेता बन गई हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त 54 वर्षीय माइकल रॉबर्ट क्रेमर एक प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं, जो हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गेट्स प्रोफेसर ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज हैं। क्रेमर ने स्वास्थ्य, जल, गरीबी, कृषि जैसे विकासशील देशों से संबंधित ज्वलंत मुद्दों पर अनेक शोध किए हैं।

चिकित्सा

      चिकित्सा के क्षेत्र में इस वर्ष तीन वैज्ञानिकों विलियम जी केलिन, सर पीटर जे रैटक्लिफ तथा ग्रेग एल सेमेंजा को संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। इन तीनों को कोशिकाओं में जीवन और ऑक्सीजन को ग्रहण करने की क्षमता पर की गई खोज के लिए यह सम्मान मिलेगा। इन्होंने खोज की थी कि शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और नई कोशिकाओं को बनने में मदद के लिए सेल्स कैसे ऑक्सीजन को जलाते हैं। 1957 में न्यूयॉर्क में जन्मे अमेरिकी खोजकर्ता विलियम जी केलिन ने दरहम की ड्यूक यूनिवर्सिटी से एमडी की डिग्री हासिल की थी और बाल्टीमोर की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी व बोस्टन के दाना-फार्बर कैंसर इंस्टीच्यूट से इंटरनल मेडिसन तथा ऑन्कोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल की थी। 1954 में इंग्लैंड के लंकाशायर में जन्मे सर पीटर जे रैटक्लिफ ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के गोन्विले और साइअस कॉलेज से मेडिसन की पढ़ाई करने के बाद ऑक्सफॉर्ड से नेफ्रोलॉजी में ट्रेनिंग ली थी। न्यूयार्क में 1956 में जन्मे ग्रेग एल सेमेंजा ने बोस्टन में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बायोलॉजी में ग्रेजुएशन करने के बाद पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से एमडी-पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।

भौतिकी

      ब्रह्माण्ड के राज खोलने के लिए कनाडा मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक जेम्स पीबल्स तथा स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों मिशेल मेयर व डिडियर क्वेलोज को भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा। कनाडियन-अमेरिकन वैज्ञानिक जेम्स पीबल्स को भौतिक ब्रह्माण्ड विज्ञान में नई सैद्धांतिक खोज के लिए जबकि स्विस वैज्ञानिकों मिशेल मेयर तथा डिडियर क्वेलोज को सौरमंडल से परे एक और ग्रह खोजने के लिए संयुक्त रूप से यह सम्मान दिया जाएगा। 1935 में कनाडा के विनिपेग में जन्मे कनाडाई मूल के अमेरिकी नागरिक जेम्स पीबल्स ने बिग बैंग, डार्क मैटर और डार्क एनर्जी पर जो कार्य किया है, उसे आधुनिक ब्रह्मांड विज्ञान का आधार माना जाता है। वह प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में अल्बर्ट आईंस्टाइन प्रोफेसर ऑफ साइंस हैं। स्विट्जरलैंड में 1942 में जन्मे मिशेल तथा 1966 में जन्मे डिडियर ने पृथ्वी से 50 वर्ष दूर एक तारे की परिक्रमा कर रहे गैस से बने एक विशाल ग्रह ‘51 पेगासी बी’ की खोज की थी। वे यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा तथा यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में प्रोफेसर हैं। पुरस्कार की राशि का आधा हिस्सा जेम्स पीबल्स को जबकि शेष आधे हिस्से को मिशेल तथा डिडियर के बीच बराबर बांट दिया जाएगा।

रसायन विज्ञान

      रसायन विज्ञान के क्षेत्र में अमेरिकी वैज्ञानिक 97 वर्षीय जॉन बी गुडइनफ, ब्रिटेन के एम स्टैनली व्हिटिंगम तथा जापानी वैज्ञानिक अकीरा योशिनो को संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया जा रहा है। इन्होंने ऐसे रिचार्जेबल उपकरण बनाए हैं, जिनका इस्तेमाल पोर्टेबल इलैक्ट्रॉनिक्स में किया जाता है। इन वैज्ञानिकों को लीथियम आयन बैटरी विकसित करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। इन हल्की, फिर से रिचार्ज होने वाली तथा शक्तिशाली बैटरियों का इस्तेमाल अब मोबाइल फोन से लेकर लैपटॉप और इलैक्ट्रॉनिक वाहनों तक में होता है। इनमें सौर और पवन ऊर्जा की अच्छी खासी मात्रा संग्रहीत की जा सकती है, जिससे पैट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधनों से मुक्त समाज की ओर बढ़ना संभव होगा। नोबेल पुरस्कार देने वाले निर्णायक मंडल के मुताबिक यह खोज क्रांतिकारी है। जॉन बी गुडइनफ यह पुरस्कार जीतने वाले सबसे ज्यादा उम्र के वैज्ञानिक बन गए हैं।

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