विवेक कुमार पाठक
देशी गर्ल प्रियंका चोपड़ा ने आखिरकार विदेशी दूल्हे निक जोनस से शादी कर ली है। उदयपुर का उम्मेद पैलेस इन दो सितारों की शादी का गवाह बना। मुंबइया सिनेमा से हॉलीवुड में आगाज करने वाली प्रियंका को आखिर शादी के मामले में भी अमरीका ही रास आया और उन्होंने खुद से उम्र में 10 साल छोटे निक जोंस को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया। अमरीकी सिंगर निक जोनस के साथ प्रियंका की यह शादी वैश्विक रिस्तों की तस्वीर को सिने दर्शकों के सामने ला रही है। उदयपुर के शाही परिवार के शाही आवास रहे उम्मेद पैलेस की भव्यता जगजाहिर है। विदेशियों की भी जयपुर और वहां की रंग बिरंगी संस्कृति के प्रति जिज्ञासा जगजाहिर है। प्रियंका और निक जोनस की शादी के कारण पिछले एक सप्ताह से उदयपुर वर्ल्ड मीडिया और सिने समाज की चकाचौंध के साथ मीडिया में छाया हुआ है। देशी दुल्हन का विदेशी दुल्हन से यह प्रेम बॉलीबुड में तेजी से परवान चड़ रहा है। डिंपल गर्ल प्रीति जिंटा इससे पहले अमरीकी जीन गुडइनफ से शादी कर चुकी हैं। कमल हसन की बेटी श्रुति हसन का वहां के सिंगर मिशेल कोरसेल से मिशेल कोरसेल लव अफेयर वहां अखबारों में आए दिन सुर्खियां बटोर रहा है। बॉलीवुड की हीरोइंस का विदेशी दूल्हों से शादी का यह राग ठीक उसी तरह पैदा हुआ है जैसे भारतीय सक्षम लोगों में विदेश के प्रति सनातन हुआ करता है। विदेश की पढ़ाई, विदेशी इलाज से लेकर विदेश में ही भ्रमण हमारे अभिजात्य परिवारों का पुराना शगल है। बात कुछ पीछे से करें तो प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के विदेश से जुड़े किस्से सालों से हम सुनते आ रहे हैं। विदेशी शिक्षा दीक्षा के प्रति अभिजात्य भारतीय परिवारों की श्रृंखला बहुत बड़ी है। बात लिखने लगेंगे तो हर तरफ हर धारा में कहीं ज्यादा कहीं कम विदेशी शिक्षा और चिकित्सा के कद्रदान निकल आएंगे। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी विकासशील भारत की सत्ता संभालने से पहले विदेश में पढ़े। उनके बेटे और वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी इसी परंपरा के वाहक रहे। अभिजात्य भारतीयों को पढ़ाई लिखाई के अलावा इलाज भी भारत से ज्यादा विदेश में मुफीद लगता रहा है। चाहे विश्वास हो या मजबूरी मगर यह बानगी बहुत मजबूत है हमारे लोकप्रिय नेताओं को। कुछ साल पहले ही यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी गंभीर बीमारी का इलाज अमरीका में कराकर आईं। आम शिक्षक परिवार से देश के प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी के घुटनों का ऑपरेशन अमरीका में ही हुआ। क्रिकेटर युवराज, मनीषा कोइराला, लीजा रे, इरफान और अब सोनाली बेन्द्रे तक को कैंसर के इलाज के लिए अमरीका जाना पड़ा है। इन दिनों ऋषि कपूर अपने इलाज के लिए यूएस में हैं और ऐसे फंसे कि अपनी मां कृष्णा कपूर के देहांत के समय भारत नहीं लौट सके। देश में शिक्षा और चिकित्सा के लिए अगर हमारे राजनेताओं, अभिनेताओं से लेकर तमाम सुप्रसिद्ध व्यक्तियों को भारत से बाहर जाना पड़ रहा है तो ये विचारणीय और बहस की बात है। क्या बात है कि हमारे समाज के सबसे सक्षम व्यक्तित्वों को हमारे देश की शिक्षा और चिकित्सा से आगे सोचना पड़ता है। क्या हम विश्व स्तरीय शिक्षा संस्थान नहीं बना पाएं हैं और आज भी हमारे देश के नामी शिक्षा संस्थान कुछ पीछे हैं। क्या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का जो इलाज देश के दूसरे करोड़ों नागरिकों के लिए उपलब्ध है क्या वो विश्वसनीय नहीं है। क्या हमारे देश में कैंसर के खिलाफ विजय अभी भी एक सपना ही है। क्या देश के नामी कैंसर अस्पताल हमारे राजनेताओं और अभिनेताओं के कैंसर का खात्मा करने लायक अभी नहीं बने हैं अथवा उनके इलाज के साथ रिस्क फैक्टर जुड़ा हुआ है और व्यावसायिक दक्षता के मामले में हमारे कैंसर चिकित्सक विदेशी चिकित्सकों के सामने कमतर बैठते हैं। भारत के तमाम अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को ओलंपिक और विश्व स्तरीय मुकाबलों के लिए विदेशी कोचों की ओर मुंह ताकना पड़ता है। रक्षा संबंधी तकनीक के मामले में हम यूरोप के कुछ लाख जनसंख्या वाले देशों की ओर रुख करते हैं। लड़ाकू विमान और हथियारों के लिए भारत आज तक खुद पूर्णत आत्मनिर्भर क्यों नहीं बना है। इस दिशा में दशकों राज करने वाली सरकारों ने क्या किया। क्यों हमारे रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा विदेशों से हथियार और तकनीक लेने में खर्च हो रहा है। ये तमाम सवाल हैं जो भारत के स्वाभिमानी नागरिकों के मन में जब तक उमड़ते घुमड़ते रहते हैं। हमारी हजार साल पुरानी संस्कृति आज भी दुनिया भर में बेमिसाल हैं। हिन्दू रीति रिवाज से हिन्दुस्तानी अदाकारा से शादी करने अमरीकी सिंगर निक जोनस भारत आ रहे हैं। निक जोंस जैसे तमाम विदेशियों के लिए तीज त्यौहारों से सराबोर रंग बिरंगी भारतीय संस्कृति एक जिज्ञासा व आकर्षण का विषय है और यह भारत को अतुल्य भारत बनाती है। भारतीय संस्कृति को अपनाने और रच बसने जिस तरह विदेशी भारत आ रहे हैं उसी तरह भारत की शिक्षा चिकित्सा, तकनीक भी देश दुनिया में अव्वल आए अब इसकी बहुत दरकार है। हमारे माननीय और नामी चेहरे बाकी दुनिया घूमने फिरने विदेश जरुर जाएं मगर पढ़ने लिखने इलाज कराने के लिए भारत से बाहर तांकने के लिए मजबूर न हों। भारत के हर कैंसर रोगी को यह भरोसा मिलना चाहिए कि दुनिया का सबसे अच्छा इलाज उसे भारत में ही मिल सकता है। अगर सब कुछ बेहतर मिलने पर भी लोग विदेश को दौड़ लगाएं तो वे जानें और देश समझ ले इसे मगर भारत शिक्षा दीक्षा, तकनीक और प्रशिक्षण से लेकर हर स्तर पर अव्वल रहे ये हर भारतीय की अभिलाषा है। ऐसा हो गया तो फिर जैसे निक जोंस भारतीय अदाकारा से विवाह के लिए आकर्षित हुए हैं वैसे तमाम विदेश और लाखों विदेशी भारत में उच्च शिक्षा, चिकित्सा और तकनीक के लिए भारत की ओर कदम बढ़ाएंगे। खैर शुभ बेला पर प्रियंका और निक जोंस को विवाह की मुबारकबाद।
पता नहीं हमारे विद्वान लेखक पाठकों को मूर्ख क्यों समझते हैं .अधिकतर लोग भली भांति जानते हैं कि उम्मेद भवन महल उदयपुर में नहीं बल्कि जोधपुर में है और अपनी विशेषताओं तथा इतिहास के कारण काफी प्रसिद्ध है.ऐसे प्रसिद्ध महल के बारे में लिखने से पहले विवेक पाठक जी ने थोडा पढ़ लिया होता तो उपहास का पात्र तो न बनते