हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे , फैली है लाचारी क्यों ?
निर्धन को हैं ठग रहे सभी ,समता की सूखी क्यारी क्यों ?
निर्धन न आज तलक समझे, कि हमने पायी आजादी ।
चिंता हर वक्त इन्हें रहती, बस रोटी मिल जाये आधी ।।
सरकारें करके घोटाले , है बढ़ा रही बेकारी क्यों ?
हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे, फैली है लाचारी क्यों ?
पैसे वाले कानून लिये , हॉथों में अपने घूम रहे ।
सरकारी अफ़़सर सुबह शाम, उनकी चौखट को चूम रहे।।
कानून तो अन्धा होता है, अन्धा अफ़सर सरकारी क्यों ?
हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे , फैली है लाचारी क्यों ?
भ्रष्टाचारी बढ़ते निशदिन , निर्दोषों को है सजा मिले ।
पब्लिक का पैसा लूट-लूट, करतें हैं अपनें खडे़ किले ।।
परदेस मंे पनपे काला धन , हम पर ये कर्जे़दारी क्यों ?
हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे, फैली है लाचारी क्यों ?
हे राष्ट्र ! पिता तुम हो मेरे , इस नाते हम हैं पूत तेरे ।
हे पिता तुम्हारी सम्पत्ति में , अधिकार क्यों नहीं हैं मेरे ।।
जब वोटर को न वोटरशिप , पेंशन मिलती सरकारी क्यों ?
हे राष्ट्र पिता ! अब देश में तेरे, फैली है लाचारी क्यों ?
kya likha hai?wow bilkul aaj ka sach –per rashterpitaji ne khud hi boya ped babool ka to aaammm khaan se khaye agar prdhaanmantari SARDAR BANAYE HOTE TO