—विनय कुमार विनायक
ऐ ब्युटी लड़की!
तुम सचमुच के बिष्ट से प्यार कर बैठी
तुमने इंग्लिश मिशन स्कूल में कहानी पढ़ी
ए फेयरी टेल ‘ब्युटी एण्ड द बिष्ट’ की
जिसमें एक बिष्ट वास्तव में एक शिष्ट
रहमदिल मगर राजकुमार था वो शापित!
उस बिष्ट ने बिना ब्युटी की मर्जी से उसे छुआ तक नहीं
जबतक स्वेच्छा से ब्युटी ने शादी की हामी ना भर दी थी
अंत तक उस बिष्ट ने ब्युटी को पहुंचाया नहीं हानि क्षति
वास्तव में कहानी का बिष्ट था तहेदिल से मानव विशिष्ट
वो नहीं था किसी धर्म व मजहब का शातिर कातिल फरेबी!
मगर तुमने ऐ श्रद्धा जिस बिष्ट से प्यार किया प्रिंस समझकर
वो तो बहरूपिया है अस्मत लुटने के लिए रुप प्रिंस जैसा बनाया
जो ब्युटी से अलग तुम्हारी हां सुने या अनसुने दरिंदा बन गया
तुम्हारी बोटी-बोटी कर के सूटकेस में भर के कहीं और फेंक दिया
या बलात्कार के पहले या बाद में पेट्रोल छिड़क मार दिया करता!
ऐ ब्युटी लड़की!
जरा तुम सब्र करो अपने माता पिता के लिए
जो तुम्हारे सपने के राजकुमार खोजने को निकले
वो खोज ही लाएंगे एक अच्छा भला प्यारा सा जमाता
तू पतिम्बरा क्यों बनती हो? लीभ इन रिलेशनशिप में क्यों रहती?
नहीं है ये भारतीय संस्कृति, नहीं ये नैतिकता अपने देश की!
ऐ ब्युटी लड़की!
तू ब्युटी क्यों बन जाती
किसी सचमुच के बिष्ट के खातिर में!
तुम तो श्रद्धा हो मनु की,
सीता हो राम की, पूजा हो भगवान की!
हां सीता हो रावण से
एक तिनका के सहारे लड़ जानेवाली!
तुम सावित्री हो सत्यवान की
यम से मृत्यु का नियम बदलवानेवाली!
मगर फिर भी तुम एक अबला हो छोटी उम्र की
तुम बिटिया हो किसी परी सी अपने माता पिता की
हजारों वर्षों की भारतीय सभ्यता संस्कृति में जन्मी
तुम समय से पहले ब्युटी क्यों बन जाती हो पगली?
जानवर के हाथों अपनी बहुमूल्य जान क्यों गंवाती?
सोचो समझो आदमी के वेष में
छिपे जानमार जानवर को परखो पहचान लो
किसी जानवर को हरगिज नहीं वरण करो
सचमुच के बिष्ट से अपनी जान को बचा लो!
तुम नारी अहिल्या सी छली क्यों जाती
कपटी बलात्कारी इन्द्र जैसे बहेलिया से?
जो तुम्हारे अपनों के स्वरूप बनाकर आते
बलात्कार करके तुम्हारी जान भी ले जाते!
—विनय कुमार विनायक