मुरली मनोहर श्रीवास्तव
“आनंद कुमार, अभयानंद और आरके श्रीवास्तव जैसे शिक्षक हैं हजारों युवायों के
रोल मॉडल। अपने क़डी मेहनत, उच्ची सोच और पक्का इरादा के बल पर विश्वपटल
पर बनायी इन शिक्षकों ने पहचान”
बिहार का मान सम्मान को विश्व पटल पर बढ़ाने वाले मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके
श्रीवास्तव है हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल। सैकड़ो गरीब प्रतिभाओ के सपने को
आईआईटी,एनआईटी, एनडीए,बीसीईसीई में सफलता दिलाकर लगा चुके है पंख।
अमेरिकी विवि डॉक्टरेट की मानद उपाधि से कर चुका है सम्मानित।
पिछले 10 वर्षों से गरीब बच्चों को गणित पढ़ा रहा एक नौजवान
प्रतियोगिता का दौर, गिरता शिक्षा स्तर और स्टूडेंट्स की मजबूरी– शायद इन्ही
कारणों से कोचिंग संस्थानों का बाजार गर्म है। लेकिन व्यवसीयकता के इस दौर में
बिहार के युवा गणितज्ञ मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव के लिए शिक्षा कोई
‘बजारू’ चीज नही है। वे छात्रों का भविष्य सवारने और कोचिंग संस्थानों को
करारा जवाब देने के लिए पिछले 10 वर्षो से निःशुल्क शिक्षा दे रहे है।
आमतौर पर शिक्षा स्तर का गिरावट का सबसे बड़ा खामियाजा इंजीनियरिंग और
मेडिकल जैसे तकनीकी विषयो की पढ़ाई करने वाले छात्र- छात्राओं को भुगतना पड़
रहा है। जिन्हें कोचिंग के लिए लाखों रुपये देने पड़ रहे है। पिछले कई वर्षो से आरके
श्रीवास्तव ने शिविर लगाकर इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे
हजारो गरीब स्टूडेंट्स को नाईट क्लासेज प्रारूप के माध्यम से पूरे रात लगातार 12
घण्टे तक गणित के सवाल हल करने की नई -नई तकनीको और बारीकियों की
जानकारी दे रहे। आरके श्रीवास्तव के नाईट क्लासेज प्रारूप के तहत लगातार 12
घण्टे निःशुल्क शिक्षा देने हेतु इनका नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड
एवम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है।
उनका दावा है कि इस शिविर में पढ़ाई करने वाले में से प्रत्येक वर्ष 60% से अधिक
छात्र-छात्राएं आईआईटी, एनआईटी, एनडीए सहित तकनीकी प्रवेश परीक्षाओं में
सफल होते है। छात्रों के इस नाईट क्लासेज शिविर की ओर आकर्षित होने के चलते
हजारो स्टूडेंट्स के रोल मॉडल बन चुके है। मैथमेटिक्स गुरु आरके श्रीवास्तव न
सिर्फ बिहार में लोकप्रिय है बल्कि अपने गणित पढ़ाने के जादुई तरीके एवम
गणितीय शोध के लिए प्रायः सुर्खियों में भी रहते है। क्लासरूम प्रोग्राम में
पाइथागोरस प्रमेय को 50 से ज्यादा तरीको से सिद्ध कर आरके श्रीवास्तव ने गणित
विरादरी में काफी वाहवाही लुटा। गूगल बॉय कौटिल्य पंडित के गुरु के रूप में भी
देश इन्हें जानता है।
फिलहाल वह गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा देने में जुटे हुए है। उनके इस प्रयास
से प्रभावित होकर अलग- अलग क्षेत्रों के उच्चे ओहदे के कुछ लोगो ने शिविर में
अतिथि शिक्षक के बतौर छात्र- छात्राओ को पढ़ाया। बकौल आरके श्रीवास्तव कहते
है की गणित की शिक्षा देना मेरा पेशा नही बल्कि शौक है, ब्यवसायिक शिक्षण में
छात्र- छात्राओं और शिक्षकों के बीच परस्पर प्रेम और विश्वास का संबंध नही रह
पाता।
आपको बताते चले कि आरके श्रीवास्तवा के नाईट क्लास के मॉडल को जानने और
समझने के लिए अभिभावक सहित शिक्षक भी उनके क्लास में बैठते है की कैसे
आरके श्रीवास्तवा पूरे रात लगातार 12 घण्टे विद्यार्थियों को पूरे अनुसाशन के साथ
मैथमेटिक्स का गुर सीखा रहे। सुबह क्लास खत्म होने के बाद स्टूडेंट्स के माता
पिता इस बात से काफी चकित थे की मेरा बेटा-बेटी घर पर एक घण्टे भी ठीक से
पढ़ नही पाते उन्हें आरके श्रीवास्तव ने लगातार पूरे रात 12 घण्टे तक अनुसाशन के
साथ बैठाकर मैथमेटिक्स का गुर सिखाया। उन्हें सेल्फ स्टडी के प्रति प्रेरित किया
गया कि कैसे आप पूरे रातभर पढ़ सकते है। आर के श्रीवास्तव के नाइट क्लास के
रूप मे लगातार पूरे 12 घंटे बच्चों को शिक्षा देने के मुहिम अब देशव्यापी रूप लेने
लगा है।आर के श्रीवास्तव को देश के विभिन्न राज्यों के शैक्षणिक संस्थाएँ गेस्ट
फैक्लटी के रूप मे अपने यहाँ शिक्षा देने के लिए बुलाती है. शिक्षक भी बच्चों के साथ
आर के श्रीवास्तव के क्लास लेने के तरीकों को समझने के लिए क्लास मे बैठते है की
कैसे पूरे रात अनुशासन मे बच्चों को पढ़ाया जा सकता है.
क्लास देखकर बच्चे सहित शिक्षक भी श्रीवास्तव को धन्यवाद देते है की पढ़ाने की
ऐसी कला सारे शिक्षकों मे आ जाये तो कोई बच्चा शिक्षा से अपने को दूर नही कर
पायेगा,और सफलता उसके कदम चूमेगी। रोहतास निवासी आरके श्रीवास्तव बताते
हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी जो नौंवी और दसवी तक
आते-आते परवान चढ़ी।
आर के श्रीवास्तवा की बचपन भी काफी गरीबी से गुजरा है. परन्तु अपने कड़ी
मेहनत, उच्ची सोच, पक्का इरादा के बल पर आज देश मे मैथमेटिक्स गुरु के नाम से
मशहूर है, वे कहते हैं कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़
नहीं पाते।आरके श्रीवास्तवा अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग मेथड से
हल करना भी सिखाते हैं. वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी
विकास करते है।
आनंद कुमार—-
शिक्षा के क्षेत्र में पटना के आनंद कुमार और उनकी संस्था ‘सुपर 30’ को कौन नहीं
जानता। हर साल आईआईटी रिजल्ट्स के दौरान उनके ‘सुपर 30’ की चर्चा
अखबारों में खूब सुर्खियाँ बटोरती हैं। आनंद कुमार अपने इस संस्था के जरिए गरीब
मेधावी बच्चों के आईआईटी में पढ़ने के सपने को हकीकत में बदलते हैं। सन् 2002 में
आनंद सर ने सुपर 30 की शुरुआत की और तीस बच्चों को नि:शुल्क आईआईटी की
कोचिंग देना शुरु किया। पहले ही साल यानी 2003 की आईआईटी प्रवेश परीक्षाओं
में सुपर 30 के 30 में से 18 बच्चों को सफलता हासिल हो गई। उसके बाद 2004 में
30 में से 22 बच्चे और 2005 में 26 बच्चों को सफलता मिली। इसीप्रकार सफलता
का ग्राफ लगातार बढ़ता गया। सन् 2008 से 2010 तक सुपर 30 का रिजल्ट सौ
प्रतिशत रहा।
आज आनंद कुमार राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय मंचों को संबोधित करते हैं। उनके सुपर 30
की चर्चा विदेशों तक फैल चुकी है। कई विदेशी विद्वान उनका इंस्टीट्यूट देखने आते
हैं और आनंद कुमार की कार्यशैली को समझने की कोशिश करते हैं। हाल ही में
आनंद कुमार को विश्व के प्रतिष्ठित विश्विद्यालय हार्वर्ड ने अपने यहाँ लेक्चर के लिए
बुलाया है। आज आनंद कुमार का नाम पूरी दुनिया जानती है और इसमें कोई शक
नहीं कि आनंद कुमार बिहार का गौरव हैं।
अभयानंद—
पढ़ाने का जुनून हो, कुछ अलग करने का हौसला हो तो वक्त की कमी तो बस
बहाना है। आईजी अंकल के नाम से मशहूर बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद को भी
एक एेसा ही जुनून है- बच्चों को पढ़ाना और आईआईटी की तैयारी कराना।
अभयानंद की संस्था ‘सुपर 30’ देश में हर साल सैकड़ों गरीब मेधावी छात्रों का
दाखिला आईआईटी में करवाती है। बिहार पुलिस में अपनी सेवा के समय से ही वह
बच्चों को पढ़ा रहें हैं और उनका मार्गदर्शन कर रहें है। बच्चों के आईजी अंकल एडीजी
हुए और डीजीपी होने के बाद कुछ वर्ष पहले रिटायर भी हो गए हैं मगर पढ़ाने और
पढ़ने का सिलसिला आज भी लगातार जारी है।
(लेखक सह पत्रकार), पटना, मोबाइलः 9430623520