भारत की आजादी के बाद जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तान की सेना ने कबायलियों के बेश में आक्रमण किया था, जिससे बचाव के लिये वहॉं के तत्कालीन शासक राजा हरिसिंह ने भारत से मदद मांगी| मदद के बदले में भारत की ओर से राजा हरिसिंह के समक्ष कश्मीर का भारत में विलय करने की शर्त रखी गयी, जिसे थोड़ी नानुकर के बाद परिस्थितियों की बाध्यता के चलते कुछ शर्तों के आधार पर स्वीकार कर लिया गया| जिसके चलते भारत में जम्मू एवं कश्मीर के लिये विशेष उपबन्ध किये गये| जिन्हें लेकर आज भी विवाद जारी है| जिस पर चर्चा करना इस आलेख का उद्देश्य नहीं है| विलय समझौते के तत्काल बाद कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाने के साथ ही, भारत का कानूनी और नैतिक उत्तरदायित्व था कि पाकिस्तान के आक्रमण को विफल करके काबायलियों के वेश में कश्मीर में प्रवेश कर चुकी पाकिस्तानी सेना को वापस खदेड़ा जाता और कश्मीर के सम्पूर्ण भू-भाग को खाली करवाया जाता, लेकिन तत्कालीन केन्द्रीय सरकार के मुखिया रहे पं.जवाहर लाल नेहरू की अदूरदर्शी नीतियों के चलते न मात्र कश्मीर को तत्काल खाली नहीं करवाया जा सका, बल्कि कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाकर अकारण ही आन्तरिक मसले को बहुपक्षीय और अन्तर्राष्टीय मुद्दा बना दिया गया|
मेरे मतानुसार इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि राजा हरिसिंह ने पाकिस्तानी सैनिकों को खेदड़कर कश्मीर को मुक्त करवाने के मूल मकसद से ही भारत से मदद मांगी थी, जिसके बदले में वे कश्मीर का भारत में विलय करने को राजी हुए थे| तत्कालीन नेतृत्व की कमजोरी के चलते कश्मीर विलय की अन्य शर्तें तो लागू कर दी गयी, लेकिन पाकिस्तान आज भी वहीं का वहीं अनाधिकृत रूप से काबिज है| जो सामरिक दृष्टि से भारत के लिये बहुत बड़ी समस्या बन चुका है| इसके बावजूद हम बड़े गर्व से कहते हैं कि ‘‘सम्पूर्ण कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और रहेगा|’’ जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि ‘‘१५ अगस्त, १९४७ के बाद से आज तक सम्पूर्ण कश्मीर एक पल को भी भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं रहा|’’ हॉं सम्पूर्ण कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा हो सकता था, लेकिन हम उसे अपना बनाने में नाकमयाब रहे| यही नहीं हमने एक बहुत बड़ी गलती यह की, कि पाकिस्तानी आक्रामकों के कब्जे से जो कश्मीर का जो हिस्सा नहीं छुड़ाया जा सका, उस हिस्से को हम अंग्रेजी में ‘पाक ऑक्यूपाईड’ और हिन्दी में ‘पाक अधिकृत’ लिखते आये हैं, जो मेरी नजर में उपयुक्त शब्दावलि (हिन्दी में) नहीं हैं| कम से कम हिन्दी में इसे ‘पाक अधिकृत’ के बजाय ‘पाक काबिज’ लिखा जाना चाहिये| अभी भी इस गलति को सुधारा जा सकता है|
‘पाक अधिकृत’ वाक्यांश को नयी पीढी जब पढती है तो उसे ऐसा आभास होता है, मानों कि कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान का ‘विधिक अधिकार’ है, क्योंकि अंग्रेजी के ‘ऍथोराइज’ शब्द को भी हिन्दी में ‘अधिकृत’ ही लिखा जाता है| मुझे नहीं पता कि पाठकों को मेरे विवेचन से सहमति होने में कैसा लगेगा, लेकिन विद्वान पाठकों के समक्ष मेरा विचार प्रस्तुत है| जिससे मेरी सोच की व्यावहारिकता और प्रासंगिकता के बारे में आगे की दिशा तय हो सके| विद्वान पाठकों के अमूल्य विचारों की अपेक्षा रहेगी|
70 सालों में ये मसला हल न हो सका। जिन मोदीजी से आप उम्मीद लगाए थे वे पाँच साल में एक कदम आगे नहीं बढ़े। उसके बाद भी कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा कहना झूठी शान के सिवाय कुछ नहीं। पाक अधिकृत कश्मीर का दावा छोड़ने से यदि पाकिस्तान भारत के साथ सामान्य रिस्ता बनाने को राजी होता है तो उसे दे दिया जाय। और उसके बाद समझौता भंग करे तो पाकिस्तान को खत्म करना ही एकमात्र उपाय होगा।
Pok India ka h or India ese laker rhega Pak ya to ese pyar se India ko de de ya parinam bhugatne K liye tyar rhe
डॉ. पुरुषोत्तम जी आपके विचार लाज़वाब हैं – सभी हिंदुस्तानी इनसे सहमत ही होंगे ! अब पहले की तरह यक्ष प्रश्न है कि प्रशासन में बैठे लोगों तक कैसे इन बातों को पहुँचाया जाए :—–
lekin ab kashmir ko pakistaan se kaise chhudaaye koi to hal honaa chaahiye
शुब्रत (shubrat) जी आपने मेरे आलेख पर टिप्पणी की इसके लिए आपका आभार !
वैसे तो आपके सवाल का सही-सही उत्तर केंद्र सरकार या सत्ताधारी भाजपा की विचारधारा के पोषक और समर्थक विचारकों द्वारा ही ठीक से दिया जा सकता है, क्योंकि उनका वर्षों पुराना नारा है अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही पाक काबिज (‘पाक काबिज’ मेरा शब्द है वे ‘पाक अधिकृत’ शब्द उपयोग में लाते हैं) कश्मीर की वापसी और कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय। ऐसे में उनके पास आपके इस सवाल का उत्तर जरूर होगा और अब तो भाजपा को पूर्ण बहुमत भी मिल गया। आप थोड़ा इंतजार करें, बहुत जल्दी ही अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ ही पाक काबिज कश्मीर की वापसी होगी और कश्मीर का भारत में पूर्ण विलय भी होगा। आखिर भाजपा सरकार में आने के बाद अपने वायदे को भूल तो नहीं जाएगी! आप धैर्य रखें मोदी जी ने देश के लोगों से साठ महीने मांगे हैं और उनकी मांग पूरी हुई है। अब मोदी जी और भाजपा की बारी है।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
Dhany ho dipk nidar Tum taal jamkr thokte ho
Svyum jalkr adhere ki nirnkushta rokte ho…..
Aapke lekh mujhe.. Apna kartvy… Yaad dilate hai.. Jammu Kashmir.. Bharat.. Ka.. Hissa hai… Ab Bharat khamos nahi hai.. Pahle ki tarha.. Aapko or Aapke vicharon ko Mera salaam..
Jai hind.. Jai Bharat… Jai baster. ??…
??hai hind
जबरदस्त लेख. एक अनछुई बात पर कलम चलाने के लिए हार्दिक साधुवाद.
काबिज़ (Captured)
कब्ज़ा (Occupancy)
अधिकार (Right)
दख़ल (Occupancy)
कब्ज़ा (Occupancy)
माननीय डा0 मीणा जी ने एक चुभता हुआ सवाल उठाया है कि पाक के अधिकार वाले कषमीर को पाक अधिकृत कषमीर न कहकर इसका इतिहास बोध कराने को पाक काबिज़ कषमीर क्यों न कहा जाये? मैं भी आपकी भावना से पूरी तरह सहमत हूं लेकिन बुरा मत मानियेगा अपनी तुच्छ बुध्दि से यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इससे षायद मसला हल नहीं होगा। पाक अधिकृत और पाक काबिज़ कषमीर लिखने में कोई ख़ास अंतर नहीं है क्योंकि जब न्यायालय में कोई वाद दायर किया जाता है तो वकील वादी की ओर से यह लिखता है कि उसका मुवक्किल उक्त सम्पत्ति पर काबिज़ है। इसके बाद जब अदालत किसी के पक्ष में कोई निर्णय सुनाती है तो जज भी यह आदेष करता है कि अमुक को अमुक सम्पत्ति पर क़ब्ज़ा दिलाया जाये। वादी या प्रतिवादी कोर्ट में यह दावा भी करता है कि उसका उक्त प्रोपर्टी पर अधिकार, दख़ल और कब्ज़ा है। या वह ज़मीन उसके अधिकार में है यानी उसका कब्ज़ा है। कहने का मतलब यह है कि अधिकार और कब्ज़ा लगभग एक ही बात है। फर्क सिर्फ इतना है कि यह अधिकार और कब्ज़ा वैध है या अवैध। इसका हल यह है कि हम पाक के कब्ज़े वाले या अधिकार वाले कषमीर को अवैध अधिकृत या अवैध रूप से कब्ज़ाया गया कषमीर कह सकते हैं। यह तो सच है कि आज कषमीर का एक हिस्सा पाकिस्तान के अधिकार और उसके कब्ज़े में है लेकिन यह अवैध और नाजायज़ तौर पर कब्ज़ा कर पाक ने अपने अवैध अधिकार में ले रखा है। फिलहाल डा0 मीणा की यह बात सही है कि अधिकृत से बेहतर तो पाक काबिज़ कषमीर ही है।
-इक़बाल हिंदुस्तानी, संपादक, पब्लिक ऑब्ज़र्वर, नजीबाबाद
काबिज़ शब्द ठीक है – इस शब्द के प्रति किसी को भी एतराज़ नहीं होना चाहिए
श्री BNG जी
आपकी टिप्पणी विलम्ब से पढ़ी। इसलिए प्रतिउत्तर में हुए विलम्ब को आप अन्यथा नहीं लेंगे।
धन्यवाद।
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
मीणा जी , बहुत ही सही लिखा है , कई बार मेरे दिमाग में भी ये बात कौंधती है की अगर ये हिस्सा पाकिस्तान के अन्दर है तो भारत के नक़्शे में इसे क्यों दिखाया जाता है ???
और अगर अपना हिस्सा है तो हाथ में चुडिया पहन के रुदाली करने का क्या औचित्य है ???
अगर स्वाभिमान नाम की जरा भी चीज देश में है तो या उस POK को अपने हिस्से में मिलाये या फिर उसकी दावेदारी छोड़ दे पर झूटी शान के लिए अपने नक़्शे में न दिखाए
जबरन/ जबरदश्ती या जबर्दश्ती
काबिज और कब्जा शब्द अरबी है। इसका हिंदी शब्द है- अधिगृहीत।
‘पाकिस्तान अधिगृहीत कश्मीर’ भी हो सकता है। अधिगृहीत का अर्थ है- जबरस्ती पाया हुआ या जबरस्ती अधिकार कर लेना।
यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि इसी से मिलता-जुलता शब्द ‘अधिग्रहित’ है, जिसका अर्ध है नियम पूर्वक अधिकार कर लेना या अधिकार द्वारा लेना।
मीणा जी दूर की कौड़ी लाये हो धन्यवाद बधाई
अधिकृत , अनाधिकृत , ऍथोराइज , अन ऍथोराइज , काबिज इन सब्दो से पहले यह पता होना चाहिए शुरू में कौन सा सब्द इस्टेमॉल किया गया
जो की सायद इनमे से कोई भी नहीं होगा .
मीणा जी आपने देश के पुराने जख्म को कुरेदा है उस तथाकथित चूक को देशके सामने एक मानवीय भूल के रूप में प्रचारित किया गया जो की नेहरू ने की .किन्तु यह सत्य नहीं है
आज हम आप जिस दूरद्रष्टि की बात करते है शायद इसको ईजाद करने वाले पहले पुरुष मोतीलाल नेहरू थे जिन्हें मालूम था की आज नहीं तो कल अंग्रेजो को भारत छोड़ना ही है उन्होंने बहुत ही चतुराई से अपने बिगड़े हुए सहजादे को देश के भावी शासक के रूप में प्रोजेक्ट किया उनकी दूर्द्रस्ती को आप क्या कहेंगे .
यही दूरद्रस्टी नेहरू को अपने बाप से मिली जिसका उपयोग कर उन्होंने अपनी आनेवाली संतानों को बिना किसी बाधा के देश पर शासन करने का रास्ता मुहैया कराया .
अन्यथा नेहरु के बामपंथ के प्रति झुकाव मुश्ल्मानो के प्रति दिखावटी हमदर्दी को कौन नहीं जनता नेहरु की हमदर्दी के कारन ही गाँधी को गोली खानी पड़ी .
सरदार पटेल के मुखर विरोध के बावजूद नेहरू ने कश्मीर मसले के निस्तारण व सत्ताहस्तान्तार्ण में बिना वजह पेंच डाले जबकि उसी समय कल में हैदराबाद के निजाम के राज्य का हर्स्तान्तरण बिनाकिसी असुविधा के पटेल के मार्गदर्शन में हुआ तथा कश्मीर मुद्दे पर सरदार पटेल को अलग थलग रखा गया .
मीणा जी जिस तरह २+२ का योग हमेशा ४ होता है उसी प्रकार यदि देश के नागरिक देश की इसी तरह की टूटी फूटी (इतिहास से मिटा दी गयी ) कड़ीयो को यदि सहेजेगे तो केवल और केवल एक ही उत्तर मिलेगा —
देश वाशी बड़े भोले है
आपसे सहमत होते हुए आपको धन्यवाद् भी देना चाहूँगा की आपने एक ही लेख सही पर जातिवाद से हटकर और ऊँची जातियों को भला बुरा कहने के आलावा कुछ तो लिखा….
ऐसे तो अकुपाइड का हिंदी अर्थ अधिकार में लिया हुआ या दखल किया हुआ भी होता है..उसको एक शब्द में अधिकृत भी कहा जा सकता है,पर उर्दू के कब्जा किया हुआ के लिए अगर एक शब्द काबिज है तो यह ज्यादा सटीक बैठता है.
मेरे विचार से ऐसे भी यह इतना महत्त्व पूर्ण नहीं है जितना वह जख्म जो अब नासूर बन गया है यानि हमारे सबसे दिग्गज कहे जाने वाले नेता की अदुर्दर्शिता के चलते कश्मीर के बड़े हिस्से पर पाकिस्तान का कब्जा या दखल या अधिकार.
hum aapke sabdkosh se sahmat hai. Vastav me yahi hona chahiye our vastvikta yahi hai,
lekin ese sachhe hindustani swekar kar lege, kintu congress ke tuchh neta jo apne aap ko secular wadi kahte hai wah esse RSS ki chal batayeng, inme DIgvijay singh Sabse pahsle.
आपने सही लिखा है, और यह आवश्यक भी है कि भारतीय युवा पीढ़ी को सही जानकारी होना ही चाहिए |