रिकॉर्ड तोडेग़ा गेहूं ?

शादाब जफर ”शादाब”

चालू सीजन वर्ष में गेंहू की अच्छी फसल को देखते हुए गेंहू की खरीद बढने की पूरी पूरी संभावना है। सरकार का इस बार गेंहू का खरीद लक्ष्य 260 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है। ऐसे में अनाज भंडारण को लेकर इस बार सरकार की हालत कुछ ज्यादा ही खराब होने वाली है। अनाज व गोदामों की भंडारण क्षमता के मौजूदा तमाम आंकडे सरकार और सरकारी प्रबंधन की पोल खोलने के लिये काफी है। पर सरकार और कृषि मंत्री जी के कान पर जू भी नही रेंग रही। जब कि खुद कृषि मंत्री शरद पवार जी का मानना है की इस साल गेहूं 814.70 लाख टन का नया रिकॉर्ड बनायेगा। सरकारी आंकडे भी ये ही कह रहे है कि इस वर्ष सरकारी गेंहू खरीद शुरू होने तक सरकार के गोदामों में पिछले साल के मुकाबले 425 लाख टन अनाज और भरा होगा। अनाज की ये मात्रा दिसंबर 2006 के मुकाबले तीन गुना अधिक होगी। लेकिन इस अनाज को भंडारण करने के लिये सरकार द्वारा कोई भी कदम गम्भीरता से नहीं उठाया गया जिस कारण अनाज भंडारण की तमाम योजनाए बनने के बाद भी आज सरकार के पास इस अनाज को भंडारण करने की कोई समुचित व्यवस्था नही है।

वही देष में पहली बार दलहनों का उत्पादन भी 165.10 लाख टन होने की उम्मीद है। गेंहू के हर साल रिकॉर्ड उत्पादन के बाद भी भारत वैश्विक भूख सूचकांक में 88 देषो की सूची में 68वें स्थान पर है। दरअसल मंत्री जी का ज्यादा समय आईसीसी की बैठकों और क्रिक्रेट मैचों की जोड़ तोड़ में बीतता है। देश में कृषि और किसानों की क्या स्थिति है इस सब से उन्हे गरज़ नहीं। देश का किसान आत्महत्या करे या भूखा सोए उन को जरा भी चिंता नहीं। आज देश के अनेक राज्य तो ऐसे है जहॉ भूख से होने वाली मौतों की संख्या सालो साल बढती जा रही है। किसी राज्य में आकाल पडता है तो किसी राज्यो में अनाज इतना अधिक होता है की उस के संग्रहण की समुचित व्यवस्था न होने के कारण वो खुले आकाष के नीचे पडा पडा सडता गलता रहता है। क्या हमारे देश के कृषि मंत्री को ये फिक्र नही होनी चाहिये कि किसान के खून पसीने से उगाया गया देष में अनाज कहा पडा है आकाश के नीचे खुला में पडा है या इस के लिये समुचित संग्रहण की व्यवस्था हुई है या नहीं।

पिछले वर्ष बरसात के महीने में खुले में पड़ा होने के कारण लाखों टन गेंहू सड गया। इस मुद्दे को प्रिन्ट मीडिया और इलैटोनिक्स मीडिया ने प्रमुखता से उठाया था जिस पर देश में सरकार की बहुत किरकिरी हुई थी वही सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कडी फटकार भी लगाई थी जिस के बाद सरकार ने पिछले साल 150 लाख टन क्षमता के गोदाम बनाने का फैसला किया था। इन्हे डेढ साल में निजी क्षेत्रो के सहयोग से बनाया जाना था। मगर साल भर के अन्दर मामला केवल टेंडरो तक ही पहुंच पाया। अब सरकार ने जो अतिरिक्त 170 लाख टन का अनाज भंडारण का नया प्रस्ताव तैयार किया है उस के तहत अगले दो सालों में क्या गोदाम बन पायेगे षायद नही। देश में अनाज भडारण के आंकड़े तो अभी यही कहते है। क्योंकि अभी सरकार को पौने दो लाख टन भंडारण क्षमता का कागजी प्रस्ताव जमीन पर उतारने में कम से दो साल का वक्त और लगेगा यानी तीसरे साल भी खुले में अनाज सडेगा या फिर तब तक नये आने वाले अनाज को तिरपाल ओढाकर ही रखना होगा। अगर सरकारी खाद्य प्रबंधन की माने तो यही स्थिति आगामी दो साल और रहने की पक्की उम्मीद है। इस के बावजूद के खाद्य कुप्रबंधन के मुद्दे पर सुप्रीम ने कोर्ट केन्द्र सरकार को कडी फटकार भी लगा चुका है। लेकिन केन्द्र सरकार और माननीय कृषि मंत्री जी ने इस सब से कोई सबक नही लिया जनता के चीखने चिल्लााने कोर्ट के फटकार लगाने से इन की सेहत पर इस का जरा भी असर नही पडा। सही मायने में सरकार को इस मुद्दे पर गम्भीर होना चाहिये था और जल्द से जल्द बरसात से पहले गेंहू के सुमुचित भंडारण के लिये सरकार और खाद्य मंत्रालय को अतिरिक्त आने वाले गेंहू के भंडारण के लिये कुछ ठोस कदम उठाने चाहिये थे।

दूसरी तरफ गेंहू की अच्छी फसल होने के कारण गेंहू के सुमुचित भंडारण की कमी को देखते हुए राज्य सरकारों की चिंताएं भी बढ़ गई है। कुछ ने केन्द्र सरकार को इस से अवगत भी करा दिया है जिस से केन्द्र सरकार की चिंता में अतिरिक्त इजाफा हो गया है। देश में दिन प्रतिदिन बढ रही मंहगाई के मुद्दे पर चारों ओर से आलोचनाओ का षिकार होकर खुद को कोस कर, कृषि मंत्री पद छोड़ने तक की धमकी दे चुके माननीय कृषि मंत्री शरद पवार जी का सुर आखिर अचानक कैसे बदल गया समझ नहीं आ रहा। शरद पवार जी ने 9 फरवरी 2011 को अपने ब्यान में कहा कि खाद्य वस्तुओं की मंहगाई जल्द ही बीते समय की बात हो जायेगी। क्योंकि इस वर्ष खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन खाद्य वस्तुओं की मंहगाई पर लगाम लगाने में मददगार साबित होगा। कृषि मंत्री के पद पर रहते हुए मंहगाई के मुद्दे पर उन का ये ब्यान देश की जनता को आश्‍वस्त करने की उन की तरफ से पहली कोशिश की है। अब देखना यह है की कृषि मंत्रालय और सरकार की वो कौन सी नीतिया होगी जिन से अनाज सडने की बजाये देश के गरीब नागरिको के पेट में पहुंचेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

12,688 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress