सीमाओं पर पैनी नजर रखेगा रीसैट-2बीआर1

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उपलब्धि

इसरो की अंतरिक्ष में बड़ी छलांग

योगेश कुमार गोयल

      भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के ‘पीएसएलवी’ रॉकेट ने भारत के शक्तिशाली इमेजिंग सैटेलाइट रीसैट-2बीआर1 तथा 9 अन्य विदेशी उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष की सफल उड़ान भरकर अपना 50वां मिशन पूरा करते हुए इसरो की सफलता के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। अंतरिक्ष में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए इसरो द्वारा पीएसएलवी रॉकेट द्वारा सभी 10 उपग्रहों को 576 किलोमीटर ऊपर स्थित अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित किया गया है। पीएसएलवी सी-48 रॉकेट ने 11 दिसम्बर को दोपहर 3.25 बजे कुल दस उपग्रहों के साथ आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से उड़ान भरी, जो श्रीहरिकोटा से इसरो का 75वां रॉकेट प्रक्षेपण था। इसरो का इस साल का यह छठा प्रक्षेपण तथा फर्स्ट लांच पैड से कुल 37वां प्रक्षेपण था। इससे पूर्व 27 नवम्बर को इसरो के पीएसएलवी रॉकेट ने अपनी 49वीं सफल उड़ान भरते हुए ‘पीएसएलवी-सी47’ रॉकेट के जरिये भाारत के तीसरी पीढ़ी के बेहद चुस्त और उन्नत उपग्रह ‘कार्टोसैट-3’ को अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट के साथ लांच किया था। यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि ‘मिशन चंद्रयान’ के अंतिम पलों में फेल हो जाने के बाद भी इसरो ने हार नहीं मानी बल्कि वह जिस जोश और बेहद उन्नत तकनीक के साथ एक के बाद एक सफल मिशनों को अंजाम दे रहा है, उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है और यही कारण है नासा भी अब अपने उपग्रह लांच कराने के लिए इसरो की मदद ले रहा है।

      इसरो द्वारा ‘रीसैट-2बीआर1’ के साथ जिन नौ अन्य विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया, उनमें अमेरिका के 6 सैटेलाइट तथा एक-एक जापान, इटली और इजरायल के नैनो सैटेलाइट थे। पिछले महीने प्रक्षेपित किए गए ‘कार्टोसैट-3’ को सबसे ताकतवर कैमरे वाला नागरिक उपग्रह होने के कारण ‘अंतरिक्ष में भारत की आंख’ कहा गया था और अब प्रक्षेपित किए गए ‘रीसैट-2बीआर1’ को भी अगर ‘भारत की दूसरी खुफिया आंख’ बताया गया है तो इसकी विशेषताओं का उल्लेख किया जाना बेहद जरूरी है। यह इसरो का अब तक का सबसे ताकतवर रडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जिसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि दुश्मन इसकी खुफिया नजरों से बच नहीं सकेगा और इसके साथ ही अंतरिक्ष में भारत की निगरानी की ताकत पहले से और ज्यादा बढ़ गई है। घने बादलों की मौजूदगी और बेहद खराब मौसम में भी दुश्मन की गतिविधियां इसकी पैनी नजरों से नहीं बच सकेंगी। दरअसल यह भी कार्टोसैट-3 की ही भांति इतना ताकतवर निगरानी कैमरा उपग्रह है, जो बादलों के ऊपर से भी बेहद उच्च गुणवत्ता की स्पष्ट तस्वीरें ले सकता है। ‘रीसैट-2बीआर1’ में 0.35 मीटर रिजोल्यूशन का कैमरा है, जो 35 सेंटीमीटर की दूरी पर स्थित दो चीजों की अलग-अलग और स्पष्ट पहचान कर सकता है। इसे एक मीटर के रिजोल्यूशन तक जूम किया जा सकता है। इसमें लगे डिफेंस इंटेलीजेंस सेंसर को भारत में ही निर्मित किया गया है। एक्स-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस 628 किलोग्राम वजनी यह रडार इमेजिंग अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट रक्षा उपयोग के लिए सबसे अनुकूल है, जो न केवल दिन के साथ-साथ रात के अंधेरे में भी बल्कि हर प्रकार के मौसम में प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम है और इसीलिए यह सीमाओं की निगरानी में सेना के लिए मददगार साबित होगा, जिसकी मिशन अवधि पांच वर्ष की होगी।

      एक्स बैंड एसएआर कैपेबिलिटी की वजह से यह उपग्रह घनघोर अंधकार और हर मौसम में किसी खास इलाके में किसी खास जगह की साफ तस्वीर ले सकता है, जिससे दुश्मन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखने में मदद मिलेगी। इसे विशेष रूप से सीमा पार से होने वाली घुसपैठ रोकने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह भारतीय सीमा के पास हो रहे आतंकी जमावड़े की भी सटीक जानकारी देने में सहायक सिद्ध होगा। ‘रीसैट-2बीआर1’ करीब 100 किलामीटर इलाके की तस्वीर लेकर जमीन पर भेजेगा, जहां उन तस्वीरों का विश्लेषण किया जा सकेगा। इन तस्वीरों के विश्लेषण के आधार पर भारतीय सीमाओं की निगरानी करने और उनकी सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए नीतियां बनाने का कार्य बेहद मजबूती से किया जा सकेगा। सीमाओं की निगरानी के अलावा कृषि, वन एवं आपदा प्रबंधन में सहायता उपलब्ध कराने में भी इसकी मदद ली जाएगी। चूंकि यह उपग्रह भारतीय सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है, इसीलिए इसे भारत का खुफिया उपग्रह कहा गया है। ‘रीसैट-2बीआर1’ के पृथ्वी की कक्षा में स्थापित होने के बाद भारत की रडार इमेजिंग ताकत कई गुना बढ़ गई है।

      रीसैट श्रृंखला के सैटेलाइट पहले से ही अंतरिक्ष में अपना काम बखूबी कर रहे हैं। 2008 में मुम्बई में हुए आतंकी हमलों के बाद रीसैट-2 सैटेलाइट प्रोग्राम को एडवांस रडार सिस्टम के चलते रीसैट-1 से ज्यादा प्राथमिकता दी गई थी। मुम्बई हमले के बाद भारत में लांच किए गए रीसैट-2 सैटेलाइट ने खास तौर पर समुद्री सीमाओं पर भी काफी सराहनीय काम किया है और इनकी बदौलत सीमाओं की फास्ट ट्रैक मॉनीटरिंग करना भी संभव हो पाया था। दरअसल ‘रीसैट-2’ 536 किलोमीटर की ऊंचाई से चौबीसों घंटे भारतीय सीमाओं की निगरानी करता है। इसी श्रृंखला के सैटेलाइट का वर्ष 2016 में पाकिस्तान में की गई सर्जिकल स्ट्राइक और इस वर्ष बालाकोट में जैश के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक करने में भी इस्तेमाल किया गया था। बालाकोट हमले के बाद की गई एयर स्ट्राइक में इसरो द्वारा अंतरिक्ष में स्थापित किए गए रीसैट, कार्टोसैट तथा जीसैट श्रृंखला के सैटेलाइट बहुत मददगार साबित हुए थे। 26/11 के मुम्बई हमलों के बाद इसरो द्वारा रीसैट सीरीज के उपग्रहों को सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए विकसित किया गया था।

      इसी साल 22 मई को इसरो द्वारा रीसैट सीरीज के पुराने सैटेलाइट की तुलना में ज्यादा एडवांस्ड सैटेलाइट ‘रीसैट-2बी’ अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया था, जो तभी से देश की खुफिया आंख के तौर पर निगरानी का कार्य बखूबी कर रहा है। ‘रीसैट-2बी’ दिखने में भले ही पुराने सैटेलाइट जैसा ही है लेकिन उसकी तकनीक पहले से काफी अलग है, जिसमें इसरो द्वारा निगरानी और इमेजिंग क्षमताओं को काफी बढ़ाया गया था। पिछले कई महीनों से यह सैटेलाइट भारतीय सुरक्षा बलों को सीमाओं पर निगरानी रखने, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर ‘पीओके’ में आतंकी शिविरों की गतिविधियों पर नजर रखने और समुद्र में दुश्मन के जहाजों को ट्रैक करने में मदद कर रहा है, जिससे हिन्द महासागर में चीनी नौसेना के जहाजों तथा अरब सागर में पाकिस्तानी युद्धपोतों पर नजर रखी जा रही है।

      11 दिसम्बर को अंतरिक्ष की कक्षा में प्रक्षेपित किए गए रीसैट-2बीआर1 की बात की जाए तो कहा जा रहा है कि यह उपग्रह सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकी गतिविधियों और घुसपैठ पर नजर रखते हुए तीनों सेनाओं और सुरक्षाबलों को अभूतपूर्व मदद प्रदान करेगा। माना जा रहा है कि अब इस सैटेलाइट के अंतरिक्ष में स्थापित होने के साथ देश की सीमाओं पर घुसपैठ की कोशिश लगभग नामुमकिन हो जाएगी क्योंकि इसमें लगे खास सेंसरों के चलते सीमा पार आतंकियों के जमावड़े की सूचना पहले ही मिल जाएगी। सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि एक दिन में किसी एक स्थान पर सतत निगरानी के लिए सुरक्षा एजेंसियों को अंतरिक्ष में कम से कम चार रीसैट उपग्रहों की जरूरत है। संभवतः इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसरो द्वारा रीसैट-2बीआर1 की लांचिंग के बाद रीसैट श्रृंखला के और भी उपग्रह प्रक्षेपित किए जाने हैं। रीसैट श्रृंखला के अगले उपग्रह ‘रीसैट-2बीआर2’ की लांचिंग इसी माह किए जाने की संभावना है और उसके बाद एक और उपग्रह लांच किया जाएगा। बहरहाल, ‘रीसैट-2बीआर1’ की विशेषताओं को देखते हुए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि इसकी मदद से भारत को अपनी सीमाओं पर पैनी नजर रखने में बड़ी मदद मिलेगी और यह आने वाले समय में भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा।

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