रोम रोम में हमारे ओम भर जाये

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हे प्रभु ज्ञान दाता,ज्ञान हमको दीजिये |
शीघ्र हमारे दुर्गणों,को दूर हमसे कीजये ||

लीजिये हमको शरण में,हम सदाचारी बने |
ब्रह्मचारी धर्म रक्षक और वीर व्रतधारी बने ||

रोम रोम में ओम भर जाये हमारे |
प्रभु, ऐसी शक्ति हमको दीजिये ||

छल कपट से कोसो दूर रहे हम प्रभु |
बस अपनी भक्ति में लगा लीजिये ||

भला हम सबका करे,बुरा किसी का न करे,|
ऐसी सन्मति हमरे मस्तिष्क में भर दीजिये ||

करे भलाई हम सबकी,बुराई किसी की न करे ने |,
बस यही हमारे आचरण में अब भर दीजिये |

पर्यावरण को शुद्ध करे,गंदगी हम कही न करे |
पेड़ पौधे हम लगाये,बस ऐसा साहस दीजिये ||

शिक्षित हो हमारा समाज,अनपढ़ कोई न रहे |
हर जगह अब शिक्षा के द्वार खोल दीजिये ||

मात पिता की सेवा करे,कष्ट न दे हम उन्हें कभी,|
ऐसी हो हमारी सन्मति बस ऐसी बुद्धि दीजिये ||

आर के रस्तोगी

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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