
रोटी ब्रम्ह है रोटी आत्मा
रोटी प्रकृति है रोटी परमात्मा
रोटी जीवन है सबकी आस
रोटी अन्न है सबकी सांस
रोटी उंत्सव है मिले भरपेट खाना
रोटी बंधन है सबकुछ होकर न पाना
रोटी दिन है उम्मीद का सफर
रोटी तारीख है बच्चे का घर
रोटी महिना है नवयौवन के सपने
रोटी मकसद है निर्धन भी अपने
रोटी है मेहनतकश का पसीना
रोटी है तो हर हाल में जीना
रोटी है हर भूखे की मुस्कान
रोटी है हर बूढ़े-बीमार की जान
रोटी है हर घर की कहानी
रोटी है तो तन में आये पानी
रोटी है हर हाथों का कर्म
रोटी है हर मनुष्य का धर्म
रोटी है वेद पुराणों का मर्म
रोटी है भगवान की रहमत
रोटी है रिश्तों की कुदरत
रोटी है दिल की धड़कन
रोटी है भूखों की तड़फन
रोटी है रोना दिल का खोना
रोटी है साँसे पीव जीवन का होना
रोटी बिना न दुनिया का होना ।।
आत्माराम यादव पीव
बढ़िया लिखा है आपने “रोटी” पर..