—विनय कुमार विनायक
सनातन धर्मी हिंसक नहीं बल्कि हिंसाचार का दूषक होता
सनातनी राम कृष्ण बुद्ध महावीर गुरु का उपासक होता
सनातन मत जातिवाद व ऊँच-नीच का नहीं पोषक होता
सनातन पंथी बलिप्रथा और कर्मकांड का आलोचक होता!
सनातनी हिन्दुओं को जिन बुद्ध सिख गुरुजनों से वास्ता
सनातनी हिन्दू विष्णु के अवतारवाद में रखता है आस्था
सनातनी हिन्दुओं के लिए अब जरूरत नहीं वर्ण व्यवस्था
सनातनी हिन्दुओं को पुनर्जन्म कर्मफल सिद्धांत है पता!
सनातन में ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र को होना है एकसा
सनातनी हिन्दू बनना चाहते राम कृष्ण गुरु गोविंद जैसा
सनातन पंथिक होते मानवतावादी औ’ उदार चितवृत्ति का
सनातनी हिन्दू जैन बौद्ध सिखों में दया धर्म सहिष्णुता!
सनातन धर्मी बनना नहीं चाहता है ब्राह्मण रावण जैसा
सनातन पंथिक राक्षस रावण जैसा छली नहीं बन सकता
सनातनी छद्म वेश धरके देते नहीं नारी जाति को धोखा
सनातन धर्मी एकसाथ ब्राह्मण व राक्षस नहीं हो सकता!
सनातनी आदर्श वाल्मीकि का राम, तुलसी का भगवान भी
हिन्दू को गीता ज्ञानी कृष्ण प्रिय,सूरदास का राधेश्याम भी
हिन्दू हिंसा नहीं चाहता, पर हिंसक की मंशा को पहचानता
हिन्दू अहिंसक शांतिप्रिय, पर अशांति का दमन कर सकता!
सनातन धर्म में चौबीस जैन तीर्थंकर अहिंसक क्षत्रिय अरिहंत
हिन्दुओं को बुद्ध प्रिय,जिन्होंने बिना युद्ध जीते दिक् दिगंत
हिन्दू चाहते गुरु नानक से दशमेश पिता गोविंद सा योद्धा संत
हिन्दू हिंसा का दूषक है, मगर शत्रुओं का तोड़ सकता विषदंत!
सनातनी हिन्दू को छोड़ना होगा जातिवाद, बनानी होगी एकता
हिन्दू जानता हिन्दू धर्म नहीं ये समाहार जैन बौद्ध सिख का
सनातनी सपूत बुद्ध से चला ‘एसो धम्म सनंतनो’ का रास्ता
सनातन में ब्राह्मण कोई जाति नहीं बुद्धिमान बमन कहलाता!
जैन बौद्ध सिख में मुनि श्रमण ग्रंथी होते नहीं पृथक जाति
हिन्दू में पुजारी होते जो बाद में बनी जाति ब्राह्मण नाम की
यदि ब्राह्मण सर्वोच्च वर्ण व जाति के होते तो भगवान सभी
होते अवतार तीर्थंकर बुद्ध गुरु क्षत्रिय के बजाय ब्राह्मण ही!
आरंभ में ब्राह्मण नामक कोई वर्ण जाति नहीं उपस्थित था
ब्राह्मण के पूर्व भारत में मनुर्भरती नाग आर्य खत्ती क्षत्रिय था
इन नाग आर्य खत्तीय क्षत्रिय में अवतार तीर्थंकर बुद्ध हुए थे
वैदिक ऋषि ही विप्र पूर्वज थे जो असवर्ण रक्तमिश्रित शूद्र थे!
वज्रसूच्युपनिषद में कहा गया है यदि जाति से ब्राह्मण होता
तो बहुत से महर्षि दूसरी-दूसरी जातियों में उत्पन्न हुए; यथा
हिरणी से ऋषिशृंग,कुश से कौशिक,शशक पीठ से गौतम ऋषि
व्यास मल्लाही से, पराशर चाण्डाली से,गणिका से वशिष्ठ जी!
महाभारत भी कहता गणिका गर्भ से उत्पन्न वशिष्ठ की जाति
ब्राह्मण तप संस्कार से ‘गणिकगर्भ संभूतो वशिष्ठश्च महामुनि:
तपसा ब्राह्मणोजातः संस्कारस्तत्रकारणम्/जातोव्यासस्तु कैवर्त्या
श्वपाक्यास्तु पराशरः वहवोऽन्येऽपि विप्रत्वं प्राप्ताये पूर्वमद्विजा!
जब-जब सनातन में मिथ्या ब्राह्मणवाद जातिभेद मिथक आया
तब-तब सनातनियों में घृणा द्वेष फूट बिखराव का दुर्गत छाया
इस मिथ्या दंभ से बुद्ध महावीर गुरु नानक गोविंद ने चेताया
आज सनातन फिर खतरे में है छद्म हिन्दुओं ने कहर बरपाया!
अब समय आ गया सभी सनातनी पंथों का एक हो जाने का
एक दूसरे की अच्छाई को अपनाने और बुराई भूला जाने का
सभी सनातनी का बाना हो सिख जैसा,तार्किक हो बुद्ध जैसा
कर में कृपाण राम कृष्ण गुरुगोविंद का, अहिंसक अरिहंत सा!
अब समय नहीं ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य औ’ शूद्र में विभाजन का
अब दौर नहीं राक्षस रावण को ब्राह्मण कहकर महिमामंडन का
अब हक नहीं कौरव कंश कीचक जयचन्द को क्षत्रिय होने का
अब घड़ी है हिन्दू बौद्ध जैन को पगड़ीधारी सिख हो जाने का!
अब समय आ गया है हिन्दू धर्म की रक्षा में बलिदान हो गए
कश्मीरी ब्राह्मण रक्षी गुरु तेगबहादुर के प्रति फर्ज निभाने का
गुरु अर्जुनदेव, गुरु गोविंदसिंह सर्ववंशदानी के कर्ज चुकाने का
हिन्दुओं जाति अहं छोड़ो ये घड़ी सनातनी अस्तित्व बचाने का!
केश कड़ा कच्छ कृपाण कंघा मूंछ दाढ़ी पगड़ी रखो सिखों सा
लक्ष्य हो देश धर्म की रक्षा, नारी की सुरक्षा व सर्वजन शिक्षा
आर्य समाजी सा सात्विक दिलेर, ना किसी से डर और ना वैर
अपनों के लिए अपनापन निभाएँ,देशद्रोही दुश्मन का नहीं खैर!
—विनय कुमार विनायक