मायावारी सरकार में वर्षो सत्ता सुख उठा चुके लोग अब वहुजन समाज पार्टी को ख़राब बता रहे है | बसपा से निकले जा रहे नेता,टिकेट ना मिलने से नाराज़ नेता , भ्रस्टाचार के आरोपों में घिरे और कार्यवाही के शिकार नेता अब बसपा सुप्रीमो मायावती को भला-बुरा कह रहे है | अवसरवादी, सिधान्त विहीन ,जनता के हित के विरोधी ,विकास के धन के लुटेरे नेताओ ने अब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की तरफ रुख कर लिया है | समाजवादी पार्टी की पहचान उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार की नीतिओ की खिलाफत के कारण ही बनी है ,बसपा के जिम्मेदार रहे नेता जिस तरह समाजवादी पार्टी में महत्व पा रहे है उससे मतदाताओ में एक निराशा उत्पन्न हो गयी है | चुनावो में अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए बसपा से सपा में शामिल होने वाले तमाम दलबदलू नेताओ को सपा नेतृत्व द्वारा प्रत्याशी बना देना समाजवादी कार्यकर्ताओ और नेताओ को निराश करने वाला आत्म घटी कदम है | जिन नेताओ के इशारे पर समाजवादियो ने वर्षो प्रशासनिक अत्याचार सहे ,उन अत्याचारों के खिलाफ सड़क पर संघर्ष किया ,उन्ही बसपा से आये नेताओ के लिए समाजवादी कार्यकर्ता मत मांगेगा ,यह कितनी हास्यास्पद व शर्मनाक बात है | समाजवादियो की पहचान डॉ लोहिया के विचारो और जनता के हित के लिए किये गये संघर्षो से होती है ना कि सत्ता के दलाल प्रवृत्त के अवसर वादी,सिधान्त विहीन नेताओ से | समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संघर्ष की परिपाटी को जीवन्त करने का जो महती काम किया है , उन के उस काम को इन स्वार्थी तत्वों के समाजवादी पार्टी में आने से गहरा धक्का लगा है | उत्तर प्रदेश के आसन्न विधान सभा -२०१२ के चुनाव शुरु हो चुके है,यह निर्णायक घडी है, स्वार्थी-सिद्धांत विहीन – अवसर वादियो को बगल गिर बनाने से समाजवादी सरकार बनाने में मुश्किलें आएँगी,जनता इन स्वार्थी नेताओ से उब चुकी है ,ये जिस पार्टी में रहेंगे उसका ही नुकसान होगा | समाजवादी पार्टी को अपने संघर्ष शील नेताओ की जगह इनको महत्व नहीं देना चाहिए | जिस जिस विधान सभा में बसपा से आये हुये नेताओ को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है वहा पर समाजवादी कार्यकर्ता हताश है, जिसका खामियाजा भी सपा को उठाना पड़ सकता है |
अच्छी सलाह है पर मानेगा कौन?