बिछुड़न

0
235

अजय एहसास

पास आ करके हमें दूर न होना आया,
दूर हो करके तुमसे बस हमें रोना आया ।
तुम्हारी याद में पलकें हैं बन्द होके खुली,
इन आँखों में नहीं नींद न सोना आया,
दूर हो करके तुमसे बस हमें रोना आया ।
न जाने कौन सी घड़ी थी शक किया तुमनें,
अपना कहने का हमसे छीन हक लिया तुमने,
मेरे हिस्से में तेरे दिल का न कोना आया,
दूर हो करके तुमसे बस हमें रोना आया ।
फूल तो फूल है बस फूल सभी चुनतें हैं,
मकड़ियों की तरह से जाल सभी बुनतें हैं,
किसी की राह में काँटें नहीं बोना आया,
दूर हो करके तुमसे बस हमें रोना आया ।

             - अजय एहसास 
              सुलेमपुर परसावां
              अम्बेडकर नगर(उ०प्र०)
              मो०- 9889828588

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here