सौतेलापन क्यों ?

आकाश

भारत का संबंध जितना अच्छा नेपाल से है, उतना अच्छा पाकिस्तान से नहीं है. अभी भी भारतीय लड़की की शादी नेपाल में होती है और नेपाली लड़की की शादी भारत में. लेकिन, पाकिस्तान में नहीं. सानिया मिर्ज़ा और शोएब मलिक की शादी को छोड़ दिया जाए तो कोई ऐसा मामला सामने नहीं आया है. भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्ख है, जबकि नेपाल से वर्तमान मान में ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है. भारत से नेपाल में आप बिना वीजा प्रवेश कर सकते हैं लेकिन पाकिस्तान में नहीं. भारत – नेपाल के बोर्डर वाले इलाकों में एक दुसरे देश के लोग आराम से रोजमर्रा का सामान खरीद कर ले जाते हैं. जबकि पाकिस्तान से हमारा रिश्ता ऐसा नहीं है. कुल मिलाकर कहा जाए तो भारत का नेपाल से बेटी रोटी का संबंध है जो पाकिस्तान से नहीं है. इसके बावजूद भी पाकिस्तान भारतीय मीडिया में जिस तरह छाया रहता है उतना नेपाल नहीं . आखिर क्योँ ?

पाकिस्तान की राजधानी में बम फट जाए तो भारतीय मीडिया “बाल की खाल” निकाल लेती है. लेकिन, काठमांडो में बम फट जाए तो किसी अखबार के कोने में भी मुश्किल से जगह मिलती है. बात ज्यादा पुरानी भी नहीं है. 27 फरवरी को दिन के करीब 1 बजे काठमांडो के मुख्य प्रशासनिक केंद्र के बिल्कुल नजदिक बम ब्लास्ट हुआ. 3 लोग मारे गए, 7 घायल हो गए. इतना कुछ हो जाने बाद भी भारतीय न्यूज़ चैनल पर मानो जूं तक नहीं रेंगी. आश्चर्य तो तब होता है, जब अगले दिन के अखबार में भी ढुंढने से ये खबर आपको नहीं मिलेगी. थोडा पीछे पलट कर देखें तो याद कीजिये, नेपाल में 21 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संचार मंत्री जे पी गुप्ता को भ्रष्टाचार के आरोप में डेढ़ साल के लिए जेल भेजा और लगभग 1 करोड़ का जुर्माना लगाया. ये बात ना तो किसी चैनल पर दिखा और ना ही उसकेअगले दिन किसी अखबार के किसी पन्ने पर. “यही चैनल और यही अखबार अन्ना के आन्दोलन से शुरू हुई भ्रष्टाचार की लड़ाई” में साथ देने की बात कहते नहीं थक रहे थे .लेकिन जब पड़ोस में भ्रष्टाचार के आरोप में किसी मंत्री को जेल भेजा गया तो ये आँख मूंद कर राखी सावंत के ठुमके दिखा रहे थे. नेपाल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ की कोई मंत्री पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गया. ऐसा भी नहीं है कि पाकिस्तान में हिंदी चैनल देखा जाता है और नेपाल में नहीं. नेपाल में भी हिंदी टीवी सीरियल उतना ही फेमस है जितना पाकिस्तान में. पाकिस्तान में भी सचिन तेंदुलकर और सलमान खान उतना ही फेमस है जितना नेपाल में. इस सब के बाद भी भारतीय मीडिया के दोगलेपन का क्या कारण है पता नहीं. यही कुछ दिन पहले की बात है पाकिस्तान में “कु” की आशंका बनी तो मानो भारतीय मीडिया ने उसे अपने घर की तरह परोसने में कोई कमी नहीं की. नेपाल की राजनीतिक अवस्था किसी से छुपी नहीं है. रोज रोज राजनीतिक पार्टीयों के बीच सहमती बनती है और अगले दिन राइ के पहाड़ की तरह ढह जाती है. नेपाली राजनीति में भारतीय राजनीति का प्रभाव भी किसी से छुपा नहीं है . इस सब के बाद भी ना तो भारतीय मीडिया में नेपाल का कोई प्रभाव है और ना ही आने वाले कुछ समय में बनता दिख रहा है. टीआरपी के खेल में खेलती न्यूज़ चैनल के इस गंदे खेल को आम दर्शक क्या जाने ? जो सुबह लंगोट वाले बाबा से अपना भविष्य सुनता है और दिनभर टीवी सीरियल के बहुओं से लेकर राखीऔर श्वेता के ठुमके और रात को कॉमेडी सर्कस का कुछ अंश देख कर सो जाता है.

 

 

1 COMMENT

  1. Indian media has still not accepted the partition. They have love and affection despite political crisis.Its longing desire still in the mind

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