सुभद्रांगी मंदराचल बौंसी गोलहट्टी गांव की बेटी सम्राट अशोक की मां थी

—विनय कुमार विनायक
मगधराजमहिषी सुभद्रांगी समुद्र मथानी मंदराचल की
छांव में बसी बौंसी गोलहट्टी गांव की बेटी
भातृपुत्री थी पंडित गौर कान्त उर्फ गुलेठी झा की!

गुलेठी झा उर्फ पंडित गौर कान्त
अंग जनपद चंपा के राजा ब्रहदत्त के ब्राह्मण
राजवैद्य पीढ़ी परिवार में जन्मे एक आजीवक पंथी थे
तक्षशिला विश्वविद्यालय में चाणक्य का सहपाठी
गुलेठी झा का आश्रम कहलाता एक गांव गोलहट्टी
भागलपुर दुमका पथ हंसडीहा चौक के आगे डांड़ै पास में!

चाणक्य और पंडित गौर कांत गुलेठी झा की दोस्ती का
परिणाम बिन्दुसार-सुभद्रांगी का परिचय परिणय था
एक स्थाई संधिपत्र सा अंग प्रदेश का मगध में विलय का!

एक षड्यंत्र के तहत बहुत दिनों तक अलग रही सुभद्रांगी
अंततः मिलन हुआ बिन्दुसार से और शोक का हुआ अंत
जब अशोकवर्द्धन का सुभद्रांगी की कोख से हुआ जन्म!

बिन्दुसार दरवार का आजीवक ज्योतिषी कोई और नहीं
चाणक्य का मित्र वही पंडित गौर कांत उर्फ गुलेठी झा ही
जिसने कुटिल कौटिल्य के दम पर की थी भविष्यवाणी
अशोक का मगध सम्राट व सुभद्रांगी की राजमहिषी होने की!

दीर्घायु चाणक्य (350-283 ईसा पूर्व) क्रूर कुटिल कूटनीतिज्ञ ने
चंद्रगुप्त (321-297 ईसा पूर्व) को विषरोधी बनाने के क्रम में
बिन्दुसार (297-273 ईसा पूर्व) की माता दुर्जरा की ग्रीवा काट दी
दो सौ तिरासी ईसा पूर्व में बिन्दुसार के एक मंत्री सुबन्धु ने
राजा से उपेक्षित चाणक्य को कुटिया में जला दिया था जीते जी!

ब्राह्मण सुन्दरी सुभद्रांगी पुत्र अशोक देवनांमप्रिय अशोकवर्द्धन
अत्यंत क्रूर,कुरूप होने के कारण अप्रिय था सम्राट बिन्दुसार को
बिन्दुसार यद्यपि रानी सुभद्रांगी के प्रभाव से आजीवक पंथी थे
मगर अशोक नहीं सुसीम को उतराधिकारी घोषित कर चुके थे!

अशोक ने अनुज तिष्य को छोड़ निन्यानबे भाईयों की हत्या करके
मगध की राजगद्दी दो सौ तिहत्तर ईसा पूर्व में हासिल करली थी
आरंभ में अशोक था अपनी मां धम्मा जनपदकल्याणी सुभद्रांगी सा
आजीवक धर्म सम्प्रदायी, आजीवकों को बाराबर गुफा किया समर्पित
बाराबर गुहालेख में अशोक ने निज नाम ‘देवानांप्रिय’ कराए अंकित!

भाब्रू अभिलेख में ‘मगधाधिराज’ कन्दहार अभिलेख में ‘प्रियदर्शी’
मध्यप्रदेश के गुर्जरा व आंध्रप्रदेश के मास्की लघु शिलालेखों और
वायुपुराण मत्स्यपुराण दिव्यावदान में सिर्फ ‘अशोक’ संज्ञा लिखी!

विविधतीर्थकल्प में ‘अशोकश्री’, कलियुगराजवृतांत, विष्णुपुराण
जनश्रुति और साहित्य में ‘अशोकवर्द्धन’ नाम से ख्याति प्राप्त
सम्राट अशोक ने एकमात्र कलिंग युद्ध किया और जीत लिया!

राजधानी तोषली में भयानक रक्तपात से कलिंगरानी पद्मावती के
करुण विलाप से अशोक का दिल पसीज गया बने अहिंसक बौद्ध
अपनी मां धम्मा के नाम धम्माशोक हुए उपासक बौद्ध धम्म के!
—विनय कुमार विनायक

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