धर्म-अध्यात्म “सुपात्रों को दान देने से ही दानकर्ता को जन्म-जन्मान्तर में अच्छे परिणाम मिलते हैं” December 4, 2018 / December 4, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, हमारे शास्त्रों में दान की महिमा बताई गई है। मनुष्यों को अपना भविष्य सुधारने के लिये सुपात्रों को अवश्य दान करना चाहिये। यज्ञ के तीन अंग कहे जा सकते हैं। पहला देवपूजा, दूसरा संगतिकरण और तीसरा दान। यज्ञ में जड़ व चेतन दोनों प्रकार के देवताओं का यजन, पूजा, सत्कार व संगतिकरण […] Read more » अज्ञानता अन्धविश्वास असमानता ओषधियों कुरीतियां घृत यज्ञकुण्ड समिधा
धर्म-अध्यात्म “ईश्वरीय ज्ञान वेदों का पुनरुद्धार, देश को आजादी का मूलमन्त्र तथा सामाजिक न्याय का सिद्धान्त ऋषि दयानन्द की देन है” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “ईश्वरीय ज्ञान वेदों का पुनरुद्धार, देश को आजादी का मूलमन्त्र तथा सामाजिक न्याय का सिद्धान्त ऋषि दयानन्द की देन है” मनमोहन कुमार आर्य, हम और सारा संसार ऋषि दयानन्द का ऋणी है। उनका ऋण ऐसा है कि जो कोई उतार नहीं सकता। उन्होंने संसार को सत्य ज्ञान दिया जो महाभारत युद्ध के बाद लुप्त होने के साथ अनेक विकृतियों से ग्रस्त हो गया था। वेदों के शुद्ध ज्ञान को प्राप्त करना सहज व सरल नहीं […] Read more » अज्ञान का निवारण अन्धविश्वास अन्धविश्वासों आजादी ऋषि दयानन्द फलित ज्योतिष महर्षि दयानन्द मूर्तिपूजा शिक्षा का प्रचार सामाजिक कुरीतियां
धर्म-अध्यात्म “सत्यार्थ-प्रकाश का हिन्दी में लिखा जाना एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना” August 21, 2018 / August 21, 2018 by मनमोहन आर्य | 3 Comments on “सत्यार्थ-प्रकाश का हिन्दी में लिखा जाना एक अत्यन्त महत्वपूर्ण घटना” मनमोहन कुमार आर्य, सत्यार्थप्रकाश कोई सामान्य ग्रन्थ न होकर वैदिक धर्मियों का धर्मग्रन्थ है जिसका आधार वेद और वेद की निर्भ्रान्त सत्य मान्यतायें एवं सिद्धान्त हैं। हम सत्यार्थप्रकाश को धर्म ग्रन्थ इस लिये कह रहे हैं कि सामान्य व्यक्ति वेदों का अध्ययन कर उससे वह लाभ नहीं उठा सकता जो सत्यार्थप्रकाश से प्राप्त होता है। […] Read more » Featured अज्ञान अन्धविश्वास ईश्वर ऋषि दयानन्द गुरु स्वामी विरजानन्द सरस्वती पाखण्ड सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “यदि स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द न होते तो स्वामी रामदेव भी न होते : स्वामी रामदेव” July 7, 2018 / July 7, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on “यदि स्वामी दयानन्द और स्वामी श्रद्धानन्द न होते तो स्वामी रामदेव भी न होते : स्वामी रामदेव” मनमोहन कुमार आर्य, तीन दिवसीय गुरुकुल सम्मेलन, गुरुकुल कांगड़ी परिसर में 6 जुलाई, 2018 को आरम्भ हुआ। अपरान्ह 4 बजे से सम्मेलन का उद्घाटन समारोह हुआ जिसे पतंजलि योगपीठ के विश्व विख्यात योगाचार्य स्वामी रामदेव जी, मेघालय के राज्यपाल ऋषिभक्त श्री गंगा प्रसाद जी एवं कई आर्य संन्यासी एवं नेताओं ने सम्बोधित किया। स्वामी […] Read more » Featured अन्धविश्वास आर्यसमाज नशाखोरी पाखण्ड मांसाहार राष्ट्र स्वामी दयानन्द स्वामी रामदेव स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का उद्देश्य सद्ज्ञान देकर आत्माओं को परमात्मा से मिलाना था” June 16, 2018 / June 16, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत के बाद ऋषि दयानन्द ने भारत ही नहीं अपितु विश्व के इतिहास में वह कार्य किया है जो संसार में अन्य किसी महापुरुष ने नहीं किया। अन्य महापुरुषों ने कौन सा कार्य नहीं किया जो ऋषि ने किया? इसका उत्तर है कि ऋषि दयानन्द ने अपने कठोर तप व पुरुषार्थ से […] Read more » “ऋषि दयानन्द का उद्देश्य सद्ज्ञान देकर आत्माओं को Featured अधर्म अन्धविश्वास ईश्वर ऋषि दयानन्द गोरक्षा परमात्मा से मिलाना था” मनुष्य अज्ञान हिन्दुओं
समाज अन्धविश्वास : जादू-टोना, तंत्र-मंत्र व ज्योतिष विद्या के नाम पर… June 29, 2017 by निर्मल रानी | 2 Comments on अन्धविश्वास : जादू-टोना, तंत्र-मंत्र व ज्योतिष विद्या के नाम पर… निर्मल रानी प्रसिद्ध चिंतक एवं विचारक ओशो अपने एक प्रसंग में बयान करते हैं कि-‘एक अंग्रेज़ हमारे देश में फुटपाथ पर पैदल चला जा रहा था कि सड़क के किनारे बैठे एक ‘ज्योतिषि’ ने उस अंग्रेज़ को आवाज़ देते हुए कहा -‘आईए मैं आपको केवल दो रूपये में आपका भविष्य बताऊंगा। अंग्रेज़ ने जवाब दिया […] Read more » Featured अन्धविश्वास जादू-टोना ज्योतिष विद्या तंत्र-मंत्र
धर्म-अध्यात्म क्या अज्ञान, अन्धविश्वास, अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है? August 16, 2015 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on क्या अज्ञान, अन्धविश्वास, अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है? सभी मनुष्यों का धर्म एक है या अनेक? वर्तमान में सभी समय में प्रचलित अनेक मत व धर्मों में लोग किसी एक को मानते हैं। प्रश्न का उत्तर देने के लिए हमें धर्म व मत को जानना होगा। यथार्थ धर्म को जान लेने के बाद स्वयं उत्तर मिल जायेगा। धर्म मनुष्य जीवन में श्रेष्ठ […] Read more » अन्धविश्वास अन्धी श्रद्धा व आस्था का खण्डन अनुचित है?