धर्म-अध्यात्म “मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अमरता प्रदान करने वाले विश्व वन्दनीय ऋषि वाल्मीकि” October 24, 2018 / October 24, 2018 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on “मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अमरता प्रदान करने वाले विश्व वन्दनीय ऋषि वाल्मीकि” मनमोहन कुमार आर्य, आज महर्षि वाल्मीकि जी का जन्म दिवस है। हम यह भूल चुके हैं कि हमारी धर्म व संस्कृति के गौरव मर्यादा पुरुषोत्तम राम को हम जितना जानते हैं उसका आधार वैदिक ऋषि वाल्मीकि जी का महाकाव्य ‘‘रामायण” है। भारत व अन्यत्र श्री राम के विषय में जो भी ग्रन्थ रचे गये वह […] Read more » अहंकार क्रोध जीवन परिवार मनुष्य काम महत्वाकांक्षा महर्षि वाल्मीकि लोभ समाज सूर्य महर्षि दयानन्द स्वार्थ
समाज दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व October 14, 2018 / October 14, 2018 by ललित गर्ग | 2 Comments on दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व -ललित गर्ग- दशहरा-विजयदशमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। आश्विन शुक्ल दशमी को यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में वीरता का पूजक, शौर्य का उपासक प्रतीक पर्व है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो, इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है। भगवान राम ने इसी […] Read more » अहंकार आलस्य काम क्रोध तर्क हो दशहरा है शक्ति की साधना का पर्व न जल्दबाजी हो न सन्देह हो मत्सर मोह मद लोभ हिंसा
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये” July 24, 2018 / July 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, जीवात्मा और परमात्मा का व्याप्य-व्यापक सम्बन्ध है। जीवात्मा में ईश्वर व्यापक है और जीवात्मा ईश्वर में व्याप्य है। सर्वव्यापक ईश्वर जीवात्मा से सूक्ष्म है और इसके भीतर भी व्यापक है। मनुष्य जीवन मिलने पर जीवात्मा अन्तःकरण चतुष्टय और ज्ञान व कर्मेन्द्रियों की सहायता से सत्य व असत्य, ज्ञान व अज्ञान, हित व […] Read more » “ईश्वर हमें अन्धकार से हटाकर ज्ञानरूपी प्रकाश को प्राप्त कराये” Featured अर्थ अहंकार ईश्वर ऋषि दयानन्द काम व मोक्ष क्रोध धर्म महर्षि दयानन्द मोह लोभ
समाज परिवार का महत्त्व और उसका बदलता स्वरूप July 23, 2018 / July 23, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment गीता आर्य परिवार व्यक्तियों का वह समूह होता है, जो विवाह और रक्त सम्बन्धों से जुड़ा होता है जिसमें बच्चों का पालन पोषण होता है । परिवार एक स्थायी और सार्वभौमिक संस्था है। किन्तु इसका स्वरूप अलग अलग स्थानों पर भिन्न हो सकता है । पश्चिमी देशों में अधिकांश नाभिकीय परिवार पाये जाते हैं । […] Read more » Featured अहंकार आधुनिकता घमंड नगरीकरण नारी सशक्तिकरण बढ़ता सुखवाद बिना कर्तव्य के अधिकार भारतीय समाज महत्वकांक्षा रोजगार हेतु पलायन स्वार्थवाद