धर्म-अध्यात्म आत्मा, अनादि, अविनाशी व जन्म-मरण धर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है October 13, 2020 / October 13, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता […] Read more » imperishable and birth-born is righteousness and is blessed with salvation The soul is eternal अनादि अविनाशी व जन्म-मरण धर्मा आत्मा मोक्ष की कामना
धर्म-अध्यात्म आत्मा एक अनादि द्रव्य है जिसकी सिद्धि उसके गुणों से होती हैं July 1, 2020 / July 1, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य संसार में अनश्वर एवं नश्वर अनेक पदार्थ हैं जिनकी सिद्धि उनके निजी गुणों से होती है। वह गुण सदा उन पदार्थों में रहते हैं, उनसे कभी पृथक नहीं होते। अग्नि में जलाने का गुण है। वायु में स्पर्श का गुण है, जल में रस है जिसे हमारी रसना व जिह्वा अनुभव […] Read more » The soul is a eternal substance that is attained by its qualities " आत्मा
धर्म-अध्यात्म हमें अपनी आत्मा व इसके स्वरूप को जानने का प्रयत्न करना चाहिये June 16, 2020 / June 16, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य हम मनुष्य हैं। हमारे पास मनन, चिन्तन, विचार, ध्यान व सत्यासत्य का निर्णय करने के बुद्धि है। इन साधनों से हम स्वयं अर्थात् अपनी आत्मा को भी जान सकते हैं। हम एक चेतन सत्ता है। हमारा निवास हमारे शरीर के भीतर है। हमारा शरीर हम नहीं है। शरीर तो पांच भूतों […] Read more » आत्मा
धर्म-अध्यात्म “वेदमार्ग ही मनुष्य को ईश्वर, जीवात्मा व संसार का ज्ञान कराकर मोक्ष में प्रवृत्त कराता है” September 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में मुख्यतः दो प्रकार की जीवन शैली एवं संस्कृतियां हैं। एक त्याग की ओर प्रवृत्त करती हैं तो दूसरी भोग की ओर। वैदिक धर्म व संस्कृति मनुष्य को त्यागपूर्वक जीवन व्यतीत करने का सन्देश देती है। पाश्चात्य एवं अन्य विदेशी संस्कृतियां प्रायः अपने अनुयायियों को भोग करने का संकेत देती हैं। […] Read more » अजर अनादि अमर अविनाशी आत्मा आत्मोन्नति जन्म-मरण धर्मा नित्य पुनर्जन्म पूर्वजन्म शाश्वत् सनातन ससीम
प्रवक्ता न्यूज़ ‘‘हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोन सिटी द्वारा सम्मान के लिये हार्दिक धन्यवाद’’ September 6, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि-भक्त आर्य-श्रेष्ठ श्री प्रभाकरदेव आर्य जी विगत लगभग 25 वर्षों से दुलर्भ, हितकारी एवं जीवनोन्नति के आधार आर्य साहित्य के प्रकाशन का प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं। आप अब तक लगभग 200 मूल्यवान ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुके हैं जिसमें ऋषि दयानन्द के ग्रन्थों सहित पं. हरिशरण सिद्धान्तालंकार कृत चारों वेदों का […] Read more » आत्मा आभूषण ईश्वर एवं नगद धनराशि धर्म माला वस्त्र समाज विषयक ज्ञान
विविधा अहम सवाल- जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों हैं August 1, 2018 / August 1, 2018 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा रचना (यहाँ टाइप या पेस्ट करें): एक किताब मिली। The Vital Question. Why life is the way it is. लेखक हैं Nick Lane । (अहम सवाल, जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों है। ) मैं जीव-विज्ञान का छात्र रहा हूँ।मैंने सीखा कि प्रोटोप्लाज्म जीवन का भौतिक आधार है। मैंने सीखा कि पदार्थ के एक विशेष […] Read more » Featured अहम सवाल- जिन्दगी जैसी है वैसी क्यों हैं आत्मा जीव-विज्ञान परमात्मा रवीन्द्रनाथ ठाकुर लोक परलोक
धर्म-अध्यात्म आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” May 2, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on आर्यत्व का धारण मनुष्य को श्रेष्ठ व सफल मनुष्य बनाता है” मनमोहन कुमार आर्य हम अपने पूर्व जन्मों के अच्छे कर्मों के कारण इस जन्म में मनुष्य योनि में उत्पन्न हुए हैं। दो मनुष्यों व इनकी आत्माओं के कर्म समान नहीं होते। अतः सभी मनुष्यों के परिवेश व इनकी सामाजिक परिस्थितियां भिन्न भिन्न देखने को मिलती हैं। वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य योनि में जो […] Read more » Featured अत्याचार आत्मा तम्बाकू का सेवन धूम्रपान प्रति अन्याय बुद्धि व आत्मबल भ्रष्टाचार मछली मन मस्तिष्क शरीर शोषण
धर्म-अध्यात्म सत्संग क्या और इससे लाभ April 27, 2018 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on सत्संग क्या और इससे लाभ मनमोहन कुमार आर्य सत्संग एक प्रचलित शब्द है जिसका प्रायः सभी लोग बातचीत व परस्पर व्यवहार में प्रयोग करते है। आजकल किसी धार्मिक कथा आदि में जाने को ही सत्संग मान लिया जाता है। सत्संग का वास्तविक अर्थ क्या है, इस पर कम लोग ही ध्यान देते हैं। सत्संग दो शब्दों सत् और संग से […] Read more » Featured अग्निहोत्र अज्ञान अन्याय आत्मा ईश्वर ऋषिकृत ग्रन्थों क्रोध दुराचार देवयज्ञ मनुष्य लोभ सत्संग
धर्म-अध्यात्म गायत्री महामंत्र का महत्व April 23, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य वेदों में गायत्री मंत्र के नाम से एक मंत्र आता है जो निम्न है। इसे गायत्री मंत्र इस लिये कहते हैं कि इसे गाया जाता है और यह मंत्र गायत्री छन्द निबद्ध है। इसे गुरू मंत्र भी कहते हैं। इस कारण कि गुरुकुल में प्रवेश करते समय आचार्य अपने ब्रह्मचारी को प्रथम […] Read more » Featured आत्मा ईश्वर ऋषि दयानन्द मनुष्य
धर्म-अध्यात्म मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य को जानने वाला है इतर पशु आदि का नहीं November 25, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ की भूमिका में ऋषि दयानन्द जी ने कुछ महत्वपूर्ण बातें लिखी हैं। उनके शब्द हैं ‘मनुष्य का आत्मा सत्याऽसत्य का जानने वाला है तथापि अपने प्रयोजन की सिद्धि, हठ, दुराग्रह और अविद्यादि दोषों से सत्य को छोड़ असत्य में झुक जाता है। परन्तु इस (सत्यार्थप्रकाश) ग्रन्थ में ऐसी बात नहीं […] Read more » आत्मा