प्रवक्ता न्यूज़ दुआ है कि ये जीवन सहल हो जाए सबके लिए June 16, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- ख्वाबों के तिजारती आज पीरे शाह तख्त है देखेंगे तमाशा अभी तो हम सदाए बेवक्त है अंदाजे बागवां वही, रिवाजे गुलसितां वही गर्दिशे ज़मी भी वही हैं रंगे आसमां भी वही गहरी धुंध को भी, सियासत में चांदनी कहें जिंदगी सिसके तो उसे भी खुश रागिनी कहें सड़क पानी हवा सब जबसे उनकी […] Read more » जीवन जीवन पर कविता हिन्दी कविता
कविता रोटी मिली पसीने की June 14, 2014 / June 16, 2014 by श्यामल सुमन | Leave a Comment -श्यामल सुमन- इक हिसाब है मेरी जिन्दगी सालों साल महीने की लेकिन वे दिन याद सभी जब रोटी मिली पसीने की लोग हजारों आसपास में कुछ अच्छे और बुरे अधिक इन लोगों में ही तलाश है नित नित नए नगीने की नेकी करने वाले अक्सर बैठे गुमशुम कोने में समाचार में तस्वीरों संग चर्चा आज […] Read more » कविता जीवन पर कविता हिन्दी कविता
प्रवक्ता न्यूज़ बता दो.. शून्य का विस्फोट हूं! May 19, 2014 / May 19, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -गिरीश बिल्लोरे- दूरूह पथचारी तुम्हारे पांवों के छालों की कीमत तुम्हारी अजेय दुर्ग को भेदने की हिम्मत को नमन! निशीथ-किरणों से भोर तक उजाला देखने की उत्कंठा सटीक निशाने के लिये तनी प्रत्यंचा महासमर में नीचे पथ से ऊंची आसंदी तक की जात्रा में लाखों लाख जयघोष आकाश में हलचल को जन्म देती जड़-चेतन सभी […] Read more » जीवन पर कविता नरेंद्र मोदी मोदी पर कविता
कविता गुलमोहर मुझे अच्छा लगने लगा है! May 12, 2014 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment -प्रवीण गुगनानी- गुलमोहर मुझे अच्छा लगने लगा है! उस दिन जो संगीत था, बड़ा ही मुखर-मुखर सा। उसमें लिखा था वो सन्देश, जिसे मैं पढ़ नहीं पाया था। तब जब वह समुद्री रेत पर लिखा हुआ था, कुछ ऊंगलिया थी थरथराती-कपकपातीं। जो चली थी उस रेत पर, चली थी, कई मीलों। लिखते हुए ऐसा कुछ, […] Read more » कविता कविता जीवन पर जीवन पर कविता
कविता ऊसर कटोरी, बंज़र थाली May 12, 2014 by जावेद उस्मानी | Leave a Comment -जावेद उस्मानी- ऊसर कटोरी, बंज़र थाली, बदतर बोली, जैसे गाली। सोचो मत बस बोले जाओ, जैसे भी हो, सत्ता कुंजी पाओ! दिवास्वप्न देखो और दिखलाओ, सच्चाई को सौ सौ पर्दो में छुपाओ। पहले उनसे सुनो स्वप्न साकार के, मखमल लिपटे सुन्दर भाषण। फिर देखो समझौतों के हज़ारों, नए पुराने आधे अधूरे आसन! सुनो फिर मज़बूरी […] Read more » कविता गरीबी पर कविता जीवन पर कविता
कविता वर्तमान May 8, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment -बीनू भटनागर- कौन कहता है, अतीत में मत झांको! कौन कहता है, अतीत से मत सीखो! पर अतीत को अपने, कांधों पर ढोकर, वर्तमान पर अपने, न बोझ बनने दो! कौन कहता है, भविष्य की मत सोचो! कौन कहता है, भविष्य भ्रम है केवल! पर भविष्य की चिंता में, रातों में न करवटें बदलो! भविष्य […] Read more » कविता जीवन पर कविता
कविता सुमन यहां जलते दिन-रात। May 2, 2014 by श्यामल सुमन | Leave a Comment -श्यामल सुमन- सुमन यहां जलते दिन-रात। मिहनत जो करते दिन-रात। वो दुख में रहते दिन-रात। सुख देते सबको निज-श्रम से। तिल-तिल कर मरते दिन-रात। मिले पथिक को छाया हरदम। पेड़, धूप सहते दिन-रात। बाहर से भी अधिक शोर क्यों। भीतर में सुनते दिन-रात। दूजे की चर्चा में अक्सर। अपनी ही कहते दिन-रात। हृदय वही परिभाषित […] Read more » poem poem on life कविता जीवन पर कविता