धर्म-अध्यात्म जीवात्मा एक स्वतन्त्र एवं अन्य अनादि तत्वों से पृथक सत्ता व पदार्थ है January 13, 2021 / January 13, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हमारा यह संसार ईश्वर जीव तथा प्रकृति, इन तीन सत्ताओं व पदार्थों से युक्त है। अनन्त आकाश का भी अस्तित्व है परन्तु यह कभी किसी विकार को प्राप्त न होने वाला तथा किसी प्रकार की क्रिया न करने वाला व इसमें क्रिया होकर कोई नया पदार्थ बनने वाला पदार्थ है। ईश्वर, […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और जीवात्मा February 11, 2019 / February 11, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य दो पैर वाले प्राणी के जीवित शरीर को कहते हैं जिसके पास बुद्धि है, दो हाथ हैं, जो सोच-विचार कर सत्य व असत्य का निर्णय कर सकता है और जो ज्ञान व विज्ञान की उन्नति कर अपने जीवन को दुःखों से निवृत्त कर सुखों से युक्त कर सकता है। इसी […] Read more » जीवात्मा मनुष्य मनुष्य और जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द ने सभी मिथ्या आध्यात्मिक मान्यताओं एवं सभी सामाजिक बुराईयों का निवारण किया” November 8, 2018 / November 8, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द सर्वांगीण व्यक्तित्व के धनी थे। आध्यात्मिक दृष्टि से उन्हें देखें तो वह आध्यात्म व योग के ऋषि कोटि के विद्वान थे। उनके सामाजिक योगदान पर दृष्टि डालते हैं तो वह पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने एक या दो सामाजिक दोषों पर ध्यान नहीं दिया अपितु सभी सामाजिक बुराईयों का उन्मूलन […] Read more » अध्यात्म आर्याभिविनय ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ऋषि दयानन्द जीवात्मा ज्ञान पंचमहायज्ञविधि प्रकृति योग सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म ‘सत्यार्थ प्रकाश के प्रचार में शिथिलतायें दूर होनी चाहियें’ September 14, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश एक ऐसा ग्रन्थ रचा है जो ‘भूतो न भविष्यति’ कथन को सार्थक सिद्ध करता है। ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज की स्थापना की थी जिसका उद्देश्य वेदों का प्रचार व प्रसार करना था। सत्यार्थप्रकाश वेदों के प्रचार व प्रसार का सबसे अधिक सशक्त माध्यम है। सत्यार्थप्रकाश का प्रचार और […] Read more » ईश्वर ऋग्वेदादिभाष्य ऋषि दयानन्द जीवात्मा सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वर, माता-पिता और आचार्य का जीवन में सर्वोपरि स्थान’ August 31, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या व कौन है, इसका विचार करने पर जो उत्तर मिलता है वह यह कि हमें अपने शरीर व स्वास्थ्य का ध्यान रखना है। इस शरीर को आसन-प्राणायाम-व्यायाम तथा आहार-निद्रा-ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए स्वस्थ रखना है। मनुष्य जीवन में सबसे महत्वपूर्ण ईश्वर है और उसके बाद […] Read more » Featured आर्याभिविनय ईश्वर उत्तम स्वास्थ्य ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका ओषधि जीवात्मा धन एवं समृद्धि वस्त्र सत्यार्थप्रकाश सुख सृष्टि सेवा
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और उसकी जीवात्मा February 1, 2018 / February 1, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य दो पैर, दो हाथ तथा बुद्धि से सम्पन्न प्राणी को मनुष्य कह सकते हैं। पशुओं में प्रायः सबके पास चार पैर होते हैं। इसके अपवाद हो सकते हैं। कई पक्षियों के दो पैर होते हैं परन्तु हाथ नहीं होते। छोटे छोटे कीड़ो आदि में पैरों की संख्या अधिक भी हो सकती है। […] Read more » जीवात्मा मनुष्य
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा का अनादित्व एवं उसका अनेक बार मोक्ष प्राप्त करना November 27, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य ईश्वर, जीव तथा प्रकृति अनादि, नित्य, अविनाशी, अजर व अमर हैं। जीवात्मा ईश्वर से कर्मानुसार जन्म मरण प्राप्त कर कर्म-फलों को भोगता है। मनुष्य योनि उभय योनि है जिसमें मनुष्य पूर्व किये हुए कर्मों के फलों को भोगता भी है और नये कर्मों को करता भी है। मनुष्य जीवन में यदि मनुष्य […] Read more » जीवात्मा मोक्ष
धर्म-अध्यात्म लोकैषणा से मुक्त व जीवात्मा की अल्पज्ञता के सिद्धान्त को प्रचारित व स्वयं स्वीकार करने वाले अपूर्व महापुरुष ऋषि दयानन्द October 26, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में जो मनुष्य उत्पन्न होता है वह अल्पज्ञ अर्थात् अल्प, अधूरे व सीमित ज्ञान वाला होता है। ज्ञान में सर्वज्ञ व पूर्ण तो केवल ईश्वर ही होता है। अल्पज्ञता व अविद्या के कारण मनुष्यों में लोकैषणा, वित्तैषणा तथा पुत्रैषणा पायी जाती है। संसार का शायद ही कोई मनुष्य इससे मुक्त रहा […] Read more » ऋषि दयानन्द जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म जीवात्मा के अस्तित्व व इसके पूर्व, मध्य व पर जन्मों पर विचार October 25, 2017 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on जीवात्मा के अस्तित्व व इसके पूर्व, मध्य व पर जन्मों पर विचार मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जीवन क्या है? इस प्रश्न का सन्तोषजनक उत्तर वैदिक साहित्य में ही मिलता है। इतर साहित्य में इस विषय पर पर्याप्त व निर्भ्रान्त जानकारी उपलब्ध नहीं होती। वैदिक विद्या के अनुसार संसार में ईश्वर, जीव व प्रकृति की सत्ता है जो अनादि, अनुत्पन्न, नित्य, अविनाशी व अमर है। ईश्वर सच्चिदानन्दस्वरूप, निराकार, […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार October 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि के मन्तव्यों में सु कुछ विषयों पर हम ऋषि के शब्दों को ही प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर— जिस के ब्रह्म परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिस के गुण, कर्म, […] Read more » ईश्वर जीवात्मा धर्म वेद सृष्टि
धर्म-अध्यात्म अनादि से अनन्त काल की यात्रा में जीवात्मा कर्मानुसार अनेक प्राणी योनियों में विचरता रहा है और आगे भी विचरेगा June 9, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य यदि हम आर्यसमाज की बात न करें और इतर मनुष्यों व समुदायों की बातें करें तो हम देखते हैं कि मनुष्य को जड़ व चेतन का भेद व उसका तत्वार्थ ज्ञात नहीं है। मनुष्य का जन्म होता है, माता-पिता उसका पालन करते हैं, स्कूल व कालेजों में पढ़ने के लिए उसे […] Read more » जीवात्मा
धर्म-अध्यात्म मैं कर्म-बन्धन में फंसा एक चेतन अनादि व अविनाशी जीवात्मा हूं August 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य हम परस्पर जब किसी से मिलते हैं तो परिचय रूप में अपना नाम व अपनी शैक्षिक योग्यता सहित अपने कार्य व व्यवसाय आदि के बारे में अपरिचित व्यक्ति को बताते हैं। हमारा यह परिचय होता तो ठीक है परन्तु इसके अलावा भी हम जो हैं वह एक दूसरे को पता नहीं चल […] Read more » जीवात्मा