राजनीति फासीवाद, अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की हत्या के क्या हैं वामपंथियों की नजरों में अर्थ May 29, 2021 / May 29, 2021 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment भारतीय वामपंथी के मुंह से यह शब्द आपने भी सुने होंगे।तानाशाही,फासीवादअभिव्यक्ति की आजादीलोकतन्त्र की हत्यासर्वाहारा, समानता और मानवताभगवान श्री राम से लेकर सावरकर तक हर महापुरुष पर अंगुली उठाने वाले कम्युनिस्टों के आदर्श माओ कैसे थे? हाँ वही चीनी माओ जिसने1962 मे भारत पर आक्रमण किया था। हाँ वही माओ जो CPI और CPM के […] Read more » freedom of expression and killing of democracy in the eyes of leftists What is the meaning of fascism अभिव्यक्ति की आजादी तानाशाही फासीवाद लोकतन्त्र की हत्या समानता और मानवता सर्वाहारा
राजनीति तानाशाही और सोनिया गांधी August 31, 2020 / August 31, 2020 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डॉ. वेदप्रताप वैदिककांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अब फिर देश को बासी कढ़ी परोस दी। मां ने बेटे को भी मात कर दिया। छत्तीसगढ़ विधानसभा के नए भवन के भूमिपूजन समारोह में बोलते हुए वे कह गईं कि देश में ‘गरीब-विरोधी’ और ‘देश-विरोधी’ शक्तियों का बोलबाला बढ़ गया है। ये शक्तियां देश में तानाशाही और […] Read more » Dictatorship and sonia gandhi तानाशाही सोनिया गांधी
राजनीति पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र और मानवता की हत्या राजनीतिक-वैचारिक स्वार्थ छोड़ कर, लोकतंत्र की रक्षा करें June 5, 2018 / June 5, 2018 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment लोकेन्द्र सिंह पश्चिम बंगाल में खूनी राजनीति के शिकंजे में फंसे लोकतंत्र का दम घुंट रहा है और वह सिसकियां ले रहा है। पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार हिंसा का नंगा नाच किया था, उससे ही साफ जाहिर हो गया था कि बंगाल की राजनीति के मुंह खून लग गया है। […] Read more » Featured खूनी राजनीति तानाशाही तृणमूल कांग्रेस त्रिपुरा और केरल परंपरागत अलोकतांत्रिक पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य
महत्वपूर्ण लेख समाज डॉं आंबेडकर एवं कार्ल मार्क्स – वर्ण बनाम वर्ग May 14, 2018 by संजीव खुदशाह | 2 Comments on डॉं आंबेडकर एवं कार्ल मार्क्स – वर्ण बनाम वर्ग संजीव खुदशाह वर्ग बनाम वर्ण की चर्चा इससे पहले भी होती रही है। लेकिन जब हम कार्ल मार्क्स के बरअक्स इस चर्चा को आगे बढ़ाते हैं, तो यहां पर वर्ग के मायने कुछ अलग हो जाते हैं। भारत में वर्ग के मायने होते हैं अमीर वर्ग और गरीब वर्ग। लेकिन कार्ल मार्क्स जिस वर्ग की […] Read more » Featured अंबेडकरवाद कार्ल मार्क्स डॉं आंबेडकर तानाशाही नौकर मजदूर वर्ग मार्क्सवाद मालिक मालिक वर्ग
राजनीति लोकतंत्र शर्मिंदा है तानाशाही ज़िंदा है June 8, 2011 / December 11, 2011 by गिरीश पंकज | 1 Comment on लोकतंत्र शर्मिंदा है तानाशाही ज़िंदा है गिरीश पंकज दिल्ली में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के साथ जो कुछ भी हुआ, उसे दुहराने की ज़रुरत नहीं. पूरी दुनिया ने भारतीय लोकतंत्र का तानाशाही चेहरा देख लिया है. सबके सामने कांग्रेस का वह चेहरा आखिर सामने आ ही गया, जो अब तक छिपा हुआ था. लोकतंत्र की आड़ में जिस तरीके की […] Read more » Democrate तानाशाही लोकतंत्र शर्मिंदा