प्रवक्ता न्यूज़ ‘प्रवक्ता’ के दफ्तर पहुंचे पंकज झा May 20, 2014 by कुमार सुशांत | Leave a Comment हम हमेशा से मानते हैं कि ‘प्रवक्ता’ केवल प्रवक्ता ही नहीं, वैचारिक क्रांति का प्रतिरूप है। ‘प्रवक्ता’ एक परिवार की तरह है, जिसका सदस्य इस वैचारिक वेब-क्रांति का हर वो लेखक है, जो हर दिन प्रवक्ता से जुड़े रहते हैं। आलेख भेजते हैं, त्वरित टिप्पणी करते हैं… दूसरे शब्दों में कहें तो जिनकी सहानुभूति ‘प्रवक्ता’ […] Read more » ‘प्रवक्ता’ पंकज झा भारत भूषण संजीव सिन्हा
प्रवक्ता न्यूज़ ईमेल संस्कृति के आर-पार November 1, 2010 / December 20, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 16 Comments on ईमेल संस्कृति के आर-पार -जगदीश्वर चतुर्वेदी प्रवक्ता डॉट कॉम ने बहस चलाकर अच्छा काम किया है। मैं इधर-उधर की बातें न करके पहले सिर्फ उस फिनोमिना के बारे में कहना चाहता हूँ। जो पंकज और उनके जैसे लेखकों और युवाओं में घुस आया है। यह नव्य उदार संस्कृति का प्लास्टिक पोलीथीन फिनोमिना है। यह ईमेल संस्कृति है। इसमें सारवान […] Read more » Pravakta.com पंकज झा प्रवक्ता डॉट कॉम
राजनीति मज़बूत इच्छाशक्ति से ही खत्म होगा नक्सलवाद. April 13, 2010 / December 24, 2011 by पंकज झा | Leave a Comment छत्तीसगढ़ के दंतेवाडा के घने जंगलों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल बटालियन पर अब तक का सबसे बडा हमला कर 76 जवानों की निर्ममता पूर्वक ह्त्या पर, अपने जांबाजों की शहादत पर देश स्तब्ध है. नक्सल या वाम मार्ग के नाम पर देश और दुनिया में फैले इस संगठित गिरोह और उसके सभी भोपुओं का […] Read more » Naxalism नक्सलवाद पंकज झा
राजनीति मामूली चीज़ों को देवता बनाना April 13, 2010 / December 24, 2011 by पंकज झा | 3 Comments on मामूली चीज़ों को देवता बनाना गंदा है पर धंधा है ये…! एक राजा के इकलौते बेटे की शादी किसी मध्यवर्गीय परिवार की गुण-संपन्न बेटी के साथ तय हुई. वहाँ एक रिवाज है कि लड़के वाले के यहाँ से शगुन के रूप में सामर्थ्य भर चीज़ें भेजी जाती है. अब जब राजकुमार की ही शादी थी तो ज़ाहिर है कोई भी […] Read more » Profession गंदा है पर धंधा है ये पंकज झा
टॉप स्टोरी मैं सच कहूं अगर तो तरफदार मत कहो – पंकज झा January 19, 2010 / December 25, 2011 by पंकज झा | 3 Comments on मैं सच कहूं अगर तो तरफदार मत कहो – पंकज झा जुलाई 2004 की उनींदी सुबह। पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त एक युवक प्रदेश के एक राजनीतिक मीडिया में काम करने का नियुक्ति पत्र लिये रायपुर स्टेशन पर उतरा। साथ में एक झोला लिए, एक ऐसा झोला जिसमें निम्न मध्य वर्गीय परिवार के सपने बंद थे और थे दो जोड़ी कपड़े तथा अपने लिखे और प्रकाशित कुछ आलेख। अपने […] Read more » Pankaj Jha तरफदार मत कहो पंकज झा मैं सच कहूं
राजनीति जो घर देखा आपना मुझसे बुरा न कोई – पंकज झा January 15, 2010 / December 25, 2011 by पंकज झा | 4 Comments on जो घर देखा आपना मुझसे बुरा न कोई – पंकज झा आस्ट्रेलिया में भारतवंशी छात्रों एवं अन्य कामगारों पर हुए हमले रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. समूचे देश में इस रंगभेदी हिंसा के विरोध में हाय-तौबा मची है। भारतीयों की ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक और उचित भी है। भारत सरकार ने अपना औपचारिक विरोध दर्ज कर छुट्टी पा ली है लेकिन आस्ट्रेलिया सरकार का […] Read more » Pankaj Jha पंकज झा
टॉप स्टोरी तस्वीर बनाता हूँ, तस्वीर नहीं बनती – पंकज झा November 6, 2009 / December 26, 2011 by पंकज झा | 3 Comments on तस्वीर बनाता हूँ, तस्वीर नहीं बनती – पंकज झा छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर विशेष आलेख हर राज्योत्सव पर एक आम प्रवासी की तरह छत्तीसगढ़ के बारे में सोचने एक मिला-जुला अहसाह ही होता है. निस्संदेह किसी राज्य या राष्ट्र की प्रासंगिकता के बारे में सोचते हुए आप खोने और पाने का ही हिसाब लगायेंगे. छत्तीसगढ़ के निर्माता अटल जी के शब्दों में कहूं तो […] Read more » Pankaj Jha पंकज झा