समाज स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के संघर्ष को याद करने का दिन है स्वतंत्रता दिवस August 14, 2018 / August 14, 2018 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment ब्रह्मानंद राजपूत, 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर हिन्दुस्तान में जगह -जगह हवा में लहराता झंडा हमें स्वतंत्र भारत का नागरिक होने का अहसास कराता है। स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन हमारा हिन्दुस्तान आज से 71 साल पहले 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से स्वतंत्र हुआ था। इसी दिन हमारे वीर स्वतंत्रता संग्राम […] Read more » Featured ईमानदारी उदारता धार्मिक स्वतंत्रता पारदर्शिता बलिदान भक्ति भारतीय नागरिकों शालीनता शिक्षा शिष्टता सदभाव समानता सेनानियों के संघर्ष स्वतंत्रता संग्राम
राजनीति पारदर्शिता से भागते राजनीतिक दल July 24, 2015 by पियूष द्विवेदी 'भारत' | Leave a Comment पीयूष द्विवेदी यूँ तो देश के सभी राजनीतिक दल पारदर्शिता की बातें करने में एक से बढ़कर एक हैं, लेकिन जब उनके खुद पारदर्शी होने की बात आती है तो वे तरह-तरह के कुतर्क गढ़कर इससे बचने की कवायद करने लगते हैं। गौर करें तो आज से लगभग दो वर्ष पहले केन्द्रीय सूचना आयोग द्वारा […] Read more » पारदर्शिता
चुनाव चंदे में पारदर्शिता की जरूरत January 30, 2012 / January 30, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव व्यापारिक घराने राजनीतिक दलों को वैधानिक तरीके से चंदा देने का रवैया तेजी से अपना रहे हैं। यह सच्चार्इ एक स्वयं सेवी संगठन ‘सिविल सोसायटी ग्रुप एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफाम्र्स (एडीआर) के मार्फत सामने आर्इ है। ये घराने अपने जन कल्याणकारी न्यासों के खातों से चैक द्वारा चंदा दे रहे हैं। इस प्रक्रिया […] Read more » donation transparency चंदे पारदर्शिता
विविधा पारदर्शिता के पक्षधर October 12, 2011 / December 5, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी हमारे मोहल्ले के एक जागरूक नागरिक हैं। देश में कोई भी घटना या दुर्घटना हो, उसका प्रभाव उनके मन-वचन और कर्म पर जरूर दिखाई देता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को वे मोहल्ले में झंडारोहण कराते हैं। कहीं बाढ़ या तूफान से जनहानि हो जाए, तो वे चंदा जमा करने […] Read more » favoraa of transparency पारदर्शिता
विविधा पारदर्शिता के लिए क्रांति का दौर June 14, 2011 / December 11, 2011 by प्रमोद भार्गव | 2 Comments on पारदर्शिता के लिए क्रांति का दौर प्रमोद भार्गव देशव्यापी असंतोष ने यह तय कर दिया है कि देश एक और करबट लेने को आकुल है। लिहाजा न केवल राजनीति, प्रशासन, न्यायपालिका, रक्षा,स्वयंसेवी संगठन बल्कि कारोबारी और पत्रकार घरानों से भी यह अपेक्षा की जा रही है, कि वे उस चौहद्दी को पारदर्शी बनाएं जो भ्रष्टाचार और आय के स्त्रोत्रों को गोपनीय […] Read more » Tranparency पारदर्शिता भ्रष्टाचार