विविधा भारतीय: भावुक भी भुलक्कड़ भी…!! March 6, 2019 / March 6, 2019 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझाहम भारतीय भावुक ज्यादा है या भुलक्कड़..। अपने देश में यह सवाल हर बड़ीघटना के बाद पहले से और ज्यादा बड़ा आकार लेने लगता है। मीडिया हाइप याव्यापक चर्चा के नजरिए से देखें तो अपने देश व समाज में मुद्दे बिल्कुलबेटिकट यात्रियों की तरह पकड़े जाते हैं। आपने गौर किया होगा भारतीय रेलके […] Read more » भारतीय भावुक भुलक्कड़
समाज भारतीयों पर आलसी होने का दाग लगना July 15, 2017 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- दुनिया के सबसे आलसी देशों में भारत का अव्वल पंक्ति में आना न केवल शर्मनाक बल्कि सोचनीय स्थिति को दर्शाता है। जिस देश का प्रधानमंत्री 18 से 20 घंटे प्रतिदिन काम करता हो, वहां के आम नागरिकों को आलसी होने का तमगा मिलना, विडम्बनापूर्ण है। आलसी होना न केवल सशक्त भारत एवं नये […] Read more » Indians are lazy आलसी डायबिटीज डिप्रेशन भारतीय मोटापा हाइपरटेंशन
विविधा हिंदी दिवस हिन्दी दिवस पर आम भारतीय भी जानें क्या है भारत की राजभाषा नीति September 13, 2016 by डॉ. शुभ्रता मिश्रा | Leave a Comment डॉ. शुभ्रता मिश्रा हम प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाते हैं। सरकारी स्तर पर काम करने वालों को भारत की राजभाषा नीति के बारे में फिर भी काफी जानकारी काम करते करते हो जाती है। परन्तु गैर सरकारी विशुद्ध रुप से आम भारतीय जनता को प्रायः ही राजभाषा नीति के बारे में कोई विस्तृत […] Read more » Featured भारत भारतीय राजभाषा नीति हिन्दी हिन्दी दिवस
विविधा करोड़ों भारतीयों की पीड़ा का तारणहार कौन? June 5, 2014 by विनोद कुमार सर्वोदय | Leave a Comment -विनोद कुमार सर्वोदय- राष्ट्र के विभाजन व संविधान निर्माण के दौरान हुई त्रुटियों और पिछले 65 वर्षों से राजनेताओं की अल्पंसख्यकों पर केन्द्रित राजनीति व राष्ट्रनीति की दादागिरी से पोषित अति मुस्लिमवाद के कारण न्याय की निरंतर हत्या और मुस्लिम जनता की हिंसक मानसिकता को बढ़ावा मिलने से भारत का भूमिपुत्र समाज तिलमिला उठा उसका […] Read more » भारत भारतीय भारतीय राजनीति
समाज भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा May 1, 2011 / December 13, 2011 by जावेद उस्मानी | 7 Comments on भारतीय अफसरशाही की दशा और दिशा कोषपूर्वा: सर्वारम्भाः। तस्मात पूर्वं कोषमवेक्षेत। कौटिल्य अर्थशास्त्रमःअघ्याय 8 प्रकरण 24 श्लोक 1 (सभी कार्य कोष पर निर्भर है। इसलिये राजा को चाहिये कि सबसे पहले कोष पर ध्यान दे।) सभ्यता के प्रारंभ से ही मानवों ने पहले समाज एंव फिर एक सामाजिक सत्ता की आवश्यकता महसूस कर ली थी। शक्ति आधारित राजतंत्रीय ब्यवस्था मे प्रारंभिक […] Read more » Indian अफसरशाही दशा दिशा भारतीय
धर्म-अध्यात्म भारतीय चिंतन में ब्रह्म निरूपण January 13, 2011 / December 16, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on भारतीय चिंतन में ब्रह्म निरूपण हृदयनारायण दीक्षित अस्तित्व सुरम्य है। रूपों रहस्यों से भरा-पूरा। यहां रूप के साथ रस, गंध, ध्वनि छन्द का वातायन है। जन्म मृत्यु की आंख मिचौनी है। ऐसा विराट अस्तित्व क्या अकारण है? प्रत्येक कार्य के पहले कारण होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण में कार्य कारण की महत्ता है। ‘श्वेताश्वतर उपनिषद्’ की शुरूवात सृष्टि के बारे में […] Read more » Indian भारतीय
समाज बंटा हुआ भारतीय समाज November 1, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 6 Comments on बंटा हुआ भारतीय समाज -शिशिर चन्द्र आज भारतीय समाज कई भागों में विभाजित हो गया है. 1947 में जो विभाजन देश ने देखा, वो अब काफी पीछे छूट गया है. ऐसा लगता था कि देश विभाजन के बाद समग्रता को प्राप्त करेगा; लेकिन यह दिवा स्वप्न ही साबित हुआ. आज विभाजन की लकीरें और गहरी हो गयी हैं. सिर्फ […] Read more » Indian भारतीय
विविधा हमें भारतीय होने पर गर्व हैं ….. September 29, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -राजीव कुमार बिश्नोई अमेरिका में वहां के राष्ट्रपति पर उनकी नागरिकता पर जब सवाल उठाया गया , या 9/11 की बरसी पर कुरान शरीफ जलाने की एक पादरी द्वारा दी गई धमकी ये हाल ही में घटी वो घटनाये हैं जो पूरी दुनिया के मिडिया की सुर्खिया बनी अमेरिकी प्रशासन भी इस तरह की भ्रामक […] Read more » Indian भारतीय
टॉप स्टोरी भारतीय क्रांति परम्परा की यात्रा – जयप्रकाश सिंह November 7, 2009 / November 7, 2009 by जयप्रकाश सिंह | 4 Comments on भारतीय क्रांति परम्परा की यात्रा – जयप्रकाश सिंह भारत में व्यवस्था परिवर्तन की विशेष वैचारिक-सांस्कृतिक परम्परा रही है। यह ऐसी परम्परा है जिसमें व्यवस्था परिवर्तन का मतलब सत्ता परिवर्तन नहीं होता अपितु शाश्वत कहे जाने वाले जीवन-मूल्यों एवं जीवन-दर्शन को प्रतिष्ठित तथा नवीन परिस्थितियों में परिभाषित करने की कोशिश की जाती है। यह क्रांति परम्परा ‘तंत्र’ के बजाय ‘तत्व’ परिवर्तन पर जोर देती […] Read more » Jayprakash Singh क्रांति परम्परा जयप्रकाश सिंह जीवन-दर्शन जीवन-मूल्यों भारतीय यात्रा