राजनीति मोदी जी और तो सब ठीक है- पर लोकपाल लाइये September 12, 2017 by वीरेंदर परिहार | Leave a Comment वीरेन्द्र सिंह परिहार यह तो सभी को पता होगा कि स्वामी विवेकानन्द के बचपन का नाम नरेन्द्र था। स्वामी विवेकानन्द का दौर वह था जब ईसाइयत के हमले के चलते हिन्दू धर्म की नींव हिलने लगी थी, पर स्वामी विवेकानन्द ने ईसाई धर्म प्रचारकों के भीतर घुसकर उनके ऊॅचे महलों के ऊपर हिन्दू धर्म की […] Read more » लोकपाल
विधि-कानून विविधा जल्दी आए लोकपाल May 2, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment स्वतंत्र भारत में भ्रष्टाचार का सुरसामुख लगातार फैलता रहा है। उसने सरकारी विभागों से लेकर सामाजिक सरोकारों से जुड़ी सभी संस्थाओं को अपनी चपेट में ले लिया है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मानवीय मूल्यों से जुड़ी संस्थाएं भी अछूती नहीं रहीं। नौकरशाही को तो छोड़िए, देश व लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद की संवैधानिक गरिमा बनाए रखने वाले संासद भी सवाल पूछने और चिट्ठी लिखने के ऐवज में रिश्वत लेने से नहीं हिचकिचाते। जाहिर है, भ्रष्टाचार लोकसेवकों के जीवन का एक तथ्य मात्र नहीं, बल्कि शिष्टाचार के मिथक में बदल गया है। जनतंत्र में भ्रष्टाचार की मिथकीय प्रतिष्ठा उसकी हकीकत में उपस्थिति से कहीं ज्यादा घातक इसलिए है, क्योंकि मिथ हमारे लोक-व्यवहार में आदर्श स्थिति के नायक-प्रतिनायक बन जाते हैं। राजनीतिक व प्रशासनिक संस्कृति का ऐसा क्षरण राष्ट्र को पतन की ओर ही ले जाएगा ? इसीलिए साफ दिखाई दे रहा है कि सत्ता पक्ष की गड़बड़ियों पर सवाल उठाना, संसदीय विपक्ष के बूते से बाहर होता जा रहा है। विडंबना यह है कि जनहित से जुड़े सरोकारों के मुद्रदों को सामने लाने का काम न्यायपालिका को करना पड़ रहा है। Read more » Featured लोकपाल
विधि-कानून लोकशक्ति का पर्याय है, लोकपाल December 22, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव आजादी के बाद जनांदोलनों से सत्ता परिवर्तन हुए हैं। अनेक क्षेत्रीय दलों ने संघर्ष से असितत्व कायम करके केंद्र व राज्य सत्ताएं भी हासिल की हैं। परस्पर बुनियादी मतभेदों के बावजूद केंद्र व राज्यों में गठबंधन सरकारों का सिलसिला भी जारी है। लेकिन तमाम राष्ट्रीय व क्षेत्रीय जन-आकांक्षाओं के बावजूद बेमेल सत्ताधारी न […] Read more » लोकपाल
विधि-कानून लोकपाल February 12, 2013 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment दिखार्इ दे रहा है। फिलहाल वह भले ही अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के जनलोकपाल की भावना के अनुरुप न हो, लेकिन ऐसा लगने लगा है कि सरकार लोकपाल लाना चाहती है। शायद इसलिए अन्ना की सहयोगी किरण बेदी ने कहा भी है कि सरकार लोकपाल को आगे बढ़ता देखना चाहती है। प्रमोद भार्गव लोकपाल […] Read more » लोकपाल
राजनीति सियासी चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल August 8, 2012 / August 8, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on सियासी चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल मनीष प्रसाद पिछले 44 सालों से लोकपाल मुद्दे पर अब तक कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बन पाई है। बदलती राजनीति में घोटालों की फेहरिश्त इतनी लम्बी हो चुकी है कि उसे चंद पन्नों में नहीं समेटा जा सकता है। दर असल अन्ना हजारे का आंदोलन देश की राजनीति से नहीं बल्कि अपने चाल,चरित्र, और स्वभाव […] Read more » lokpal चक्र-व्यूह में फंसा लोकपाल लोकपाल
विधि-कानून लोकपाल विधयेक और नैतिक शिक्षा May 20, 2012 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार पिछले एक साल से लोकपाल विधेयक पर बार-बार चर्चा हो रही है। कुछ लोग इसके समर्थक हैं और कुछ विरोधी। कुछ लोग अन्ना हजारे की टीम द्वारा बनाये गये प्रारूप को जस का तस स्वीकार करने के पक्षधर हैं, तो कुछ लोग कांग्रेस वाले प्रारूप को। अन्य दलों और संस्थाओं का भी इस […] Read more » नैतिक शिक्षा लोकपाल
व्यंग्य कलयुग और लोकपाल April 16, 2012 / April 16, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव घोर कलयुग आ गया। घोर कलयुग। पंडितजी ने गांठ लगी चुटिया पर हाथ फेरते हुए जनहित में एक गोपनीय तथ्य का सार्वजनिक राष्ट्रीय प्रसारण किया। रेडियो,टीवी,अखबार मीडिया के इतने बड़े कुनबे के होते हुए भी आम जनता तक ये ब्रकिंग न्यूज अभी तक नहीं पहुंची है,पता नहीं पंडितजी को ये क्रूर मुगालता […] Read more » lokpal कलयुग लोकपाल
व्यंग्य लोकपाल या लोक पा(ग)ल January 11, 2012 / January 12, 2012 by अविनाश वाचस्पति | 1 Comment on लोकपाल या लोक पा(ग)ल अविनाश वाचस्पति लोकपाल मतलब नेता। चौंकिए मत जो लोक को पाले वह नेता ही हो सकता है। अरे भाई इसमें इतनी हैरानी की क्या बात है, क्योंकि लोक हुआ आम आदमी और आम आदमी को पालता है नेता। चाहे यह नेताओं की गलतफहमी ही क्यों न हो, परंतु किसी हद तक तो ठीक बैठ रही […] Read more » Lokpal Bill reservation in lokpal bill लोकपाल
विविधा असफल होना आंदोलन अन्ना का January 7, 2012 / January 7, 2012 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी बहुचर्चित, बहुप्रतीक्षित एवं अत्यंत विवादित लोकपाल बिल लगता है फिर अनिश्चितकाल के लिए ठंडे बस्ते में जाने की तैयारी में है। उधर संसद में राजनैतिक दलों की खींचातानी तथा इस विषय पर दिए जाने वाले अपने-अपने तर्कों के बीच जहां इस बिल पर सकारात्मक व रचनात्मक बहस नहीं हो सकी, वहीं सशक्त लोकपाल […] Read more » Anna Hazare lokpal अन्ना हजारे लोकपाल
विधि-कानून लोकपाल-हमाम में सभी नंगे! December 30, 2011 / December 30, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | 9 Comments on लोकपाल-हमाम में सभी नंगे! डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ लोकपाल विधेयक के बहाने कॉंग्रेस के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबन्धन यूपीए और भाजपा के नेतृत्व वाले मुख्य विपक्षी गठबन्धन एनडीए सहित सभी छोटे-बड़े विपक्षी दलों एवं ईमानदारी का ठेका लिये हुंकार भरने वाले स्वयं अन्ना और उनकी टीम के मुखौटे उतर गये! जनता के समक्ष कड़वा सत्य प्रकट हो गया! जो […] Read more » lokpal लोकपाल
व्यंग्य व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक December 28, 2011 / December 28, 2011 by विजय कुमार | 6 Comments on व्यंग्य / लोकपाल विधेयक : पजामे से चड्डी तक विजय कुमार पजामा एक वचन है या बहुवचन, स्त्रीलिंग है या पुल्लिंग, उर्दू का शब्द है या हिन्दी का, इसका प्रचलन भारत में कब, कहां, कैसे और किसने किया; इस विषय की चर्चा फिर कभी करेंगे। आज तो शर्मा जी के पजामे की चर्चा करना ही ठीक रहेगा। बात उस समय की है, जब शर्मा […] Read more » lokpal लोकपाल
विधि-कानून कैसा हो लोकपाल कानून : डॉ. मीणा December 14, 2011 / December 14, 2011 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इस देश की रग-रग में भ्रष्टाचार समाया हुआ है और भ्रष्टाचार से मुक्ति के लिये अन्य अनेक बातों के साथ-साथ सख्त कानून की दरकार है, जिसके लिये प्रस्तावित लोकपाल कानून को जरूरी बताया जा रहा है| अब तक की सभी केन्द्र सरकारों द्वारा किसी न किसी […] Read more » lokpal लोकपाल