कविता श्राद्ध , श्रद्धा है या आडम्बर October 1, 2018 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जीवन में अजीब अचम्भा देखा जीते जी आदमी को भूखा देखा मरने के बाद उसको खाते देखा सदियों से चलती इस रीति को देखा श्राद्ध के नाम पर इस श्रद्धा को देखा देख रहे है आज उसे अनदेखा देखा वर्तमान की चिंता आज नहीं कर रहा भविष्य की चिंता आज किये जा रहा मानव किस […] Read more » भविष्य श्रद्धा है या आडम्बर श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म समाज -आर्यसमाज धामावाला, देहरादून का साप्ताहिक सत्संग-“माता-पिता व पितरों की सेवा से सन्तानों द्वारा उनका ऋण चुकता होता है : आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री” September 24, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, आर्यसमाज, धामावाला, देहरादून सन् 1879 में महर्षि दयानन्द जी द्वारा स्थापित आर्यसमाज है जहां उन्होंने विश्व में पहली बार एक मुस्लिम मत के बन्धु मोहम्मद उमर व उसके परिवार को उसकी इच्छानुसार वैदिक धर्म में दीक्षित कर उसे अलखधारी नाम दिया था। आज रविवार के सत्संग में यहां आरम्भ में अग्निहोत्र हुआ […] Read more » आचार्य वीरेन्द्र शास्त्री जी आर्यसमाज ईश्वर याज्ञवल्क्य श्राद्ध श्री वीरेन्द्र शास्त्री
धर्म-अध्यात्म मृतकों का श्राद्ध अशास्त्रीय एवं वेद विरुद्ध होने से त्याज्य कर्म September 20, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य आश्विन मास का कृष्ण पक्ष मृत पितरों का श्राद्ध कर्म करने के लिए प्रसिद्ध सा हो गया है। इन दिनों पौराणिक नाना प्रकार के नियमों का पालन करते हैं। अनेक पुरुष दाढ़ी नहीं काटते, बाल नहीं कटाते, नये कपड़े नहीं खरीदते व सिलाते, यहां तक की विवाह आदि का कोई भी शुभ […] Read more » श्राद्ध
लेख साहित्य पित्तरों अर्थात पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध September 10, 2017 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment -अशोक “प्रवृद्ध” भारतीय परम्परा में प्रत्येक शुभ कार्य के प्रारम्भ करने के पूर्व परमात्मा, माता-पिता, पूर्वजों को नमस्कार अथवा प्रणाम करने की परिपाटी है। यह एक प्रकार से जगतपालक ईश्वर व अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा , कृतज्ञता प्रकट करना है कि ईश्वर की असीम अनुकम्पा से हम अपने इन्हीं पूर्वजों की वंश परम्परा के […] Read more » Featured पित्तरों पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धा श्रद्धा का प्रतीक श्राद्ध श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म आइये जाने इस वर्ष 2017 में महालय/पितृपक्ष/श्राद्ध पक्ष क्या,क्यों और कैसे मनाये..??? August 31, 2017 / September 1, 2017 by पंडित दयानंद शास्त्री | 1 Comment on आइये जाने इस वर्ष 2017 में महालय/पितृपक्ष/श्राद्ध पक्ष क्या,क्यों और कैसे मनाये..??? इस वर्ष पितृपक्ष-5 सितंबर से 20 सितंबर 2017 (पूर्णिमा) से आरम्भ होने जा रहे हैं | प्रिय मित्रों/पाठकों, श्राद्ध, पूजा, महत्व, श्राद्ध की महिमा एवं विधि का वर्णन विष्णु, वायु, वराह, मत्स्य आदि पुराणों एवं महाभारत, मनुस्मृति आदि शास्त्रों में यथास्थान किया गया है। श्राद्ध का अर्थ अपने देवों, परिवार, वंश परंपरा, संस्कृति और […] Read more » Featured अमावसाई क्यों आवश्यक है श्राद्ध करना पितृपक्ष पितृपक्ष-5 सितंबर से 20 सितंबर 2017 श्राद्ध
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म श्रद्धा से करें श्राद्ध September 29, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य हमारे कत्र्तव्य कर्म उन सभी लोगों के लिए हैं जो वर्तमान में हैं, अतीत में रहे हैं तथा भविष्य में आने वाले हैं। इस दृष्टि से दैवीय गुणों, धर्म-संस्कृति एवं समाज की सनातन परंपराओं से जुड़े व्यक्तियों का सीधा सा संबंध भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों से जुड़ा रहता है। आत्मा […] Read more » Featured श्रद्धा से करें श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म वृद्धाश्रम, श्राद्ध की संस्कृति को मरणामंत्रण September 27, 2011 / December 6, 2011 by कुन्दन पाण्डेय | 1 Comment on वृद्धाश्रम, श्राद्ध की संस्कृति को मरणामंत्रण कुन्दन पाण्डेय श्राद्ध का अर्थ होता है, श्रद्धा से जो कुछ दिया जाय। किन्तु आज-कल श्राद्ध का अर्थ है पितरों के उद्देश्य से पिण्डदानादि की क्रिया। अपने भारतीय पंचांग के आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिप्रदा से अमावस्या तक के दिनों को ‘पितृपक्ष या महालय पक्ष’ कहते हैं। इस समय में अपने पूर्वजों-पितरों की […] Read more » oldage home श्राद्ध
धर्म-अध्यात्म ‘‘श्रद्धा भाव है श्राद्ध’’ September 25, 2011 / December 6, 2011 by डॉ. सौरभ मालवीय | 4 Comments on ‘‘श्रद्धा भाव है श्राद्ध’’ सौरभ मालवीय पितर हमारे किसी भी कार्य में अदृश्य रूप से सहायक की भूमिका अदा करते। क्योंकि अन्ततः हम उन्हीं के तो वंशज हैं। ज्योतिष विज्ञान की मान्यता के अनुसार वे हमारे सभी गतिविधियों पर अपनी अतिन्द्रीय सामर्थ के अनुसार निगाह रखे रहते हैं। यदि हम अपना भाव भावात्मक लगाव उनसे जोड़ सके तो वे […] Read more » पित़पक्ष पितृपक्ष श्राद्ध