धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्मी सभी बुराईयों से मुक्त अनुशासित,बलवान, क्षमतावान व देशभक्त होते हैं’ July 23, 2018 / July 23, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, वैदिक धर्मी का अर्थ होता है कि ईश्वरीय ज्ञान वेद को जानने वाला व उसकी शिक्षाओं को मन, वचन व कर्म से अपने जीवन में धारण व पालन करने वाला। वेद सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा द्वारा मनुष्यों को अपने कर्तव्य व अकर्तव्यों की पूर्ति का ज्ञान कराने के लिए प्रदान […] Read more » Featured अभक्ष्य पदार्थों का सर्वथा त्याग क्षमतावान व देशभक्त होते हैं’ गोघृत गोदुग्ध दधि पौष्टिक भोजन फल बलवान यज्ञ वैदिक धर्मी सभी बुराईयों से मुक्त अनुशासित शुद्ध अन्न सोच
चिंतन दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ June 3, 2015 / June 3, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment -डॉ. दीपक आचार्य- इस विषय पर गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है कि बीमारियों के आदि कारण क्या हैं और वे क्यों होती हैं। शरीर में स्थूल रूप में जो भी अच्छी-बुरी प्रतिक्रियाएं होती हैं उनका मूल कारण हमारी सोच ही है। जैसी हमारी सोच होगी वैसी ही शरीर के अंग-उपांग अपनी प्रतिक्रिया करेंगे और […] Read more » Featured दिल और दिमाग में है सभी बीमारियों की जड़ बीमारियों की जड़ सोच
जन-जागरण जरूर पढ़ें सोच बड़ी या शौच May 6, 2015 / May 6, 2015 by निर्भय कर्ण | 4 Comments on सोच बड़ी या शौच -निर्भय कर्ण- ‘‘सोच बड़ी या शौच’’ यह सवाल आज हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि ग्रामीण परिवेश में खासकर देखें तो वहां की मानसिकता को देखकर यह साबित होता है कि शौचालय ही बहुत बड़ी चीज है और सोच बिल्कुल ही छोटी। अधिकतर ग्रामीण यह सोचते हैं कि शौचालय बनाकर केवल पैसे की बर्बादी ही […] Read more » Featured शौच सोच सोच बड़ी या शौच
कविता सोच April 1, 2013 / April 1, 2013 by विजय निकोर | 2 Comments on सोच कल मैं सो न सका सारी रात यही सोचते-सोचते, कि शायद तुम भी सो न सकी सारी रात मुझको सोचते-सोचते । तुम कहती थीं न सोचूँ मैं तुमको इतना पर तुम कयूँ सोचती हो मुझको इतना कि अपने हर ख़याल पर मानो मुहर लगा देती हो मेरी । किसी भी किताब को पढ़ती […] Read more » सोच