धर्म-अध्यात्म ईश्वर, वेद, धर्म, जीवात्मा, सृष्टि आदि विषयक ऋषि के सारगर्भित विचार October 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द ने स्वमन्तव्यामन्तव्य प्रकाश में 51 विषय को परिभाषित किया है। इन्हें वह स्वयं भी मानते थे। ऋषि के मन्तव्यों में सु कुछ विषयों पर हम ऋषि के शब्दों को ही प्रस्तुत कर रहे हैं। ईश्वर— जिस के ब्रह्म परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिस के गुण, कर्म, […] Read more » ईश्वर जीवात्मा धर्म वेद सृष्टि
धर्म-अध्यात्म स्वाध्याययुक्त जीवन ईश्वर व सदाचार से जोड़ता तथा बन्धनों को हटाता है October 7, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वाध्याय ‘स्व’ तथा ‘अध्याय’ दो शब्दों से मिलकर बना एक शब्द है। स्व हम स्वयं के लिए प्रयोग करते हैं और उसका अध्ययन व ज्ञान स्वाध्याय कहलाता है। स्वाध्याय में सहायक ऋषियों द्वारा निर्मित सत्साहित्य भी होता है। ऐसा भी साहित्य होता है जो मनुष्य के जीवन को बर्बाद करता है। यह […] Read more » ईश्वर स्वाध्याय स्वाध्याययुक्त
धर्म-अध्यात्म ईश्वर से स्वराज्य अर्थात् मोक्ष सुख की प्रार्थना August 25, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment स्वाध्याय, चिन्तन, जप, तप व ध्यान से मोक्ष की ओर प्रस्थान– मनमोहन कुमार आर्य अथर्ववेद का 10/7/31 मन्त्र है जिसमें स्वराज्य अर्थात् मोक्ष सुख की ईश्वर से प्रार्थना की गई है।। यह मन्त्र प्रस्तुत हैः “नाम नाम्ना जोहवीति पुरा सूर्यात् पुरोषसः। यदजः प्रथमं सम्बभूव स ह तत्स्वराज्यमियाय यस्मान्न परमन्यदस्ति भूतम्।।” मन्त्र के पदार्थ पर […] Read more » ईश्वर चिन्तन जप तप ध्यान मोक्ष सुख की प्रार्थना स्वराज्य स्वाध्याय
विश्ववार्ता ईश्वर ‘ड्रैगन’ को सद्बुद्घि दे August 5, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  1962 में देश चीन के हाथों परास्त हुआ। तब हमारे तत्कालीन नेतृत्व ने अपनी भूलों पर प्रायश्चित किया और सारे देश को यह गीत गाकर रोने के लिए बाध्य किया-‘ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आंख में भर लो पानी।’….हम अपने उन शहीदों की पावन शहादत पर रो रहे थे-जिनके हाथों […] Read more » Featured आजादी ईश्वर चीन डोकलाम ड्रैगन शहीद
धर्म-अध्यात्म सृष्टि का उत्पत्ति, पालन व प्रलयकर्ता होने से ईश्वर ही सब मनुष्यों का उपासनीय July 19, 2017 / July 19, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान वह मुख्य रूप से अपने माता-पिता व आचार्यों से प्राप्त करता है। मनुष्य अल्पज्ञ है, इस कारण समय के साथ साथ उसमें विस्मृति का होना भी होता है। माता-पिता व आचार्य अल्पज्ञ प्राणी होते हैं। अतः अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने के […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर को जानना, उसके स्वरूप व गुणों का चिन्तन मनन तथा ध्यान तथा सदाचरण ही उपासना है July 8, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर के सत्य ज्ञान की प्राप्ति के लिए सबसे सरल उपाय सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन है। सत्यार्थप्रकाश ऋषि दयानन्द की विश्व प्रसिद्ध कृति है। इसमें ईश्वर के सत्यस्वरूप सहित ईश्वर से संबंधित सभी प्रकार की शंकाओं व प्रश्नों का उत्तर दिया गया है। ऋषि दयानन्द के अन्य ग्रन्थों पंचमहायज्ञविधि, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका, आर्याभिविनय एवं संस्कारविधि आदि का अध्ययन व अभ्यास कर भी ईश्वर, जीवात्मा व सृष्टि का यथार्थ ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ईश्वर के स्वरूप पर दृष्टि डालें तो आर्यसमाज के दूसरे नियम से इसका ज्ञान हो जाता है। Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा का परस्पर संबंध और ईश्वर के प्रति मनुष्य का कर्तव्य May 2, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य को शुभ कर्म करने के लिए शिक्षा व ज्ञान चाहिये। यह उसे ईश्वर ने प्रदान किया हुआ है। वह ज्ञान वेद है जो सृष्टि के आदि में दिया गया था। इस ज्ञान का प्रचार व प्रसार एवं रक्षा सृष्टि की आदि से सभी ऋषि मुनि व सच्चे ब्राह्मण करते आये हैं। आज भी हमारे कर्तव्याकर्तव्य का द्योतक वा मार्गदर्शक वेद व वैदिक साहित्य ही है। मनुष्य व अन्य प्राणधारी जो भोजन आदि करते हैं वह सब भी सृष्टि में ईश्वर द्वारा प्रदान करायें गये हैं। इसी प्रकार अन्य सभी पदार्थों पर विचार कर भी निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं। इससे ज्ञात होता है कि सभी मनुष्य व प्राणी ईश्वर के ऋणी हैं। जीव ईश्वर का ऋण चुकायंे, इसका ईश्वर से कोई आदेश नहीं है। इतना अवश्य है कि प्रत्येक मनुष्य सच्चा मनुष्य बने। वह ईश्वर भक्त हो, देश भक्त, मातृ-पितृ भक्त हो, गुरु व आचार्य भक्त हो, ज्ञान अर्जित कर शुभ कर्म करने वाला हो, शाकाहारी हो, सभी प्राणियों से प्रेम करने वाला व उनका रक्षक हो आदि। ईश्वर सभी मनुष्यों को ऐसा ही देखना चाहता है। यह वेदों में मनुष्यों के लिए ईश्वर प्रदत्त शिक्षा है। यदि मनुष्य ऐसा नहीं करेगा तो वह उसका अशुभ कर्म होने के कारण ईश्वरीय व्यवस्था से दण्डनीय हो सकता है। Read more » ईश्वर ईश्वर-जीवात्मा का परस्पर संबंध
धर्म-अध्यात्म हमारी रक्षा के लिए उसका धन्यवाद करना हम सबका परम कर्तव्य April 24, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment प्रतिदिन प्रातः एवं सायं ईश्वर का सम्यक् ध्यान वा सन्ध्या करना सभी मनुष्यों का परम कर्तव्य है। जो नहीं करता वह अपराध करता है। ऋषियों का विधान है कि सन्ध्या न करने वाले के सभी अधिकार छीन लेने चाहिये और उसे श्रमिक कोटि का मनुष्य बना देना चाहिये। सन्ध्या पर अनेक विद्वानों ने टीकायें लिखी हैं। पं. विश्वनाथ वेदोपाध्याय, पं. गंगाप्रसाद उपाध्याय, पं. चमूपति, स्वामी आत्मानन्द सरस्वती जी आदि की टिकायें उपलब्ध हो जाती हैं। अभ्युदय व निःश्रेयस की प्राप्ति के इच्छुक सभी मनुष्यों को प्रतिदिन दोनों समय सन्ध्या अवश्य करनी चाहिये Read more » ईश्वर
चिंतन धर्म-अध्यात्म ईश्वर से विज्ञान एवं राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना होने से वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ January 30, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द महाभारत काल के पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने संसार को ईश्वर, जीव व प्रकृति, इन तीन सत्ताओं का सिद्धान्त दिया जिसे त्रैतवाद के नाम से जाना जाता है। यह सिद्धान्त युक्ति, तर्क तथा प्रत्यक्षादि प्रमाणों से भी सिद्ध होता है। इस कारण इसके विपरीत अन्य सभी सिद्धान्त अपूर्ण व दोषपूर्ण होने […] Read more » ईश्वर राज्यादि ऐश्वर्य की प्रार्थना विज्ञान वेद संसार के सर्वोत्तम धर्मग्रन्थ
धर्म-अध्यात्म ईश्वर सर्वतोमहान और वेदानुयायी ऋषि महान और संसार के आदर्श January 4, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य इस संसार और पूरे ब्रह्माण्ड में सबसे महान कौन है? इसका उत्तर है कि इस संसार को बनाने व चलाने वाला जगदीश्वर सबसे अधिक महान पुरुष है। ईश्वर के बाद संसार में सबसे महान पुरूष व मनुष्यों के आदर्श कौन हैं, इसका उत्तर है वेदों के अनुयायी व अनुमागी सभी ऋषि महान […] Read more » ईश्वर ईश्वर की महानता
धर्म-अध्यात्म ईश्वर के मुख्य गुण, कर्म व स्वभाव December 29, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) ने अपने सत्यार्थ प्रकाश आदि ग्रन्थों में ईश्वर के स्वरूप पर व्यापक रूप से प्रकाश डाला है। इसके आधार पर हम ईश्वर के गुण, कर्म व स्वभाव को भी जान सकते हैं। यह हम सभी का आवश्यक कर्तव्य भी है, इसलिए कि जिस ईश्वर ने हमारे लिए इस […] Read more » ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर के यथार्थ स्वरूप को कौन जानता है? December 13, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार में ईश्वर को मानने वाले और न मानने वाले दो श्रेणियों के लोग हैं। ईश्वर के अस्तित्व को न मानने वालों को नास्तिक कहते हैं। जो नास्तिक लोग हैं उनसे तो यह अपेक्षा की ही नहीं जा सकती है कि वह ईश्वर के सत्य स्वरूप जानते हैं। प्रश्न है कि जो ईश्वर को मानते हैं, क्या वह सब ईश्वर के सत्य स्वरूप को भी जानते हैं या नहीं? Read more » ईश्वर ईश्वर के यथार्थ स्वरूप ईश्वर के यथार्थ स्वरूप को कौन जानता है