आर्थिकी लाभदायक सौदा नहीं रह जाने से कृषि-कार्य मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं May 16, 2015 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on लाभदायक सौदा नहीं रह जाने से कृषि-कार्य मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं -अशोक “प्रवृद्ध”- आदिकाल से ही भारतवर्ष के अधिकांश लोगों की आजीविका का साधन कृषि और कृषि से सम्बद्ध व्यवसाय रही है, और भारतवर्ष के कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि कृषि क्षेत्र में हमने बहुत उन्नति भी की है, परन्तु इस वर्ष मार्च , रील के महीने में हुई बेमौसम आंधी-तूफ़ान, बारिश और ओले ने […] Read more » Featured कृषि कृषि कार्य खेती लाभदायक सौदा नहीं रह जाने से कृषि-कार्य मौत को निमंत्रण देने से कम नहीं
खेत-खलिहान बिना जुताई की खेती संभव है June 9, 2012 / June 9, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 3 Comments on बिना जुताई की खेती संभव है बाबा मायाराम मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से भोपाल की ओर मात्र 3 किलोमीटर दूर है टाईटस फार्म। यहां पिछले 25 साल से कुदरती खेती का अनोखा प्रयोग किया जा रहा है। राजू टाईटस जो स्वयं पहले रासायनिक खेती करते थे, अब कुदरती खेती के लिए विख्यात हो गए है। उनके फार्म को देखने देश-विदेश के […] Read more » खेती
खेत-खलिहान खेती में दूसरी हरित क्रान्ति December 17, 2010 / December 18, 2011 by डॉ. मनोज मिश्र | 1 Comment on खेती में दूसरी हरित क्रान्ति डॉ. मनोज मिश्र इस समय आबादी वृध्दि, औद्योगिकीकरण व अन्य कारणों से घटती जमीन, आर्थिक विकास तथा अन्तर्राष्ट्रीय चुनौतियों के कारण भारत की कृषि जबर्दश्त दबाब से गुजर रही है। सन् 1965 के आसपास गेहूं से लदे जहाज प्रतिदिन अमेरिका से भारत आ रहे थे तथा ‘सिप टू माऊथ’ की स्थिति के कारण हमारी दशा […] Read more » Green Revolution खेती हरित क्रांति
खेत-खलिहान वर्षा सिंचित खेती की क्षमताओं का इस्तेमाल करना June 10, 2010 / December 23, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -संत बहादुर भारत में खेती के कुल 1403.00 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से सिर्फ 608.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र ही सिंचित है तथा शेष 794.40 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित है। खाद्य उत्पादन का करीब 55 प्रतिशत सिंचित भूमि में होता है. जबकि वर्षा सिंचित भूमि का योगदान करीब 45 प्रतिशत ही है। वर्षा सिंचित खेती में […] Read more » Farming कृषि खेती
खेत-खलिहान मोटे अनाजों की खेती का महत्व May 15, 2010 / December 23, 2011 by शशांक कुमार राय | Leave a Comment -शशांक कुमार राय एक समय था जब भारत की कृषि–उत्पादन प्रणाली में काफी विविधता देखने को मिलती थी। गेहूं, चावल, जौ, राई, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि अनेक प्रकार की फसलें उगाई जाती थी। अब यह स्थिति यह है कि आजादी के बाद बदली कृषि-नीति ने भारतीयों को गेहूं व चावल आदि फसलों पर निर्भर बना […] Read more » Farming खेती मोटे अनाज