लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-3 November 16, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य : मानव जीवन की ऊहापोह हमारा सारा जीवन इस ऊहापोह में व्यतीत हो जाता है कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? मेरे लिए क्या उचित है? और क्या अनुचित है? महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन के समक्ष भी यही प्रश्न आ उपस्थित हुआ था। तब उसे कृष्णजी ने […] Read more » Featured गीता गीता का कर्मयोग मानव जीवन की ऊहापोह विश्व वैदिक गीता-सार सत्य
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व भाग-2 November 16, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment वैदिक गीता-सार सत्य गीता की उपयोगिता इसलिए भी है कि यह ग्रन्थ हमें अपना कार्य कत्र्तव्य भाव से प्रेरित होकर करते जाने की शिक्षा देती है। गीता का निष्काम-भाव सम्पूर्ण संसार को आज भी दु:खों से मुक्ति दिला सकता है। परन्तु जिन लोगों ने गीता ज्ञान को साम्प्रदायिकता का प्रतीक मान लिया, उनके स्वयं के […] Read more » Featured geeta karmayoga गीता गीता का कर्मयोग विश्व
धर्म-अध्यात्म विश्व में सत्य की प्रचारक धार्मिक एवं सामाजिक संस्था आर्य समाज September 10, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य सत्य को मानना व उसका प्रचार करना ही धर्म है और जो असत्य है उसे जानना व उसका त्याग करना व कराना भी धर्म ही है। आजकल हम देखते हैं कि संसार अनेक मत-मतान्तर व पंथों से भरा हुआ है। सबकी परस्पर कुछ समान व कुछ असमान मान्यतायें हैं। सबके अपने […] Read more » आर्य समाज विश्व विश्व में सत्य की प्रचारक सत्य की प्रचारक
विविधा विश्व गुरु के रुप में भारत -15 September 2, 2017 / September 2, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  भारत का राष्ट्रवाद और विश्व भारत का राष्ट्रवाद आज के अंतर्राष्ट्रवाद से ऊंची सोच वाला रहा है। आज के विश्व मंचों पर भी राजनीतिज्ञ अपने-अपने देशों के हितों के लिए लड़ते-झगड़ते हैं, और ‘संयुक्त राष्ट्र’ जैसी विश्व संस्था का भी या तो उपहास उड़ा रहे हैं या फिर उसे असहाय बनाने […] Read more » Featured भारत भारत का राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद विश्व
राजनीति सारा विश्व आज भारत की ओर देख रहा है June 5, 2016 by राकेश कुमार आर्य | 1 Comment on सारा विश्व आज भारत की ओर देख रहा है राकेश कुमार आर्य धृतराष्ट्र ने पूछा-‘‘कणिक! साम, दान, दण्ड और भेद के द्वारा शत्रु का नाश कैसे किया जा सकता है’’ यह मुझे बताइये। कणिक ने कहा-“हे राजन इस विषय में नीतिशास्त्र के तत्व को जानने वाले एक वनवासी गीदड़ का वृतांत सुनाता हूं। एक वन में कोई बड़ा बद्घिमान और स्वार्थ साधन में कुशल […] Read more » Featured world towards India भारत विश्व
कला-संस्कृति विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी June 16, 2015 / June 16, 2015 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on विश्व में भारत की पहचान – संस्कृत एवं हिन्दी –मनमोहन कुमार आर्य- हमारे देश की वास्तविक पहचान क्या है? विचार करने का हमें इसका एक यह उत्तर मिलता है कि संसार की प्राचीनतम भाषा संस्कृत व आधुनिक भारत की सबसे अधिक बोली व समझी जाने वाली भाषा आर्यभाषा-हिन्दी है। हिन्दी को एक प्रकार से संस्कृत की पुत्री कह सकते हैं। इसका कारण हिन्दी में […] Read more » Featured भारत विश्व संस्कृत हिन्दी
जरूर पढ़ें विविधा धुंआ, धर्म और धरती… May 29, 2015 by निर्मल रानी | Leave a Comment -निर्मल रानी- पूरा विश्व ही नहीं बल्कि संपूर्ण पृथ्वी तथा ब्रह्मांड का एक बड़ा हिस्सा इस समय ग्लोबल वार्मिंग का शिकार है। सहस्त्राब्दियों पुराने गलेशियर व हिमखंड पिघल चुुके हैं। दुनिया की कई बर्फ़ीली पहाड़ी चोटियां इतिहास बन चुकी हैं। इनका एकमात्र कारण वैज्ञानिकों द्वारा यही बताया जा रहा है कि विकास के नाम पर […] Read more » Featured धरती धर्म धुंआ ब्रह्मांड विश्व