समाज राष्ट्रीय—एकता एक चिंतन September 19, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on राष्ट्रीय—एकता एक चिंतन शिवदेव आर्य, किसी भी राष्ट्र के लिये राष्ट्रीय एक ता का होना अत्यन्त आवश्यक है। राष्ट्रीय एकता राष्ट्र को सशक्त व संगठित बनाये रखने की अनन्य साधिका है। राष्ट्रीय एकता विभिन्नताओं में एकता स्थापित करने की व्यवस्थापिका है। प्रायः कहा जाता है कि वर्तमान में भारत की राष्ट्रीयएकता सर्वमत समभाव पर आश्रित है। […] Read more » क्षेत्रवाद जातिवाद भाषावाद राष्ट्रिय—एकता एक चिंतन साम्प्रदायिकता
राजनीति साम्प्रदायिकता को मोदी विरोध तक केन्द्रित कर देने के खतरे October 4, 2011 / October 4, 2011 by वीरेन्द्र जैन | 1 Comment on साम्प्रदायिकता को मोदी विरोध तक केन्द्रित कर देने के खतरे वीरेन्द्र जैन जब से श्री नरेन्द्र मोदी ने जय श्री राम कोयाद करने की जगह ‘गाड इस ग्रेट’ कहते हुए उपवास किया है तभी से उनके खिलाफ लेखों और टिप्पणियों की बाढ आ गयी है। उन्होंने अपनी परम प्रसन्नता में यह उपवास प्रदेश में सद्भावना के नाम पर तब किया जब 2002 में गुजरात में […] Read more » Narendra Modi साम्प्रदायिकता
आलोचना अज्ञेय जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष- बलाओं की मां है साम्प्रदायिकता November 22, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on अज्ञेय जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष- बलाओं की मां है साम्प्रदायिकता -जगदीश्वर चतुर्वेदी स.ही.वा.अज्ञेय हिन्दी के बड़े साहित्यकार हैं। उनकी प्रतिष्ठा उनमें भी है जो उनके विचारों से सहमत नहीं हैं। अज्ञेय के बारे में प्रमुख समस्या है कि उन्हें किस रूप में याद करें ? क्या उन्हें धिक्कार और अस्वीकार के साथ देखें ? क्या वे सचमुच में ऐसा कुछ लिख गए हैं जिसके कारण […] Read more » communalism साम्प्रदायिकता
विविधा साम्प्रदायिकता का उत्तर आधुनिक तर्कशास्त्र और मार्क्सवाद October 3, 2010 / December 22, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 15 Comments on साम्प्रदायिकता का उत्तर आधुनिक तर्कशास्त्र और मार्क्सवाद -जगदीश्वर चतुर्वेदी उत्तर आधुनिकतावाद के बारे में जबलपुर के निशांत और उनके कुछ युवा दोस्तों ने अपनी जिज्ञासाएं रखी हैं। वे चाहते हैं उनके साथ सार्वजनिक संवाद किया जाए। प्रस्थान बिंदु के रूप में अभी जो समस्या चल रही है। उसके संदर्भ में उत्तर आधुनिक विचारक ल्योतार के विचारों की रोशनी में कुछ कहना चाहूँगा। […] Read more » Sectarianism साम्प्रदायिकता