विविधा देशप्रेम की साकार और व्यावहारिक अभिव्यक्ति है स्वदेशी May 19, 2020 / May 19, 2020 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment – लोकेन्द्र सिंह मुझे आज तक एक बात समझ नहीं आई कि कुछ लोगों को स्वदेशी जैसे अनुकरणीय, उदात्त और वृहद विचार का विरोध क्यों करते हैं? स्वदेशी से उन्हें क्या दिक्कत है? मुझे लगता है कि स्वदेशी का विरोध वे ही लोग करते हैं जो मानसिकरूप से अभी भी गुलाम हैं या फिर उनको विदेशी उत्पाद […] Read more » Swadeshi is a real and practical expression of patriotism Swadeshi is practical expression of patriotism देशप्रेम की साकार और व्यावहारिक अभिव्यक्ति है स्वदेशी स्वदेशी
राजनीति नए नजरिए से गांधी October 2, 2018 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment अरविंद जयतिलक आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। वे भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत भी हैं और सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य भी। सत्यशोधक संत भी और शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भूत मनीषी और मानववादी विश्व […] Read more » अपरिग्रह अभय अस्तेय अहिंसा आस्वाद ब्रहमचर्य महात्मा गांधी शरीर श्रम सत्य सर्वधर्म समानता स्वदेशी
आर्थिकी समाज समृद्धि का अर्थ-तंत्र October 4, 2016 by डॉ. मधुसूदन | 2 Comments on समृद्धि का अर्थ-तंत्र धनी व्यक्ति की मितव्ययिता समृद्धि नहीं लाती। वो धन को रोककर उत्पादन या सेवा रोक देता है। इस लिए, समर्थ और धनी व्यक्ति की मितव्ययिता (कम खर्च ) देश की समृद्धि नहीं ला सकती। Read more » Featured किसकी मितव्ययिता स्वीकार्य है भारतीय समृद्धि-प्रक्रिया समृद्धि का अर्थ-तंत्र स्वदेशी
विविधा शख्सियत स्वदेशी हेतु प्रथम बलिदानी बाबू गेनू December 9, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” हजारों वर्षों की परतन्त्रता के पश्चात महर्षि दयानन्द सरस्वती ने देश को सर्वप्रथम स्वदेशी, स्वराज्य व स्वतन्त्रता का मन्त्र देते हुए कहा कि कोई कितना ही करे, परन्तु जो स्वदेशीय राज्य होता है वह सर्वोपरि उत्तम होता है। स्वदेश में स्वदेशी लोगों का व्यवहार अथवा शासन उत्तम होता है और परदेशी स्वदेश में […] Read more » Babu Genu प्रथम बलिदानी बाबू गेनू बाबू गेनू स्वदेशी