आलोचना हिन्दी की देह है फोटो, प्राण है संगीत July 18, 2011 / December 8, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी भाषा में अहंकार का भाव नहीं है। नायक नहीं हैं। यह ऐसी भाषा है जो प्रकृति से उदार है। हिन्दी न तो राष्ट्रभाषा है न मातृभाषा है और न पितृभाषा बल्कि वातावरण या परिवेश की भाषा है। भारतीय समाज में संचार और संबंध की स्वाभाविक भाषा है,जीवन में इसे दूसरी प्रकृति कहते […] Read more » hindi हिंदी
विविधा सांस्कृतिक पराधीनता और हिन्दी संस्थान June 20, 2011 / December 11, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों विश्वविद्यालय-कॉलेज में पढ़ाने वाले या केन्द्र सरकार के संस्थानों के हिन्दी अधिकारी इस भ्रम में हैं कि वे हिन्दी की सेवा कर रहे हैं, असल में वे मालिकों की सेवा कर रहे हैं और उनकी सेवा के लिए सुंदर सेवक तैयार कर रहे हैं। हिन्दी को मालिकों की भाषा मालिकों ने […] Read more » hindi हिंदी
विविधा डॉ. मधुसूदन: ”हिंदी-अंग्रेज़ी टक्कर?” भाग-एक April 7, 2011 / December 14, 2011 by डॉ. मधुसूदन | 44 Comments on डॉ. मधुसूदन: ”हिंदी-अंग्रेज़ी टक्कर?” भाग-एक (क ) एक रविवारीय भोज के बाद, वार्तालाप में, भोजनोपरांत डकारते डकारते, मेरे एक पश्चिम-प्रशंसक, { भारत-निंदक, उन्हें स्वीकार ना होगा } वरिष्ठ मित्र नें प्रश्न उठाया, कि ”क्या, तुम्हारी हिंदी अंग्रेज़ी से टक्कर ले सकती है? सपने में भी नहीं।” यह सज्जन, हिंदी के प्रति, हीन भाव रखनेवालों में से है। वे, उन के […] Read more » English hindi अंग्रेजी भाषा हिंदी
विविधा स्वभाषा विकास और हिन्दी साहित्य सम्मेलन January 5, 2011 / December 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 2 Comments on स्वभाषा विकास और हिन्दी साहित्य सम्मेलन राजीव मिश्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग भारत में एकमात्र हिन्दी की संस्था है, जिससे समस्त हिंदी जगत की कामनाओं को पूर्ण करने का प्रयास किया। इसका जन्म खोई हुई आत्मनिष्ठा को वापस करने के लिए था। देश के विषाक्त वातावरण को नष्ट करके राष्ट्र की देशी मनः स्थिति, भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषाओं में अटूट […] Read more » hindi हिंदी हिंदी साहित्य सम्मेलन
विविधा हिंदी-संस्कृत-अंग्रेज़ी स्रोत December 19, 2010 / December 18, 2011 by डॉ. मधुसूदन | 7 Comments on हिंदी-संस्कृत-अंग्रेज़ी स्रोत डॉ. मधुसूदन वैसे क-ग उच्चारण और ड द त का भी ऐसे ही बदला जाता है। (७)MEDIUM: चौथा लेते है माध्यम जैसे प्रचार माध्यम –यही माध्यम अंग्रेज़ी में Medium( मिडीयम) बना हुआ है। इस मिडियम का बहुवचन मिडीया है। तो आज कल बहु चर्चित बिका हुआ मिडीया मिडीया हम करते रहते हैं। उसके बदले हमारा […] Read more » hindi अंग्रेजी संस्कृत हिंदी
आलोचना हिन्दी साहित्यालोचना का नीरा राडिया पंथ December 14, 2010 / December 18, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on हिन्दी साहित्यालोचना का नीरा राडिया पंथ जगदीश्वर चतुर्वेदी ‘आलोचना’पत्रिका ने हाल के बरसों में किसी गंभीर साहित्यिक बहस को जन्म नहीं दिया है। और न हिन्दी में किसी आलोचक को प्रतिष्ठित ही किया है सिवाय संपादक नामवर सिंह के। फिर भी हिन्दी में उसे आलोचना की महान पत्रिका कहते हैं। सोचने वाली बात यह है यह पत्रिका भी अब प्रायोजन और […] Read more » hindi हिन्दी
आलोचना नागार्जुन जन्मशती पर विशेष-हिन्दी में कीर्त्ति फल के उपभोक्ता October 9, 2010 / December 21, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on नागार्जुन जन्मशती पर विशेष-हिन्दी में कीर्त्ति फल के उपभोक्ता -जगदीश्वर चतुर्वेदी नागार्जुन पर जो लोग शताब्दी वर्ष में माला चढ़ा रहे हैं। व्याख्यान झाड़ रहे हैं। नागार्जुन के बारे में तरह-तरह का ज्ञान बांट रहे हैं ऐसे हिन्दी में 20 से ज्यादा लेखक नहीं हैं। ये लेखक कम साहित्य के कर्मकाण्डी ज्यादा लगते हैं। आप इनमें से किसी को भी फोन कीजिए ये लोग […] Read more » hindi नागार्जुन हिन्दी
साहित्य राजभाषा हिन्दी और संवैधानिक सीमाएं September 19, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -हरिकृष्ण निगम क्या हमारे देश के करोड़ों हिंदी प्रेमियों को इस बात का अहसास है कि संवैधानिक प्रावधानों के अंतर्गत हिंदी को यद्यपि संघ की राजभाषा का दर्जा मिला है, पर उसके ऊपर जो अंकुश प्रारंभ से ही लगाए गए हैं वे इसके सर्वांगीण विकास में आज भी रोड़ा बने हुए हैं। संविधान का यह […] Read more » hindi हिन्दी
साहित्य आओ मनाएं हिन्दी दिवस September 15, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment हर्ष ही नहीं गर्व का विषय है हिन्दी विश्व मंच पर एक अग्रणी भाषा है। विश्व के अनेक देश हिन्दी को पाठयक्रम में पढ़ाए जाने का निश्चय कर चुके हैं। रूस और कुछ अन्य पड़ोसी देशों में हिन्दी पढ़ाना आरंभ हो गया है। अब अंग्रेजी उनके बीच संपर्क भाषा का काम कर रही है जिन्हें […] Read more » hindi हिंदी
साहित्य मेरी प्यारी हिन्दी,मुझे माफ करना September 14, 2010 / December 22, 2011 by नवीन देवांगन | 4 Comments on मेरी प्यारी हिन्दी,मुझे माफ करना -नवीन देवांगन “चल रे मटकी टम्मक टू ….” को “जॉनी जॉनी यस पापा…..” के सामने न जाने कितनी दफा शर्मिंदा होना पड़ा , अ-अनार के सामने ए-ऐपल्ल का, हमेशा से ही भारी पड़ा , पर राष्ट्रभक्त और हिन्दी प्रेम मे मदहोश मेरे माता-पिता ने इसी अ- अनार के सहारे दुनिया फतह करने के लिए सरकारी […] Read more » hindi हिंदी
साहित्य आज नहीं तो कल “हिंदी का सूर्य” विश्व क्षितिज पर चमकेगा September 14, 2010 / December 22, 2011 by प्रदीप श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रदीप श्रीवास्तव संविधान का जैसा उल्लंघन भारत में होता है, दुनिया में कहीं नहीं होता.14 सितम्बर 1949 को सविंधान में हिंदी को राजभाषा बनाया गया और कहा गया कि धीरे-धीरे अंग्रेजी को हटाया जायेगा, लेकिन सविंधान को लागु हुए आज 61 वर्ष हो गए हैं, इन 61 सालों में हुआ क्या? यही न कि अंगरेजी […] Read more » hindi हिंदी
साहित्य हिन्दी एक सम्पन्न भाषा : द्विवेदी September 14, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on हिन्दी एक सम्पन्न भाषा : द्विवेदी भोपाल,14 सितंबर। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने इस अवसर पर कहा कि हिन्दी भाषा को दीन-हीन मानना एक गलत सोच है। हिन्दी भाषा दीन-हीन नहीं बल्कि दिन-ब-दिन प्रभावशाली और सम्पन्न हो रही है। हिन्दी […] Read more » hindi हिंदी