साहित्य हिन्दुस्थान और हिन्दू के बाद अब हिन्दी को बांटने का षड्यंत्र September 14, 2010 / December 22, 2011 by विजय कुमार | 2 Comments on हिन्दुस्थान और हिन्दू के बाद अब हिन्दी को बांटने का षड्यंत्र -विजय कुमार सितम्बर हिन्दी के वार्षिक श्राद्ध का महीना है। हर संस्था और संस्थान इस महीने में हिन्दी दिवस, सप्ताह या पखवाड़ा मनाते हैं और इसके लिए मिले बजट को खा पी डालते हैं। इस मौसम में कवियों, लेखकों व साहित्यकारों को मंच मिलते हैं और कुछ को लिफाफे भी। इसलिए सब इस दिन की […] Read more » hindi हिंदी
विविधा जब तक ’अंग्रेजी’ राज रहेगा, स्वतंत्र भारत सपना रहेगा August 28, 2010 / December 22, 2011 by विश्वमोहन तिवारी | 22 Comments on जब तक ’अंग्रेजी’ राज रहेगा, स्वतंत्र भारत सपना रहेगा – विश्वमोहन तिवारी (पूर्व एयर वाइस मार्शल) 1947 तक हमारा हृदय परतंत्र नहीं था, बाहर से हम परतंत्र अवश्य थे। 1947 के बाद हम बाहर से अवश्य स्वतंत्र हो गए हैं, पर हृदय अंग्रेजी का, भोगवादी सभ्यता का गुलाम हो गया है। स्वतंत्रता पूर्व की पीढ़ी पर भी यद्यपि अंग्रेजी लादी गई थी, किन्तु वह […] Read more » hindi राष्ट्रभाषा हिंदी
विविधा हमारे देश की सारी समस्या का हल – हिन्दी है May 27, 2010 / December 23, 2011 by सतीश कुमार आर. रावत | 5 Comments on हमारे देश की सारी समस्या का हल – हिन्दी है -सतीश कुमार आर. रावत “हमारा देश सन 1947 में आजाद हुआ” यह शब्द हमें हर जगह और हर दिन सुनने को मिलता है पर यह है नहीं। क्या आपने कभी सोचा है कि चीन, जापान, अमेरीका, ब्रिटेन आदि देश इतनें विकसित क्यों हैं? इसका एक छोटा जवाब (उत्तर) है, कि उन्हों ने अपनी मात्र भाषा […] Read more » hindi हिंदी
विविधा माथे की बिन्दी- हिन्दी (संविधान, संसद और हम) May 21, 2010 / December 23, 2011 by रत्नेश त्रिपाठी | 1 Comment on माथे की बिन्दी- हिन्दी (संविधान, संसद और हम) -रत्नेश त्रिपाठी एक प्रतिष्ठित पत्रिका में हिन्दी के ऊपर देश के कुछ बुद्धिजीवियों का विचार पढ़ा, आश्चर्य तब अधिक हुआ जब कुछ युवाओं के साथ अन्य तथाकथित बुद्धिजीवियों नें हिन्दी की अंग्रेजी की पैरवी की। हम इस स्थिति के लिए दोष किसे दें। संविधान को, संसद को, सरकार को, लोक प्रशासकों को या खुद को, […] Read more » hindi हिन्दी
विविधा हिंदी भारत की आत्मा है May 13, 2010 / December 23, 2011 by डॉ. सौरभ मालवीय | 22 Comments on हिंदी भारत की आत्मा है -सौरभ मालवीय भारतीय समाज में अंग्रेजी भाषा और हिन्दी भाषा को लेकर कुछ तथा कथित बुद्धिजीवियों द्वारा भम्र की स्थिति उत्पन्न की जा रही है। सच तो यह है कि हिन्दी भारत की आत्मा, श्रद्धा, आस्था, निष्ठा, संस्कृति और सभ्यता से जुड़ी हुई है। बोली की दृष्टि से संसार की सबसे दूसरी बड़ी बोली हिन्दी […] Read more » hindi राष्ट्रभाषा हिंदी
साहित्य भारतीयता बचाने के लिये भारतीय भाषाओं में जीना अनिवार्य April 17, 2010 / December 24, 2011 by विश्वमोहन तिवारी | 6 Comments on भारतीयता बचाने के लिये भारतीय भाषाओं में जीना अनिवार्य किसी भी राष्ट्र की संस्कृति उसकी भाषा, संगीत, नृत्य, खानपान, पहनावा तथा धर्म में निहित होती है, भाषा के द्वारा वह पनपती है, अन्यथा वानर भी हमारे ही तरह सुसंस्कृत होते.संस्कार जन्म से ही पडना प्रारम्भ हो जाते हैं.बालक व्यवहार की नकल करता है तथा भाषा द्वारा, अभिव्यक्ति करने से भी अधिक महत्वपूर्ण, जीवन का […] Read more » hindi भारतीय भाषा भारतीयता हिंदी
आलोचना नपुंसक आलोचक और नदारत आलोचना March 29, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 2 Comments on नपुंसक आलोचक और नदारत आलोचना स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी साहित्य को लेकर काफी लिखा गया है। खासकर कविता, कहानी, उपन्यास और आलोचना के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण कृतियां हैं जो किसी न किसी रूप में साहित्यिक परिदृश्य पर रोशनी डालती हैं। हम खुश हैं कि हमारे पास रामविलास शर्मा हैं, नामवरसिंह हैं, शिवकुमार मिश्र हैं, रमेशकुंतल मेघ हैं, अशोक वाजपेयी हैं। जाहिरा […] Read more » hindi आलोचक आलोचना हिंदी
विविधा अंधों की बस्ती में चश्मे की बिक्री March 23, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment हिन्दी शिक्षकों को निरंतर लिखने वाले से खास तरह की एलर्जी है। वे यह कहते मिल जाते हैं कि फलां का लिखा अभी तक इसलिए नहीं पढ़ा गया या विवेचित नहीं हुआ क्योंकि जब तक उनकी एक किताब पढकर खत्म भी नहीं हो पाती है तब तक दूसरी आ जाती है। इस तरह के अनपढों […] Read more » hindi हिंदी
साहित्य रहम कीजिए हिंदी पर September 24, 2009 / December 26, 2011 by राजेश त्रिपाठी | 7 Comments on रहम कीजिए हिंदी पर भाषा न सिर्फ अभिव्यक्ति का साधन अपितु किसी देश, किसी वर्ग का गौरव होती है। यही वह माध्यम है जिससे किसी से संपर्क साधा जा सकता है या किसी तक अपने विचारों को पहुंचाया जा सकता है। भारतवर्ष की प्रमुख भाषा हिंदी तो जैसे इस देश की पहचान ही बन गयी है। हिंदुस्तान से हिंदी […] Read more » hindi हिंदी
कविता हिंदी हूँ मैं… September 14, 2009 / December 26, 2011 by हिमांशु डबराल | 1 Comment on हिंदी हूँ मैं… कल रात जब मैं सोया तो मैंने एक सपना देखा, जिसका जिक्र मै आपसे करने पर विवश हो गया हूं… सपने में मै हिंदी दिवस मनाने जा रहा था तभी कही से आवाज आई… रुको! मैने मुड़ के देखा तों वहा कोई नहीं था… मै फिर चल पड़ा… फिर आवाज आयी… रुको! मेरी बात सुनो… […] Read more » hindi हिंदी
प्रवक्ता न्यूज़ हिंदी अब बलिदान मांगती.. September 8, 2009 / December 26, 2011 by गिरीश पंकज | 1 Comment on हिंदी अब बलिदान मांगती.. हिंदी अब बलिदान मांगती … अपनी खोई शान मांगती . बहुत हो गया, हिंदी-जननी अपनी इक पहचान मांगती. हिंदी अब बलिदान मांगती . अंगरेजी की जय-जय कब तक? अपना गौरव- गान मांगती. जहां खिले सारी भाषाए, हिंदी वो उद्यान मांगती. हिंदी अब बलिदान मांगती. मै हूँ जन-गन-मन की भाषा अपना यह सम्मान मांगती. हिंदी अब […] Read more » hindi हिंदी
लेख जारी है हिन्दी की सहजता को नष्ट करने की साजिश – चिन्मय मिश्र February 14, 2009 / December 24, 2011 by चिन्मय मिश्र | 3 Comments on जारी है हिन्दी की सहजता को नष्ट करने की साजिश – चिन्मय मिश्र यह लेख उस प्रवृत्ति पर चोट है जो कि हिंदी को एक दोयम दर्जे की नई भाषा मानती है और हिंदी की शब्दावली विकसित करने के लिए अंग्रेजी को आधार बनाना चाहती है। Read more » hindi हिन्दी