धर्म-अध्यात्म वेदों ने हमें महान पुरुष ऋषि-मुनि और राम, कृष्ण, दयानन्द मिले June 25, 2021 / June 25, 2021 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्यमनुष्य का निर्माण माता-पिता के पालन पोषण सहित उनके द्वारा दिये जाने वाले संस्कारों से होता है। माता-पिता हमें जो संस्कार देते हैं उन्हें वह विरासत में अपने माता-पिता व आचार्यों से प्राप्त होते हैं। हमारी यह सृष्टि 1.96 अरब वर्ष पुरानी है। इतने ही वर्ष पूर्व भारत वा आर्यावर्त के वर्तमान स्थान […] Read more » Dayanand Krishna Vedas gave us great men Rishi-Muni and Rama ऋषि-मुनि और राम
वर्त-त्यौहार कृष्ण की शौर्य गाथाओं की याद दिलाती जनमाष्टमी August 22, 2019 / August 22, 2019 by योगेश कुमार गोयल | Leave a Comment योगेश कुमार गोयल जनमाष्टमी का त्यौहार प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से रात्रि 12 बजे श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। जनमाष्टमी का भारतीय संस्कृति में इतना महत्व क्यों […] Read more » janmashtmi Krishna war stories
चिंतन धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द के अनुसार कृष्ण लीला से कृष्णजी का अपमान होता है” August 7, 2019 / August 7, 2019 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य, देहरादून। ऋषि दयानन्द जी का जिन दिनों मेरठ में आगमन हुआ था, तब वहां ‘धर्मरक्षिणी सभा’ की ओर से तीन प्रश्न प्रश्न उपस्थित किये गये थे जिनका स्वामी जी ने अपने व्याख्यान में उत्तर दिया था। ऋषि के व्याख्यानों में उपस्थित एक ऋषि भक्त ने उनके दिये उत्तरों को नोट कर लिया […] Read more » krishn leela Krishna Rishi Dayanand
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-४१ April 13, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अक्रूर जी ने कंस का कथन बड़े ध्यान से सुना। कुछ समय मौन रहकर विचार किया – यदि वह बालक देवकी की आठवीं सन्तान है, तो अवश्य ही इस दुराचारी का वध करने में समर्थ होगा। इसकी मृत्यु निकट आ गई है, तभी यह दुर्जेय, अति पराक्रमी और ईश्वरीय गुणों से भरे हुए दोनों बालकों […] Read more » Featured gopal krishn Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन-४१
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३९ April 10, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment अपनी अद्भुत लीला समाप्त कर श्रीकृष्ण ने व्रज लौटने का निश्चय किया। व्रज में श्रीकृष्ण की अनुपस्थिति से प्रोत्साहित अरिष्टासुर ने व्रज को तहस-नहस करने के उद्देश्य से व्रज में प्रवेश किया। उसने वृषभ का रूप धारण कर रखा था। उसके कंधे के पुट्ठे तथा डील-डौल असामान्य रूप से विशाल थे। उसके खुरों के पटकने […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-38 April 8, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment वह शरद-पूर्णिमा की रात थी। बेला, चमेली, गुलाब, रातरानी की सुगंध से समस्त वातावरण मह-मह कर रहा था। चन्द्रदेव ने प्राची के मुखमंडल पर उस रात विशेष रूप से अपने करकमलों से रोरी-केशर मल दी थी। उस रात मंडल अखंड था। वे नूतन केशर की भांति लाल हो रहे थे, मानो संकोचमिश्रित अभिलाषा से युक्त […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३५ April 6, 2015 / April 11, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment देवराज इन्द्र का आदेश पाते ही समस्त घातक बादल वृन्दावन के उपर प्रकट हुए। वहां निरन्तर बिजली की चमक, बादलों की गर्जना तथा प्रबल झंझा के साथ अनवरत वर्षा होने लगी। मोटे-मोटे स्तंभों के समान अविराम वर्षा करते हुए बादलों ने धीरे-धीरे वृन्दावन के संपूर्ण क्षेत्र को जलमग्न कर दिया। वर्षा के साथ तीव्र गति […] Read more » Featured Krishna बिपिन किशोर सिन्हा यशोदानंदन यशोदानंदन-३५
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-३२ April 3, 2015 / April 4, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment राधा का गोरा मुखमंडल लज्जासे आरक्त हो उठा। मन में असमंजस के भाव उठ रहे थे – एक अपरिचित छोरे को अपना परिचय दें, या न दें। परन्तु वह भी समझ नहीं पा रही थी। उस अपरिचित छोरे का मुखमंडल और मधुर स्वर चिर परिचित जैसा क्यों लग रहा था? एक बार पुनः वह मुड़ी। […] Read more » Featured Krishna radha यशोदानंदन विपिन किशोर सिंहा
धर्म-अध्यात्म यशोदानंदन-२३ March 14, 2015 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment श्रीकृष्ण जैसे-जैसे बड़े हो रहे थे, यमुना के प्रति आकर्षण वैसे-वैसे ही बढ़ रहा था। यमुना का किनारा ही उनके खेल का मैदान था। गोकुल के सारे ग्वाल-बाल उनके सम्मोहन में बंधे थे। वय में उनसे बड़े ग्वाले भी बिना किसी तर्क के उनकी बातें मानते थे। एक दिन श्रीकृष्ण, बलराम एवं अन्य बालकों […] Read more » bachpan bal gopal balkrishna bihari ji gokul Krishna lord krishna Mathura natkhat shyam ras bihari vrindavan यशोदानंदन
साहित्य कहो कौन्तेय-३६ October 1, 2011 / October 1, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन का निवातकवच दानवों से युद्ध) विपिन किशोर सिन्हा मैंने उनकी आज्ञा शिरिधार्य की। मातलि दिव्य रथ के साथ उपस्थित हुआ। स्वयं देवराज ने मेरे मस्तक पर अत्यन्त प्रकाशमय मुकुट पहनाया, एक अभेद्य और सुन्दर कवच से मेरा वक्षस्थल आच्छादित किया, मेरे गांडीव पर अटूट प्रत्यंचा चढ़ाई, मुझे विजयी होने का आशिर्वाद दिया और प्रसन्न […] Read more » Draupadi Krishna अर्जुन का निवातकवच दानवों से युद्ध कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-३५ October 1, 2011 / October 1, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment (अर्जुन की सदेह स्वर्ग-यात्रा) विपिन किशोर सिन्हा – क्या खोया की गणना कर ही रहा था कि देवराज के रथ की घरघराहट सुनाई पड़ी। जैसे-जैसे रथ समीपआंखें बंद करके, दुर्दिनों में क्या पाया आ रहा था, भीषण ध्वनि से दिशाएं प्रतिध्वनित हो रही थीं। कुछ ही पल में रथ मेरे सामने था। सारथि मातलि ने […] Read more » Draupadi Krishna अर्जुन की सदेह स्वर्ग-यात्रा कहो कौन्तेय
साहित्य कहो कौन्तेय-२२ August 29, 2011 / December 6, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | Leave a Comment विपिन किशोर सिन्हा (व्रत भंग और अर्जुन का वन गमन) खाण्डवप्रस्थ के रूप में हमें हस्तिनापुर राज्य का आधा भाग प्राप्त हुआ जिसमें पठारों और अनुर्वर भूमि की बहुलता थी। श्रीकृष्ण के निर्देश पर हमने इसे स्वीकार किया। एक शुभ मुहूर्त्त में महर्षि व्यास ने स्वयं धरती नाप कर शास्त्रविधि से भूमिपूजन संपन्न कराया। श्रीकृष्ण […] Read more » Draupadi Krishna कहो कौन्तेय व्रत भंग और अर्जुन का वन गमन