प्रवक्ता न्यूज़ नवगीत August 28, 2019 / August 28, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार पावस ने जग नहलाया खुद भी नहा गई। वर्षा से अपना ऐसा नाता है। है रेनसूट या खोला छाता है।। हरीतिमा की अप्सरा धरती पर आ गई। है बारिश औ खग दुबके नीड़ों में। क्यों दमघोंटू कोलाहल भीड़ों में।। झरनों की निर्मल हँसी आँखों को भा गई। अविनाश ब्यौहार जबलपुर Read more » newsong
साहित्य नवगीत August 7, 2019 / August 7, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार फूट रहे आज बाँस में करैल। झर रहे झरने रोते हैं शैल।। पेड़ हुए उदास चुपचाप खड़े। पथरीली राहें चट्टान अड़े।। सींगें फँसा हुंकारते हैं बैल। सन्नाटे उग रहे हैं शूल से। फुनगी लड़ने लगी है मूल से।। पुरवा पछुआ भी हुईं हैं दगैल। आज टोली में हो गया तनाव। बच्चे भी भूल […] Read more » hindi hindi poetry newsong
साहित्य सूरज है रूठा: नवगीत July 2, 2019 / July 2, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment अविनाश ब्यौहार वर्षा की पहली फुहार है। और हवा के आर पार है।। डाली में कोंपल फूटी है। आज तपन लगती झूठी है।। हरितिमा की साज सँवार है। नहा रहा है बूटा बूटा। बादल से सूरज है रूठा।। घूंघट काढ़ेगी बयार है। मंजर दिखता रहा बाढ़ का। स्वागत बारिश में अषाढ़ का।। मेह बरसते धुन […] Read more » hindi literature Nature newsong poem poem on nature
कविता साहित्य नवगीत-हिटलर दिनमान May 22, 2019 / May 22, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment क्या गर्मी पड़ती जेठ में वैशाख में! लू हैं लपटें हैं मचा हाहाकार है! इन दिनों धूप की सख्ती बरकार है! चिन्गारी है दबी बुझी हुई राख में! गीष्म ॠतु में दिनमान हिटलर हो जाता! तानाशाह के आगे कुछ न चल पाता! पूंजीपति लोकतंत्र दाब लिए काँख में! अविनाश ब्यौहार रायल एस्टेट कटंगी रोड, जबलपुर। […] Read more » hitler dynasty literature form newsong poem poetry