कविता कविता-हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली-प्रभुदयाल श्रीवास्तव April 13, 2012 / April 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 6 Comments on कविता-हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली-प्रभुदयाल श्रीवास्तव हमको बिरासत में झुकी गरदन मिली वह शेर हम बकरी बने जीते रहे मिल बैठकर तालाब को पीते रहे| वह बाल्टियों पर बाल्टियां लेते रहे हम चुल्लुओं को ही फकत सींते रहे| पाबंदियों के गगन में हमको उड़ा मन मुताबिक डोर वे खींचे रहे| शोर था कि कान कौआ ले गया […] Read more » poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविता-प्रभुदयाल श्रीवास्तव
कविता गजल-श्यामल सुमन- दीपक April 13, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on गजल-श्यामल सुमन- दीपक श्यामल सुमन जिन्दगी में इश्क का इक सिलसिला चलता रहा लोग कहते रोग है फिर दिल में क्यों पलता रहा आँधियाँ थीं तेज उस पर तेल भी था कम यहाँ बन के दीपक इस जहाँ में अनवरत जलता रहा इस तरह पानी हुआ कम दुनियाँ में, इन्सान में दोपहर के बाद सूरज जिस […] Read more » poem Poems कविता दीपक कविता
कविता गजल-श्यामल सुमन- इंसानियत April 13, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन इंसानियत ही मज़हब सबको बताते हैं देते हैं दग़ा आकर इनायत जताते हैं उसने जो पूछा हमसे क्या हाल चाल है लाखों हैं बोझ ग़म के पर मुसकुराते हैं मजबूरियों से मेरी उनकी निकल पड़ी लेकर के कुछ न कुछ फिर रस्ता दिखाते हैं खाकर के सूखी रोटी लहू बूँद […] Read more » poem Poems कविता कविता इंसानियत
कविता गजल-श्यामल सुमन- पहलू April 13, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन मुस्कुरा के हाल कहता पर कहानी और है जिन्दगी के फलसफे की तर्जुमानी और है जिन्दगी कहते हैं बचपन से बुढ़ापे का सफर लुत्फ तो हर दौर का है पर जवानी और है हौसला टूटे कभी न स्वप्न भी देखो नया जिन्दगी है इक हकीकत जिन्दगानी और है ख्वाब से […] Read more » poem Poems कविता पहलू कविता
कविता गजल-श्यामल सुमन- आदत April 12, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन मेरी यही इबादत है सच कहने की आदत है मुश्किल होता सच सहना तो कहते इसे बगावत है बिना बुलाये घर आ जाते कितनी बड़ी इनायत है कभी जरूरत पर ना आते इसकी मुझे शिकायत है मीठी बातों में भरमाना इनकी यही शराफत है दर्पण दिखलाया तो कहते […] Read more » poem Poems आदत कविता कविता
कविता गजल-श्यामल सुमन – भावना April 12, 2012 / April 14, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment श्यामल सुमन अलग थलग दुनियाँ से फिर भी इस दुनियाँ में रहता हूँ अनुभव से उपजे चिन्तन की नव-धारा संग बहता हूँ पद पैसा प्रभुता की हस्ती प्रायः सब स्वीकार किया अवसर पे ऐसी हस्ती को बेखटके सच कहता हूँ अपना कहकर जिसे संभाला मेरी हालत पे हँसते ऊपर से हँस भी […] Read more » poem Poems कविता
कविता साहित्य कविता – चली जाऊँगी वापस March 28, 2012 / March 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 3 Comments on कविता – चली जाऊँगी वापस मोतीलाल/राउरकेला चली जाऊँगी वापस तुम्हारी देहरी से दूर तुम्हारी खुश्बू से दूर इन फसलोँ से दूर गाँव गली से दूर उन अनाम सी जगह मेँ और बसा लूँगी अपने लिए ठिकाना तिनके के रूप मेँ बहा लूँगी पसीना फीँच लूँगी अपनी देह को खून की कीमत मेँ अगोरना सोख लूँगी आँसूओँ को आँखोँ […] Read more » poem Poems कविता चली जाऊँगी वापस
कविता साहित्य कविता ; और काबा में राम देखिये March 24, 2012 / March 24, 2012 by श्यामल सुमन | 3 Comments on कविता ; और काबा में राम देखिये श्यामल सुमन विश्व बना है ग्राम देखिये है साजिश, परिणाम देखिये होती खुद की जहाँ जरूरत छू कर पैर प्रणाम देखिये सेवक ही शासक बन बैठा पिसता रोज अवाम देखिये दिखते हैं गद्दी पर कोई किसके हाथ लगाम देखिये और कमण्डल चोर हाथ में लिए तपस्वी जाम देखिये बीते […] Read more » poem Poems और काबा में राम देखिये कविता
कविता कविता – आता हूँ प्रतिवर्ष March 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment विमलेश बंसल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन मैं आता हूँ प्रतिवर्ष। जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ भरता हूँ नव जीवन सबमें, विमल उमंग उत्कर्ष। जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ 1)मैं वसंत का प्राण निराला। कर देता सबको मतवाला। मुझसे सबको हर्ष॥ जी हाँ मुझको कहते हैं नववर्ष॥ 2)नहीं ग्रीष्म में नहीं शीत में। […] Read more » poem Poems आता हूँ प्रतिवर्ष कविता
कविता साहित्य कविता – वह आया है March 18, 2012 / March 18, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment मोतीलाल मैँने उसे देखा है अभी-अभी इन्हीँ आँखोँ से वह आया है हमारे इस शहर मेँ और खड़ा है बाहर धुँध से भरे कोहरे मेँ वह आना चाहता है हमारे घरोँ मेँ और दो क्षण सुस्ताना चाहता है थकान से चूर उसकी देह अब नहीँ उठ पाती है और नहीँ ठहरती है आँखेँ किसी […] Read more » poem Poems कविता कविता - वह आया है
कविता साहित्य शब्द साहित्य एवं भावों का समागम है “कभी सोचा है” कविता संग्रह March 15, 2012 / March 15, 2012 by शिवानंद द्विवेदी | Leave a Comment शिवानन्द द्विवेदी “सहर” मन बड़ा प्रफुल्लित होता है जब किसी नए साहित्य को पढ़ने का अवसर प्राप्त होता है ! ६ मार्च की शाम जैसे ही दफ्तर से घर पहुंचा बंद लिफ़ाफ़े में एक पुस्तक प्राप्त हुई, जिज्ञासा वश बिना देर किये लिफाफा खोल कर देखा ! वैसे तो कोई भी साहित्यिक पुस्तक मेरे मन […] Read more » kabhi socha hai poem कभी सोचा है : कविता संग्रह भावों का समागम शब्द साहित्य
कविता कविता ; सिलवटों की सिहरन – विजय कुमार सप्पाती March 13, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 1 Comment on कविता ; सिलवटों की सिहरन – विजय कुमार सप्पाती अक्सर तेरा साया एक अनजानी धुंध से चुपचाप चला आता है और मेरी मन की चादर में सिलवटे बना जाता है ….. मेरे हाथ , मेरे दिल की तरह कांपते है , जब मैं उन सिलवटों को अपने भीतर समेटती हूँ ….. तेरा साया मुस्कराता है और मुझे उस जगह छु जाता है […] Read more » poem Poems कविता कविता - सिलवटों की सिहरन