कविता कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन March 9, 2012 / March 12, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; छटपटाता आईना – श्यामल सुमन सच यही कि हर किसी को सच दिखाता आईना ये भी सच कि सच किसी को कह न पाता आईना रू-ब-रू हो आईने से बात पूछे गर कोई कौन सुन पाता इसे बस बुदबुदाता आईना जाने अनजाने बुराई आ ही जाती सोच में आँख तब मिलते तो सचमुच मुँह चिढ़ाता आईना कौन […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता छटपटाता आईना
कविता कविता ; गीत नया तू गाना सीख – श्यामल सुमन March 9, 2012 / March 9, 2012 by श्यामल सुमन | 1 Comment on कविता ; गीत नया तू गाना सीख – श्यामल सुमन खुद से देखो उड़ के यार एहसासों से जुड़ के यार जैसे गूंगे स्वाद समझते, कह ना पाते गुड के यार कैसा है संयोग यहाँ सुन्दर दिखते लोग यहाँ जिसको पूछो वे कहते कि मेरे तन में रोग यहाँ मजबूरी का रोना क्या अपना आपा खोना क्या होना जो था हुआ आजतक, और […] Read more » poem Poems कविता गीत नया तू गाना सीख
कविता कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन March 7, 2012 / March 8, 2012 by श्यामल सुमन | 2 Comments on कविता ; प्रेम जहाँ बसते दिन-रात – श्यामल सुमन मेहनत जो करते दिन-रात वो दुख में रहते दिन-रात सुख देते सबको निज-श्रम से तिल-तिल कर मरते दिन-रात मिले पथिक को छाया हरदम पेड़, धूप सहते दिन-रात बाहर से भी अधिक शोर क्यों भीतर में सुनते दिन-रात दूजे की चर्चा में अक्सर अपनी ही कहते दिन-रात हृदय वही परिभाषित होता […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता प्रेम जहाँ बसते दिन-रात
कविता कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment नहीं जज्बात दिल में कम होंगे तेरे पीछे मेरे कदम होंगे तुम सलामत रहो कयामत तक ये है मुमकिन कि हम नहीं होंगे प्यार जिसको भी किया छूट गया बन के अपना ही कोई लूट गया दिलों को जोड़ने की कोशिश में दिल भी शीशे की तरह टूट गया यार मिलने को जब […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems कविता ; अश्क बनकर वही बरसता है
कविता कविता ; उड़ा दिया है रंग – श्यामल सुमन March 7, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर चेहरे का उड़ा दिया है रंग रंग-बिरंगी होली ऐसी प्रायः सब रंगीन बने अबीर-गुलाल छोड़ कुछ हाथों में देखो संगीन तने खुशियाली संग कहीं कहीं पर शुरू भूख से जंग कोई खेल रहा है रंग, कोई मचा रहा हुड़दंग मँहगाई ने हर […] Read more » poem poem by shyamal suman Poems उड़ा दिया है रंग कविता
कविता कांग्रेस- मनमोहन-सोनिया और अब राहुल-कुशल सचेती February 17, 2012 / February 18, 2012 by कुशल सचेती | Leave a Comment कुशल सचेती कांग्रेस- मनमोहन-सोनिया और अब राहुल देख तेरे भारत की हालत क्या कर दी हे राम….! कांग्रेसासुरों की करतूतों का है ये परिणाम देख तेरे भारत……. गांधी बाबा के ये बंदे, रचते रहे नित नए फंदे, कितने ये मक्कार औ अंधे, इन धूर्तो के जाली धंधे, गांधी-नेहरू-गांधियों की मुग़ल सल्तनत देखी है ? वंशवाद […] Read more » famous poems poem Poems कांग्रेस मनमोहन-सोनिया राहुल
कविता साहित्य कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 14, 2012 / February 14, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on कविता: बिल्ली का संदेश – प्रभुदयाल श्रीवास्तव एक दिवस बिल्ली रानी ने सब चूहों को बुलवाया ढीले ढाले उन चूहों को बड़े प्रेम से समझाया| अपने संबोधन में बोली मरे मरे क्यों रहते हो इंसानों के जुर्म इस तरह क्यों सहते हो डरते हो। गेहूं चावल दाल सरीखे टानिक घर में भरे पड़े क्यों जूठन चाटा करते हो खाते खाने […] Read more » famous poems poem Poem by Prabhudayal shrivastav Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:छिंदवाड़ा की बात बड़ी है-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 13, 2012 / February 13, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment छिंदवाड़ा की बात बड़ी है टिक टिक चलती तेज घड़ी है छिंदवाड़ा की बात बड़ी है | साफ और सुथरी सड़कें हैं गलियों में भी नहीं गंदगी यातायात व्यवस्थित नियमित नदियों जैसी बहे जिंदगी लोग यहां के निर्मल कोमल नहीं लड़ाई झगड़े होते हिंदु मुस्लिम सिख ईसाई आपस में मिलजुलकर रहते रातें होती […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:मायाबी रावण बने सब आका-सुरेन्द्र अग्निहोत्री February 13, 2012 / February 13, 2012 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment मायाबी रावण बने सब आका वोटों पर डालने को डाका जमूड़े सबको पहचान लो ? पहचान लिया चारो तरफ घूम जा घूम लिया जो पूछँ वह बतलाऐगा हाँ बतलाऊँगा राजनीति का खेल निराला काले को सफेद कर डाला बन न पाया मुद्दा महँगाई आरपार की शुरू हुई लड़ाई लोकपाल को भूल रहे है लोग […] Read more » famous poems poem Poems कविता कवितायें सर्वश्रेष्ठ कविता
कविता कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव February 3, 2012 / February 3, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 2 Comments on कविता:योग्य उम्मीदवार की तलाश-प्रभुदयाल श्रीवास्तव योग्य उम्मीदवार की तलाश पार्टी के सदस्य पदाधिकारी पशोपेश में थे कुछ पद के नशे में थे कुछ होश में थे संसदीय क्षेत्र के लिये जीतने वाले उम्मीदवार का चुनाव होना था कौन कितना ताकत्वर है कितना खर्च करेगा इस बात का भाव ताव तै होना था “घसीटालालजी ठुनठुना क्षेत्र के लिये सर्व श्रेष्ठ उम्मीदवार […] Read more » famous poems Hindi Poem kavita poem poem by Prabhudayal Srivastav कविता कविताएं श्रेष्ठ कविताएं हिन्दी कविता
कविता साहित्य कविता ; हट धर्मिता – लक्ष्मी दत्त शर्मा February 1, 2012 / February 1, 2012 by लक्ष्मी दत्त शर्मा | Leave a Comment हट धर्मिता, दब्बूपन व कायरता अहिंसा व सत्य सभी शस्त्र हैं गांधी के जिससे सुन्दर लगता हैं गुलाब के फूल की तरह कांटों में सजा गांधी गांधी का महात्मा वाला स्वरूप किसे पता है कि इसमें छिपी है पीड़ा, वेदना, सहनशीलता अहिंसा व सत्य की गहरी नींव मां ने की शुरू करवायी थी गांधी को […] Read more » Mahatma Gandhi poem कविता हट धर्मिता
कविता साहित्य कविता ; लेन देन – दीपक खेतरपाल February 1, 2012 / February 1, 2012 by दीपक खेतरपाल | Leave a Comment लगती थी साथ साथ सीमा गांव और शहर की पर दोनों थे अलग अलग हवा शहर की एक दिन कर सीमा पार पंहुच गई गांव में और छोड़ आई वहां आलस्य फरेब मक्कारी आंकाक्षाएं महत्वआंकाक्षाएं बदले में ले आई निश्छलता निष्कपटता निस्वार्थ व्यव्हार पर इस लेन देन के बाद गांव गांव न रहा और ठुकरा […] Read more » city poem village कविता लेन देन