राजनीति चिदंबरम जी! रोटी रोज़ चाहिये और आइसक्रीम कभी कभी । July 13, 2012 / July 13, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी उन 77 प्रतिशत का क्या होगा जिनकी आय 20 रू. प्रतिदिन है? इतिहास के जानकार बताते हैं कि फ्रांस की महारानी मेरी एंटोनी ने भूख से परेशान लोगों द्वारा एक बार बगावत से पहले राजमहल घेर लेने पर आश्चर्य के साथ लोगों से यह सवाल पूछा था कि अगर रोटी नहीं मिल रही […] Read more » foodgrains Poverty Line
आर्थिकी गरीबी की नई परिभाषा April 1, 2012 / April 1, 2012 by रवि शंकर (CEFS) | Leave a Comment रवि शंकर केन्द्र सरकार ने गरीबी की नई परिभाषा फिर तय की है। योजना आयोग की मानें तो देश की शहरी इलाको में प्रतिदिन 28 रुपये 65 पैसे व ग्रामीण इलाकों में रोज 22 रुपये 42 पैसे खर्च करने वाले व्यक्ति को गरीब नहीं कहा जा सकता। अत्याधिक महंगाई और खाद् पदार्थो की बढ़ती कीमतों […] Read more » poverty Poverty Line गरीबी
आर्थिकी शीर्ष न्यायालय और गरीबी रेखा March 30, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव देश के गरीबी रेखा की खिल्ली उड़ाने के साथ योजना आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय की भी खिल्ली उड़ार्इ है। क्योंकि इसी न्यायालय ने दिशा-निर्देश दिए थे कि गरीबी रेखा इस तरह से तय की जाए कि वह यथार्थ के निकट हो। इसके बावजूद आयोग ने देश की शीर्ष न्यायालय को भी आर्इना दिखा […] Read more » Poverty Line Supreme Court गरीबी रेखा शीर्ष न्यायालय
राजनीति क्या यही है जादुई छड़ी? September 24, 2011 / December 6, 2011 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | 1 Comment on क्या यही है जादुई छड़ी? योजना आयोग ने भारतीय गरीबी का जिस तरह मजाक बनाया है। उस पर हो-हल्ला होना लाजमी है। योजना आयोग की ओर से गढ़ी गई गरीबी की नई परिभाषा से भला कौन, क्यों और कैसे सहमत हो सकता है। २० सितंबर २०११ मंगलवार को आयोन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामें में कहा है कि खानपान […] Read more » Indian Poors New Poor Definitions Poverty Line गरीबी की नई परिभाषा गरीबी रेखा गरीबी रेखा के नीचे जादुई छड़ी भारतीय गरीबी योजना आयोग
राजनीति गरीबी की लक्ष्मण रेखा September 22, 2011 / December 6, 2011 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment – एल.आर. गाँधी भारत से गरीब और गरीबी को मिटाने के भागीरथ परियास पिछले छह दशकों से जारी हैं … मगर गरीबी रेखा के साथ साथ ..गरीब हैं कि बढ़ते ही जा रहे हैं. अब हमारे मोहन प्यारे जी ने अपने अर्थ शास्त्रों के विशाल अनुभव के बल पर अंतिम घोषणा कर दी है कि […] Read more » Below Poverty Line L R Gandhi Poverty Line एल.आर. गाँधी