व्यंग्य लोहा टू लोहा (व्यंग्य ) August 26, 2019 / August 26, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment दिलीप कुमार आजकल देश में मोटा भाई कहने का चलन बहुत बढ़ गया है।माना जाता है कि बंधुत्व और दोस्ती का ये रिश्ता लोहे की मानिंद सॉलिड है। पहले ये शब्द भैया कहा जाता था ,लेकिन जब से अमर सिंह ने अमिताभ बच्च्न को भैया कहने के बाद हुए अपने हादसे का दर्द बयान किया […] Read more » Satire
व्यंग्य तब क्यों नहीं ,(व्यंग्य) August 19, 2019 / August 19, 2019 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment “ये जमीं तब भी निगल लेने को आमादा थीपाँव जब जलती हुई शाखों से उतारे हमने इन मकानों को खबर है ना मकीनों को खबर उन दिनों की जो गुफाओं में गुजारे हमने “ये सुनाते हुए उस कश्मीरी विस्थापित के आँसूं निकल पड़े जो अपने घर वापसी के लिये दिल्ली से जम्मू की ट्रेन में बैठ रहा […] Read more » Satire why not then
व्यंग्य “अब आगे क्या “ August 12, 2019 / August 12, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment दिलीप कुमार तड़ाक,तड़ाक,तड़ाक ,ये थप्पड़ नहीं एक आवाज है जो कहीं कहीं सुनायी पड़ रहा है। जैैसे हवा भी होती है पर दिखती नहीं है।पिछले हफ्ते देश में पहले तो तीन तलाक पर ये तड़ाक का साया पड़ा और अब जम्मू कश्मीर में ,370,35-A, और स्पेशल स्टेटस को हटा लिया गया।ये हटी तो भी तीन का […] Read more » next Satire what ahead
व्यंग्य आओ हरियाली, हरियाली खेलें August 12, 2019 / August 12, 2019 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment प्रभुनाथ शुक्ल हमारे देश में हरियाली का अकाल पड़ गया है। विकास की बुलट रेल शहर बसा रही है जिसकी वजह से गांव और जंगल उजड़ रहे हैं। नतीजा पर्यावरण के साथ जल संकट भी खड़ा हो गया है। हरियाली नहीं बची तो जीवन नहीं बचेगा। पेड़ मर गए तो जीवन मर जाएगा। जिसकी वजह […] Read more » Satire
व्यंग्य ऊंची नाक का सवाल (व्यंग्य) July 22, 2019 / July 22, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment इस दौर में जब देश में बाढ़ का प्रकोप है तो नाक से सांस लेने वाले प्राणियों में नाक एक लक्ष्मण रेखा बन गयी है ,पानी अगर नाक तक ना पहुंचा तो मनुष्य के जीवित रहने की संभावना कुछ दिनों तक बनी रहती है,बाकी फसल और घर बार उजड़ जाने के बाद आदमी कितने दिन […] Read more » Flood Satire
व्यंग्य एक और बार June 17, 2019 / June 17, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment दिलीप कुमार “एक और बार ” के समवेत स्वर वाला विज्ञापन देश में इस वक्त ये दिन रात संचार माध्यमों में आ रहा है ।पान मसाला वाले ये विज्ञापन घुट्टी की तरह ऐसे लोगों को पिला रहे हैं जैसे इमरान खान अपनी जमीं को बहादुर और खुद मुख्तार लोगों की जमीं होने की घुट्टी पिलाते […] Read more » one more time Satire
व्यंग्य चमचा महफिल का ‘वीकेंड’ सत्र January 22, 2014 / January 22, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment -विजय कुमार- दिल्ली में केजरी ‘आपा’ के नेतृत्व में ‘झाड़ू वाले हाथ’ की सरकार बनी तो ‘मोदी रोको’ अभियान में लगे लोगों की बांछें खिल गयीं। राहुल बाबा की खुशी तो छिपाये नहीं छिप रही थी। कई दिन बाद उन्होंने अपने यारों के साथ बैठकर ठीक से पीना-खाना किया। सबका मत था कि लड्डू […] Read more » Satire चमचा महफिल का ‘वीकेंड’ सत्र
व्यंग्य लोक धन को मनोरंजन पर खर्च न करें January 20, 2014 / January 20, 2014 by सुरेन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment -सुरेन्द्र अग्निहोत्री- जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख, और इसके बाद भी हमसे बड़ा तू दिख, दद्दा भवानी प्रसाद मिश्र के इस बोल की तरह अपने यूपी में मीडिया पर हल्ला बोल अभियान रूपी मुलायमी फरमान से बड़ा दिखने के संकेत मिलने लगे हैं। मिले भी क्यों न ? मुलायम से […] Read more » Satire लोक धन को मनोरंजन पर खर्च न करें
व्यंग्य वंशपूजन January 14, 2014 / January 15, 2014 by बीनू भटनागर | 1 Comment on वंशपूजन कांग्रेस पार्टी के लोग आजकल कहने लगे हैं कि उनपर वंशवाद का आरोप व्यर्थ में लगाया जाता है, क्योंकि सभी राजनैतिक पार्टियों अपने के नेताओं के बेटे बहुओं, बेटियों, दामादों, नाती-पोतों को चुनावी टिकट दे रही हैं। आम आदमी पार्टी के अलावा और कोई पार्टी इस बात से इनकार भी नहीं कर सकती। आम आदमी पार्टी का तो अभी जन्म ही हुआ है, उनके अभी बेटे बहुएं कहां से आयेंगे। हां जी, वंशवाद तो उ.प्र. का समाजवादी पार्टी का भी ग़जब है। सब यादव ही यादव… बेटा-बहू, भाई, भतीज़े, चाचा, ताऊ सभी मिलकर उत्तर प्रदेश को चला रहे हैं या जला रहे हैं। शिवसेना का वंशवाद भी भरोसे का है। बालठाकरे फिर उद्धव ठाकरे ही… ठाकरे … जब तक माता या पिता की कुर्सी सीधे सीधे उनके बच्चों को न मिले वंशवाद नहीं होता। यों तो अमिताभ बच्चन का बेटा भी फिल्मों में है, पर अमिताभ बच्चन की जगह तो नहीं है, उनसे कोसों दूर है। सुनील गवास्कर का बेटा भी क्रिकेट खेलता रहा, पर अपने पिता के आस-पास भी नहीं पंहुचा। ये वंशवाद नहीं है। कांग्रेस का वंशवाद तो वंशवाद से भी एक क़दम आगे है। ऐसा उदाहरण तो ढूंढने से भी देश […] Read more » Satire वंशपूजन
व्यंग्य सावधान! मेनका उर्वशी पधार रही हैं… January 14, 2014 / January 14, 2014 by अशोक गौतम | Leave a Comment -अशोक गौतम- उनकी सैफई को धूल चटाने के लिए हमने आनन-फानन में अपनी पार्टी के जनरल हाउस में दो मिनट में ही ध्वनि मत से यह प्रस्ताव पारित कर दिया कि हम जनता के लिए कुछ कर पाए या नहीं, पर उनकी सैफई को जवाब हम हर हाल में देकर रहेंगे! मेरे ऊपर से […] Read more » Saifai mahaotsav Satire सावधान! मेनका उर्वशी पधार रही हैं...
व्यंग्य बस, शांति पुरुष घोषित करवा दो यार !! January 9, 2012 / January 9, 2012 by अशोक गौतम | 1 Comment on बस, शांति पुरुष घोषित करवा दो यार !! अशोक गौतम कल बाजार में वे मिले। एक कांधे पर उन्होंने कबूतर बिठाया हुआ था तो दूसरे कांधे पर तोता। माथे पर बड़ा सा तिलक! हाथ में माला, तो शरीर जहां जहां भगवे से बाहर था वहां पर भूभत ही भभूत! अचानक वे मेरे सामने अल्लाह हो! अल्लाह हो! करते रूके तो उनपर बड़ा गुस्सा […] Read more » Satire अशोक गौतम शांति पुरुष घोषित करवा दो
व्यंग्य महाअनादरणीयः माननीय December 23, 2011 / December 23, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव सिर्फ आदमी का ही मुकद्दर नहीं होता। आदमी की मुकद्दर की इबारत लिखनेलाले लफ्जों का भी मुकद्दर होता है। कल तक जो शब्द हमारी जिंदगी के अभयारण्य में शेर की तरकह दहाड़ा करते थे आज वक्त के म्यूजियम में मसाला भरे शेरों की तरह वह खड़े और पड़े हुए हैं। बड़े-तो-बड़े जिन्हें […] Read more » Satire suresh neerav महाअनादरणीय माननीय