दाता खुद बना भिखारी है
हाथ पसारे आने वाले
हाथ पसारे जाते है
इस दुनिया में आते ही ,
सभी भिखारी बन जाते है।
गली गली में झोला टांगे ,
कुछ तो आटा मांग रहे
कुछ सम्राटों के घर पैदा हो,
खाने को मोहताज रहे ।।
आगे बढ़ो माफ़ करो बाबा,
कहा जाता है भिखारी को
जिनके घर अम्बार लगा हो,
उनको पल में मिल जाता है ।
भिक्षुक बनकर जो हाथ पसारे,
वह उतना ही पा जाता है
रुखा सुखा भाग्य है जिनका,
वह चाह छोटी ही रख पाता है ।।
जो आदत छोड़े मांगने की
और प्रेम को हृदय मैं उमगाये
जरूरत नही फिर उस प्रेमी की,
वह सारा साम्राज्य पा जाए ।
जीवन से चूके कई मांगने वाले,
जो भिखारियों के आगे हाथ पसारे
छीने उनसे जिनकी झोली खाली।
भरी तिजोरी वालो की करता न्यारे–ब्यारे
आनन्द बरसे करुणा उपजे,
जहा अस्तित्व सदा से नाच रहा
‘पीव ‘ उस वीतरागी की मुठ्ठी में आने को।।
आनन्द स्नेह से है भरा
पसारने के इस आनंद को पाने,
जिसने भी हाथ पसारा है
ब्रह्मांड हथेली में देनेवाला ,
दाता खुद बने पसारने वाला है।।