केंद्रीय नेतृत्व को ठेंगा दिखाता प्रदेश नेतृत्व

गोविन्द भाई चौधरी

भारत को आजाद हुए पूरे 64 वर्ष हो चुके हैंऔर इस 64 वर्षों के लंबे अंतराल में हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था इतनी मजबूत हुई है कि देश के प्रत्येक प्रदेश में एक क्षेत्रिय पार्टी का बोलबाला है। इन बातों को छोड़कर हम जरा मुद्दे की बात करे। आज हमारी प्रजातांत्रिक व्यवस्था इतनी सुदृढ़ हो चुकी है कि केंद्रीय नेतृत्व से दो-दो हाथ करने को हर वक्त तैयार दिख रहा है प्रदेश नेतृत्व। इसका जीता-जागता उदाहरण है देश के सूदुरवर्ती दो दक्षिण भारतीय राज्य जिनके नेता केंद्रीय नेतृत्व को ठेंगा दिखा रहे हैं।

हम बात येदुरप्पा और जगमोहन रेड्डी की कर रहे हैं जिन्होंने देश की दो प्रमुख पार्टियों को अपने आगे लगभग नतमष्तक कर दिया है। हम बात कर रहे हैं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश की। इन दोनों राज्यों के नेता बी.एस.येदुरप्पा और जगमोहन रेड्डी ने अपनी ताकत के आगे केंद्रीय नेतृत्व को सकते में डाल दिया है। देश में हाल में हुए तीन बड़े घोटाले में केंद्र की संप्रग सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुकी प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा का दामन भी कर्नाटक में दागदार हैइसके बावजूद भी भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व कर्नाटक के इस लिंगायत नेता को हटाने की हिम्मत्त नहीं जुटा पा रही है। अपने आपको चरित्र और चेहरे से साफ दिखाने वाली भाजपा में एक बार फिर अनुशासन तार-तार हुआ है। असहाय व लाचार केंद्रीय नेतृत्व की साख तक के चीथड़े उड़ रहे है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीण्एस.येदुरप्पा एक अकेले नेता नहीं है जिन्होंने भाजपा आलाकमान को ठेंगा दिखाया है। इससे पहले कल्याण सिंह, वसुंधरा राजे सिंधिया, अर्जुन मुंडा, बी.एस.खंडुडी ने भी इस्तीफा देने में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को लंबा इंतजार करवाया । ठीक ऐसा ही हाल कांग्रेस का आंध्र प्रदेश में है।

ठीक भाजपा के जैसा ही हाल कांग्रेस का आंध्रा प्रदेश में है। आंध्र प्रदेश के दिगवंत कांग्रेसी नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस.राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगमोहन रेड्डी ने केंद्रीय नेतृत्व के विरूध्द बिगुल फूंक दिया है। हाल ही में उनके द्वारा संचालित दूरदर्शन चैनल ‘साक्षी’ पर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह और राहुल गांधी की आलोचना की गई थी। गौरतलब है कि इससे पहले भी जगमोहन रेड्डी ने केंद्रीय नेतृत्व को अपना निशाना बनाया था। कांग्रेस नीत संप्रग गठबंधन को दो बार सत्ता का स्वाद चखा चुकी आंध्र प्रदेश में वाई.एस.राजशेखर रेड्डी की विरासत को संभाल रहे जगमोहन को इस बात की जानकारी है कि अगर केंद्रीय नेतृत्व उनके ऊपर कार्रवाई करता है तो भी उन्हीं का फायदा है और अगर नहीं करता है तो भी। अब बात पार्टी की आती है। क्यों कोई नेता पार्टी से भी ऊपर उठ जाता है?अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हरेक विधानसभा पर भी पार्टी नेतृत्व की नहीं व्यक्तिगत नेतृत्व का बोलबाला होगा और पार्टी मूकदर्शक बनी रहेगी।

* लेखक हिन्दुस्थान समाचार से जुड़े हैं।

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