मेवात के मेव मुसलमान की है हिन्दू क्षत्रिय की पहचान

—विनय कुमार विनायक

मेवात के मेव मुसलमान की आम मुसलमान से

अलग है हिन्दू क्षत्रिय की पहचान

मेवाती मुस्लिम सीधे तौर पर महाभारत कालीन

क्षत्रिय अर्जुन कृष्ण मत्स्यराज विराट वंश से जुड़े हुए

मेवातियों का रहन-सहन वेषभूषा भाषा शादी-विवाह

नाम परम्परा सबकुछ सनातनी हिन्दुओं सा

वैसे तो सारे हिन्दुस्तानी पाकिस्तानी बांग्लादेशी

अफगानी मुसलमान हैं हिन्दू वंशमूल की जातियाँ

कोई नहीं है अरब के क़ुरैशी कबिलाई

किन्तु पता नहीं क्यों वे नहीं स्वीकारते ये सच्चाई

मगर मेवाती मुस्लिम आरंभ से ही दावा करते

कि वे चन्द्रवंशी कुरुवंशी कौरव पाण्डव, यदुवंशी शौरी,

मत्स्यवंशी मीणा क्षत्रियों की मिली-जुली हिन्दू जाति  

वे हिन्दुओं की तरह सगोत्री भाई बहन से विवाह नहीं करते

मुस्लिम टोपी के बजाय हिन्दुओं सा पगड़ी बांधते

मेव प्राचीन हरियाणा कुरुक्षेत्र गुरुग्राम मत्स्यदेश के आर्य 

इनके पूर्वजों ने सुल्तान तुगलक के तुगलकी फरमान से

अजीज आकर बदल ली थी अपनी धार्मिक पहचान

बन गए विदेशी अरबी मजहब के गुलाम मुसलमान

जो पहचान विदेशी अताताई आक्रांताओं के साथ आई

मेव तुम्हें स्मरण है पूर्वजों की गौरवपूर्ण गाथा और आख्यान

तुम शान से अपना गौरव गान कविताओं में गाते और सुनाते

फिर आज तुम्हारी बुद्धि क्यों मतिभ्रमित हो फिर गई?

क्यों पूर्वजों के धर्मस्थल व धार्मिक यात्रा पर पत्थर बरसाते?

आखिर क्या मिलेगा तुम्हें ऐसे बहकावे खून खराबे वाली हरकत से

कानूनी कार्रवाई और जेल की जिल्लतभरी जिंदगी के सिवा?

ऐसे में अपने गौरवशाली धर्म संस्कृति वंश परम्परा में

पुनर्वापसी क्यों नहीं कर लेते?

क्यों मध्ययुगीन अशिक्षित विदेशी मजहब में जकड़े हो?

मूँछ को शान समझनेवाले क्षत्रियों की संतान

आखिर क्यों निमूँछी दाढ़ी और टोपी पहनकर

अपनी अलग पहचान बताने में लगे हुए हो?

ऐसी निमूँछी दाढ़ी टोपी तो अरबी शेख क़ुरैशी की भी नहीं होती

ये तुम्हारे पुरखों के कातिल आक्रांता मुहम्मद गजनवी गोरी की

जो अरब देश के खलीफा के मजहबी भाड़े के गुलाम थे

जिन्हें आज हिन्दू से धर्मांतरित मौलवी आदर्श मानने लगे

झूठे कुतर्क से बर्बर बलात्कारी लुटेरे कासिम गजनी गोरी गुलाम खिलजी

तुगलक सैयद लोदी बाबर हुमायूं अकबर जहांगीर शाहजहां औरंगजेब को

महान धार्मिक प्रजापालक सुल्तान बादशाह बताने लगे

जो गैर मुस्लिम से जेहाद छेड़कर लड़ने मरने के लिए

जन्नत में बहत्तर हूर परी सुरा सुंदरी के सब्जबाग दिखाते 

और यही बातें आज के आतंकवादियों के जेहन में भरी जाती

सच पूछो तो मौत के बाद कहीं कोई जन्नत हूर परी नहीं

सबकुछ है जीते जागते स्वर्गिक लोकतांत्रिक जमहूरियत में ही

मेवात की संज्ञा नूंह हो गई तो क्या? नूंह का अर्थ मनु होता

तुम मनुवंशी मानव हो,दानवगुरु और्व शुक्राचार्य काव्या स्थापित   

अरब के काबा मक्का मदीना के दनुवंशी दनुज दानव नहीं हो

अगर चाहिए शिक्षा शांति, दो जून की रोटी,इज्जत भरी जिंदगी

तो आधुनिक शिक्षा संस्कारयुक्त हिन्दू धर्म में कर लो वापसी

जिसमें है प्रेम,अहिंसा, दया, तर्क-वितर्क अभिव्यक्ति की आजादी!

—विनय कुमार विनायक

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here